राज्य कृषि समाचार (State News)

खाद्यान्न के बारदानों में लगाये जायेंगे क्यूआर कोड

24 अप्रैल 2025, भोपाल: खाद्यान्न के बारदानों में लगाये जायेंगे क्यूआर कोड – मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि मध्यप्रदेश सरकार पूरे देश में सर्वाधिक 2600 रुपए प्रति क्विंटल की दर पर गेहूं खरीद रही है, ताकि प्रदेश के गेहूं उत्पादक किसानों को सर्वाधिक लाभ मिले।

इस उपार्जन राशि में सरकार द्वारा किसानों को दी जा रही 175 रुपए प्रति क्विंटल बोनस राशि भी शामिल है। उन्होंने कहा कि गेहूं उत्पादन एवं उपार्जन के मामले में हम पंजाब और हरियाणा जैसे खाद्यान्न उत्पादक राज्यों से भी आगे हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सभी प्रकार के राशन कार्डधारकों की ई-केवाईसी जल्द से जल्द पूरा कराने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव  मंत्रालय में खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता अधिकार संरक्षण विभाग की समीक्षा बैठक को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए कि राज्य के सभी प्रकार के राशन कार्ड धारकों को समय पर और बिना किसी कठिनाई के पात्रतानुसार राशन सामग्री उपलब्ध कराई जाए।

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मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत पात्र हितग्राहियों को राशन पाने में किसी भी प्रकार की समस्या नहीं होनी चाहिए। उन्होंने सार्वजनिक खाद्यान्न वितरण प्रणाली को अधिक प्रभावी बनाने के लिए व्यवस्थाओं को बेहतर और त्रुटिरहित बनाने के निर्देश दिए हैं, ताकि कोई भी पात्र लाभार्थी राशन पाने से वंचित न रहे।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि जनहित से जुड़ी सभी योजनाएं, विशेषकर खाद्यान्न वितरण, उज्जवला गैस योजना की सब्सिडी वितरण और घर-घर घरेलू गैस पाइप लाइन डालने का काम पूरी तत्परता और संवेदनशीलता के साथ किये जाएं, ताकि प्रदेश के नागरिकों को सरकार की सुविधाओं का भरपूर लाभ मिल सके।

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हर जरूरतमंद तक खाद्यान्न पहुंचाना हमारी प्राथमिकता

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि त्रुटिरहित राशन वितरण, किसानों को उपार्जन राशि का समय पर भुगतान और हर जरूरतमंद तक खाद्यान्न पहुंचाना राज्य सरकार की प्राथमिकता है। इसके लिए सभी प्रबंध और जरूरी कदम उठाये जायें। घरेलू गैस की पाइप लाइन डालने का काम जल्द से जल्द पूरा किया जाए। उन्होंने कहा कि मक्का, कोदो-कुटकी जैसे श्रीअन्न भी स्व-सहायता समूह एवं शासकीय उचित मूल्य की दुकानों को दिये जायें, ताकि इनकी मांग (खपत) में वृद्धि हो और श्रीअन्न पैदा करने वाले किसानों को प्रोत्साहन मिले।

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