बिहार में बागवानी खेती को बढ़ावा: पपीता के खेती करने पर किसानों को मिलेगा 60% तक अनुदान
10 सितम्बर 2025, भोपाल: बिहार में बागवानी खेती को बढ़ावा: पपीता के खेती करने पर किसानों को मिलेगा 60% तक अनुदान – बिहार सरकार अब राज्य के किसानों को पारंपरिक खेती से आगे बढ़ाकर नकदी फसलों की ओर प्रोत्साहित कर रही है। इसी क्रम में पपीता क्षेत्र विस्तार योजना की शुरुआत की गई है, जिससे किसानों की आमदनी में उल्लेखनीय वृद्धि होने की संभावना है।
इस योजना को एकीकृत बागवानी विकास मिशन (MIDH) के अंतर्गत मंजूरी दी गई है। वर्ष 2025 से 2027 तक दो वर्षों की अवधि में इस पर 1 करोड़ 50 लाख 75 हजार रुपये खर्च किए जाएंगे। योजना के तहत किसानों को पपीता की खेती के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
केंद्र और राज्य सरकार दे रही संयुक्त रूप से अनुदान
बिहार के उपमुख्यमंत्री सह कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने बताया कि यह योजना केंद्र प्रायोजित है, जिसमें केंद्र और राज्य सरकार दोनों का 40-40 प्रतिशत योगदान है। इसके अतिरिक्त, राज्य सरकार द्वारा 20 प्रतिशत टॉप-अप अनुदान भी दिया जाएगा। इस तरह किसानों को कुल 60 प्रतिशत यानी ₹45,000 प्रति हेक्टेयर तक का लाभ मिलेगा।
योजना के अनुसार, पपीता की खेती के लिए विभाग ने प्रति हेक्टेयर ₹75,000 की इकाई लागत तय की है। खेती के दौरान एक पौधे से दूसरे पौधे की दूरी 2.2 मीटर रखनी होगी। वहीं, प्रति हेक्टेयर लगभग 2500 पौधे लगाए जाने का लक्ष्य है।
दो किस्तों में दी जाएगी अनुदान राशि
किसानों को अनुदान की राशि दो चरणों में दी जाएगी।
1. पहली किस्त: ₹27,000 प्रति हेक्टेयर
2. दूसरी किस्त: ₹18,000 प्रति हेक्टेयर
कुल मिलाकर, किसानों को ₹45,000 प्रति हेक्टेयर का अनुदान मिलेगा, जो कुल लागत का 60% होगा।
22 जिलों के किसान होंगे लाभान्वित
पपीता क्षेत्र विस्तार योजना का लाभ राज्य के 22 जिलों के किसानों को मिलेगा। इनमें शामिल हैं: भोजपुर, बक्सर, गोपालगंज, जहानाबाद, लखीसराय, मधेपुरा, बेगूसराय, भागलपुर, दरभंगा, गया, कटिहार, खगड़िया, मुजफ्फरपुर, नालंदा, पश्चिम चंपारण, पटना, पूर्वी चंपारण, पूर्णिया, सहरसा, समस्तीपुर, मधुबनी और वैशाली।
योजना के अंतर्गत किसान न्यूनतम 0.25 एकड़ (0.1 हेक्टेयर) और अधिकतम 5 एकड़ (2 हेक्टेयर) भूमि पर पपीता की खेती के लिए अनुदान प्राप्त कर सकते हैं।
कृषि मंत्री की अपील: किसान योजना का उठाएं लाभ
उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने किसानों से अपील की है कि वे इस योजना का पूरा लाभ उठाएं। उनका कहना है कि पपीता की खेती से किसानों को पारंपरिक फसलों की तुलना में अधिक और त्वरित आमदनी हो सकती है। साथ ही, इससे राज्य की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।
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