छत्तीसगढ़ का गौरव: इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय ने NIRF 2025 रैंकिंग में पाया 28वां स्थान
05 सितम्बर 2025, रायपुर: छत्तीसगढ़ का गौरव: इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय ने NIRF 2025 रैंकिंग में पाया 28वां स्थान – इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय ने अपने कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल के नेतृत्व में फिर एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा जारी नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) 2024-25 की रैंकिंग में इस विश्वविद्यालय ने टॉप 40 में जगह बनाई है। कुल 173 कृषि और संबद्ध क्षेत्र के उच्च शिक्षा संस्थानों में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय ने 28वां स्थान प्राप्त किया है।
बड़ी छलांग और खास पहचान
पिछले साल इस विश्वविद्यालय को NIRF में 39वां स्थान मिला था, जो इस साल 28वां स्थान बन गया है। यानी केवल एक साल में विश्वविद्यालय ने 11 पायदान की बड़ी छलांग लगाई है। यह छत्तीसगढ़ का एकमात्र ऐसा विश्वविद्यालय है, जिसे इस रैंकिंग में स्थान मिला है। खास बात यह है कि बड़े और विकसित राज्यों जैसे मध्यप्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र के किसी भी कृषि विश्वविद्यालय को इस रैंकिंग में जगह नहीं मिली है।
कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने इस सफलता के लिए सभी प्रशासनिक अधिकारियों, प्राध्यापकों, कृषि वैज्ञानिकों और कर्मचारियों को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि 173 कृषि विश्वविद्यालयों में 28वां स्थान पाना गर्व की बात है। विश्वविद्यालय की यह रैंकिंग पिछले तीन वर्षों में किए गए कार्यों और उपलब्धियों के आधार पर मिली है।
विकास के कई क्षेत्र
डॉ. चंदेल ने बताया कि विश्वविद्यालय ने अधोसंरचना, छात्र सुविधाएं, छात्र-शिक्षक अनुपात, अनुसंधान कार्य, शोध पत्र प्रकाशन, पेटेंट, नवाचार और उद्यमिता विकास जैसे सभी क्षेत्रों में महत्वपूर्ण काम किया है। विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार काम शुरू कर दिया है।
विश्वविद्यालय के तहत आने वाले 28 कृषि, कृषि अभियांत्रिकी और खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालयों के भवन बन चुके हैं या निर्माणाधीन हैं। इन महाविद्यालयों में छात्रावास, लाइब्रेरी और सभागृह उपलब्ध कराने के प्रयास जारी हैं।
पिछले तीन वर्षों में 22 नई उन्नत किस्में विकसित
अब तक लगभग 500 नई तकनीकें, उत्पाद और पौध किस्मों के पेटेंट मिल चुके हैं। पिछले तीन वर्षों में 13 फसलों की 22 नई उन्नत किस्में विकसित की गई हैं। इसके अलावा 91 नई तकनीकें अधिसूचित की गई हैं, 46 उत्पादन तकनीकें विकसित की गई हैं, और 45 नए कृषि यंत्र बनाए गए हैं। विश्वविद्यालय ने 70 से अधिक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के साथ समझौते किए हैं। नगरी दुबराज और बांसाझाल जीरा फूल चावल को जी.आई. टैग मिल चुका है। राज्य सरकार ने विद्यार्थियों और संकाय सदस्यों के लिए 1 करोड़ रुपए की राशि भी जारी की है, जिससे उन्हें बेहतर अध्ययन और शोध के अवसर मिलेंगे।
डॉ. चंदेल ने बताया कि विश्वविद्यालय ने उन क्षेत्रों की भी पहचान कर ली है, जहां सुधार की जरूरत है। आने वाले वर्षों में उन क्षेत्रों में भी विकास के प्रयास किए जाएंगे। शोध पत्रों, तकनीकी प्रकाशनों और कृषक उपयोगी प्रकाशनों के लिए 25 लाख रुपए का बजट भी स्वीकृत हुआ है।
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