प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजनाः मध्य प्रदेश में प्रभाव एवं व्यापक विश्लेषण
लेखक/ शोधार्थी- विनोद कुमार साहू, पीएचडी, पोस्ट डॉक्टरल फेलो डीएसटी- सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च आईआईटी, इंदौर, मध्य प्रदेश, ईमेल-vksahu@iiti.ac.in, प्रोफेसर मनीष कुमार गोयल, विभाग– सिविल इंजीनियरिंग, डीन, इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट एवं डीएसटी- सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) इंदौर,मध्य प्रदेश, भारत, ईमेल- mkgoyal@iiti.ac.in, प्रोफेसर रुचि शर्मा, विभाग – स्कूल ऑफ ह्यूमैनिटीज एंड सोशल साइंसेज, डीएसटी- सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) इंदौर, मध्य प्रदेश, भारत ईमेल-ruchi@iiti.ac.in
28 फ़रवरी 2025, भोपाल: प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजनाः मध्य प्रदेश में प्रभाव एवं व्यापक विश्लेषण –
परिचय
भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहां की आधी से अधिक जनसंख्या अपनी आजीविका के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है। कृषि क्षेत्र में अनेक चुनौतियों का सामना करते हुए, विशेषकर छोटे और सीमांत किसानों की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बनाने के उद्देश्य से भारत सरकार ने फरवरी 2019 में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN) योजना की शुरुआत की। इस योजना के अंतर्गत पात्र किसान परिवारों को प्रति वर्ष 6,000 रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है, जो तीन समान किश्तों में सीधे उनके बैंक खातों में स्थानांतरित की जाती है। मध्य प्रदेश, जो भारत के प्रमुख कृषि राज्यों में से एक है, में इस योजना का कार्यान्वयन व्यापक स्तर पर किया गया है। प्रस्तुत लेख में हम मध्य प्रदेश में PM-KISAN योजना के प्रभाव, उपलब्धियों और चुनौतियों का विश्लेषण कर रहे है।
योजना की पृष्ठभूमि और महत्व
भारतीय कृषि क्षेत्र में अनेक समस्याएँ व्याप्त हैं ऋणग्रस्तता, अनिश्चित मौसम, उत्पादन लागत में वृद्धि, बाजार की अस्थिरता, और प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसल नुकसान। इन चुनौतियों का सामना करने के लिए, देश के किसानों को वित्तीय स्थिरता प्रदान करना अत्यंत आवश्यक था। इसी उद्देश्य से भारत सरकार ने किसानो को आर्थिक सहयोग देने के लिए PM-KISAN योजना को आरंभ किया गया, ताकि किसान आवश्यक कृषि संसाधनों को समय पर प्राप्त कर सकें और अपनी उत्पादकता में वृद्धि कर सकें। यह योजना विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसानों के लिए वरदान साबित हुई है, जिनके पास 2 हेक्टेयर से कम कृषि योग्य भूमि है।
PM-KISAN योजना के अंतर्गत पात्र किसान परिवारों को वार्षिक 6,000 रुपये की आर्थिक सहायता तीन किश्तों में प्रदान की जाती है। यह सहायता राशि डिजिटल प्रणाली के माध्यम से सीधे किसानों के बैंक खातों में स्थानांतरित की जाती है, जिससे पारदर्शिता और कुशल वितरण सुनिश्चित होता है। किसान परिवार” की परिभाषा में पति, पत्नी और अवयस्क बच्चे (18 वर्ष से कम आयु के) शामिल होते हैं। यह योजना पूरी तरह से केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित है, जिसके लिए वित्तीय वर्ष 19 -20 में लगभग लगभग 75,000 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया तथा हर अलग वित्तीय वर्ष के लिए बजट के आवंटन को बढ़ाया गया।
वित्तीय सहायता और लाभार्थी आंकड़े
इस योजना के अंतर्गत 19वीं किस्त 24 फरवरी 2025 को जारी की गयी। PM-KISAN योजना के सफल छह वर्ष पूरे होने उपलक्ष्य में किसानों के लिए एक विशेष समारोह का बिहार राज्य में आयोजन किया गया तथा 19 वीं क़िस्त किसानो के खतों में संवितरण किया गया
18वीं क़िस्त के दौरान, लगभग 9.60 करोड़ किसानों को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) के माध्यम से वित्तीय सहायता प्रदान की गई थी, तथा 19वीं किस्त के दौरान 9.8 करोड़ से अधिक किसानों को 22,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि हस्तांतरित की गयी । इसमें 2.41 करोड़ महिला किसान भी शामिल हुई , जिससे यह योजना समावेशी विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का कार्य कर रही है ।
मध्य प्रदेश में योजना का क्रियान्वयन
मध्य प्रदेश में PM-KISAN योजना का क्रियान्वयन राज्य सरकार और केंद्र सरकार के बीच समन्वित प्रयासों से किया जा रहा है। राज्य सरकार और जिला प्रशासन की प्राथमिक भूमिका पात्र किसानों की पहचान, पंजीकरण, सत्यापन और भुगतान की व्यवस्था सुनिश्चित करने में होती है। किसानों को योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए अपने आधार कार्ड, बैंक खाता विवरण और भूमि रिकॉर्ड के साथ पंजीकरण कराना होता है। इस प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए, CSC (कॉमन सर्विस सेंटर) और पंचायत कार्यालयों में विशेष व्यवस्था की गई है, जहां किसान आसानी से अपना पंजीकरण करा सकते हैं।
पंजीकरण के बाद, राज्य सरकार द्वारा किसानों की पात्रता का सत्यापन किया जाता है। इसमें भूमि रिकॉर्ड की जांच, आधार विवरण का सत्यापन और बैंक खाता विवरण की पुष्टि शामिल है। सत्यापन के बाद, पात्र किसानों के विवरण PM-KISAN पोर्टल पर अपलोड किए जाते हैं और उनके बैंक खातों में सीधे भुगतान भेजा जाता है। भुगतान प्रक्रिया पूरी तरह से डिजिटल है, जिससे पारदर्शिता और दक्षता सुनिश्चित होती है।
मध्य प्रदेश में लाभार्थियों की संख्या और प्रवृत्ति
मध्य प्रदेश में PM-KISAN योजना के लाभार्थियों की संख्या में वर्षों से उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। योजना की शुरुआत के वर्ष 2018-19 में केवल 9,000 किसानों को लाभ मिला था, लेकिन अगले वर्ष 2019-20 में यह संख्या बढ़कर 65.54 लाख हो गई। इसके बाद 2020-21 में लाभार्थियों की संख्या और बढ़कर 82.72 लाख तक पहुंच गई। 2021-22 में यह आंकड़ा अपने शिखर पर पहुंचकर 85.42 लाख हो गया। हालांकि, 2022-23 में थोड़ी स्थिरता देखी गई, जब लाभार्थियों की संख्या 85.39 लाख रही। अंत में, 2023-24 में लाभार्थियों की संख्या घटकर 76.42 लाख रह गई।
इन आंकड़ों से कई महत्वपूर्ण प्रवृत्तियां उभरकर सामने आती हैं, पहली यह कि योजना की शुरुआत के बाद पहले तीन वर्षों में लाभार्थियों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई, जो योजना की लोकप्रियता और उसके प्रति किसानों के बढ़ते विश्वास को दर्शाता है। दूसरी, 2022-23 में लाभार्थियों की संख्या स्थिर रही, जो संभवतः योजना के संतृप्ति स्तर तक पहुंचने का संकेत देता है। तीसरी और सबसे महत्वपूर्ण प्रवृत्ति 2023-24 में लाभार्थियों की संख्या में गिरावट है, जिसके पीछे कई कारण हो सकते हैं जैसे सख्त सत्यापन प्रक्रिया, भूमि रिकॉर्ड में अपडेट, या बैंक खाता लिंकेज की समस्याएं।
योजना के आर्थिक प्रभाव
PM-KISAN योजना का मध्य प्रदेश के किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर गहरा आर्थिक प्रभाव पड़ा है। सबसे पहले, वार्षिक 6,000 रुपये की सहायता राशि छोटे और सीमांत किसानों के लिए महत्वपूर्ण आय स्रोत बन गई है। विशेष रूप से, जिन किसानों के पास एक हेक्टेयर से भी कम भूमि है, उनके लिए यह राशि वार्षिक आय का 8-10% तक हो सकती है। यह सहायता राशि किसानों को फसल चक्र से पहले आवश्यक कृषि निवेश करने में मदद करती है, जिससे उनकी उत्पादकता और आय में वृद्धि होती है।
इस योजना ने किसानों की निवेश क्षमत्ता में उल्लेखनीय सुधार किया है। किसान अब उच्च गुणवत्ता वाले बीज, उर्वरक और कीटनाशकों पर निवेश कर पा रहे हैं, जिससे फसल की पैदावार और गुणवत्ता में वृद्धि हो रही है। कई किसान इस धनराशि का उपयोग सिंचाई सुविधाओं के विकास, छोटे कृषि उपकरणों की खरीद और भूमि सुधार कार्यों में कर रहे हैं। इन निवेशों से न केवल वर्तमान फसल की उत्पादकता बढ़ी है, बल्कि भविष्य की फसलों के लिए भी बेहतर आधार तैयार हुआ है।
PM-KISAN योजना का एक और महत्वपूर्ण आर्थिक प्रभाव किसानों की ऋण निर्भरता में कमी के रूप में देखा जा सकता है। पहले, फसल मौसम की शुरुआत में कई किसानों को बीज, उर्वरक और अन्य कृषि इनपुट खरीदने के लिए साहूकारों से उच्च ब्याज दरों पर ऋण लेना पड़ता था। लेकिन PM-KISAN के माध्यम से प्राप्त सहायता राशि से, वे इन आवश्यक खर्चों को बिना ऋण के या कम ऋण के साथ पूरा कर पा रहे हैं। इससे उन्हें उच्च ब्याज दरों और ऋण जाल से मुक्ति मिल रही है, जो कि किसानों की आत्महत्या जैसी दुखद घटनाओं के पीछे प्रमुख कारणों में से एक रहा है।
इसके अतिरिक्त, PM-KISAN योजना ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नकदी प्रवाह को बढ़ावा दिया है। जब लाखों किसानों को एक साथ सहायता राशि मिलती है, तो इससे स्थानीय बाजारों में खरीदारी बढ़ती है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों के छोटे व्यापारियों, दुकानदारों और सेवा प्रदाताओं को भी लाभ होता है। यह एक मल्टीप्लायर प्रभाव उत्पन्न करता है, जहां किसानों की बढ़ी हुई खरीद शक्ति पूरी ग्रामीण अर्थव्यवस्था को लाभान्वित करती है।
सामाजिक-आर्थिक प्रभाव
PM-KISAN योजना का मध्य प्रदेश के किसानों के जीवन स्तर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। आर्थिक सहायता से किसान परिवारों को अपनी दैनिक जरूरतों को पूरा करने में मदद मिली है। कई किसान परिवार अब अपने बच्चों की शिक्षा पर अधिक खर्च कर पा रहे हैं, उन्हें बेहतर स्कूलों में भेज रहे हैं और शिक्षा सामग्री उपलब्ध करा रहे हैं। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में साक्षरता दर में वृद्धि हो रही है और भविष्य की पीढ़ियों के लिए बेहतर अवसर सृजित हो रहे हैं।
स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में भी सुधार देखा गया है। PM-KISAN से प्राप्त आर्थिक सहायता से कई किसान परिवार अब बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त कर पा रहे हैं, जिससे उनके समग्र स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है। किसानों को अब गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए कर्ज लेने या अपनी संपत्ति बेचने की जरूरत नहीं पड़ती है, जो पहले एक आम समस्या थी।
खाद्य सुरक्षा में भी सुधार हुआ है। PM-KISAN से प्राप्त आय से किसान परिवार अपने भोजन की गुणवत्ता और मात्रा में सुधार कर पा रहे हैं। इससे पोषण स्तर में वृद्धि हो रही है, विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों में, जो अक्सर कुपोषण के शिकार होते हैं।
इसके अलावा, PM-KISAN योजना ने किसानों के बैंकिंग आदतों पर भी सकारात्मक प्रभाव डाला है। चूंकि सहायता राशि सीधे बैंक खातों में स्थानांतरित की जाती है, इसलिए अब अधिक से अधिक किसान बैंकिंग प्रणाली से जुड़ रहे हैं। इससे वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिल रहा है और किसान डिजिटल लेनदेन और बचत के महत्व को समझ रहे हैं। कई किसान अब PM-KISAN की राशि का एक हिस्सा बचाकर भविष्य के लिए सुरक्षा कवच बना रहे हैं।
कार्यान्वयन की चुनौतियाँ
PM-KISAN योजना के सकारात्मक प्रभावों के बावजूद, मध्य प्रदेश में इसके कार्यान्वयन में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। सबसे प्रमुख चुनौतियों में से एक है भूमि रिकॉर्ड की समस्या। कई किसानों का भूमि रिकॉर्ड अद्यतन नहीं है, जिससे उन्हें योजना का लाभ लेने में कठिनाई होती है। विरासत में मिली भूमि का बंटवारा, संयुक्त खातेदारी, और पुराने रिकॉर्ड के कारण कई पात्र किसान योजना से वंचित रह जाते हैं। इसके अलावा, भूमि रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण की प्रक्रिया भी कई जिलों में अभी पूरी नहीं हुई है, जिससे सत्यापन प्रक्रिया में देरी होती है।
तकनीकी समस्याएं भी एक बड़ी चुनौती हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी की कमी, डिजिटल साक्षरता का निम्न स्तर, और ऑनलाइन पोर्टल की जटिलताएं अक्सर पंजीकरण प्रक्रिया को धीमा कर देती हैं। कई किसानों को ऑनलाइन आवेदन करने के लिए बिचौलियों पर निर्भर रहना पड़ता है, जिससे धोखाधड़ी की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा, सर्वर की समस्याएं, पोर्टल की धीमी गति, और तकनीकी गड़बड़ियां भी अक्सर पंजीकरण और भुगतान प्रक्रिया में बाधा डालती हैं।
आधार-बैंक लिंकेज से संबंधित समस्याएं भी गंभीर चुनौती हैं। कई किसानों के आधार कार्ड और बैंक खातों में विवरण मेल नहीं खाते, जिससे भुगतान में देरी होती है या भुगतान अस्वीकृत हो जाता है। इसके अलावा, कुछ बैंक शाखाओं की दूरी और बैंकिंग प्रक्रियाओं की जटिलता के कारण किसानों को अपने भुगतान की स्थिति जानने में कठिनाई होती है।
योजना के बारे में जानकारी की कमी भी एक प्रमुख चुनौती है। विशेष रूप से दूरदराज के ग्रामीण इलाकों और आदिवासी क्षेत्रों में, कई किसानों को योजना के बारे में पूरी जानकारी नहीं होती है। वे अपनी पात्रता, आवेदन प्रक्रिया, और लाभ प्राप्त करने के तरीकों के बारे में अनभिज्ञ रहते हैं, जिससे वे योजना का लाभनहीं उठा पाते। इसके अलावा, जागरूकता अभियानों की कमी और स्थानीय भाषाओं में सूचना सामग्री की अनुपलब्धता भी इस समस्या को और बढ़ा देती है।
शिकायत निवारण प्रणाली की कमजोरी भी एक महत्वपूर्ण चुनौती है। अगर किसी किसान का आवेदन अस्वीकृत हो जाता है या भुगतान में देरी होती है, तो उन्हें अपनी शिकायत दर्ज कराने और उसका समाधान पाने में कठिनाई होती है। शिकायत निवारण तंत्र की धीमी गति और अपर्याप्त प्रतिक्रिया से किसानों में निराशा बढ़ती है और वे योजना से दूर हो जाते हैं।
सफलता की कहानियाँ और सर्वोत्तम प्रथाएँ
मध्य प्रदेश में PM-KISAN योजना के कार्यान्वयन में कई सफलता की कहानियाँ और सर्वोत्तम प्रथाएँ सामने आई हैं, जिन्होंने योजना के प्रभाव को बढ़ाया है। उदाहरण के लिए, मालवा क्षेत्र में स्थानीय प्रशासन ने किसान सहायता केंद्र स्थापित किए हैं, जहाँ किसानों को पंजीकरण, सत्यापन और भुगतान संबंधी समस्याओं का त्वरित समाधान मिलता है। इन केंद्रों में तकनीकी सहायता के अलावा, किसानों को योजना के अधिकतम लाभ उठाने के लिए मार्गदर्शन भी दिया जाता है।
छिंदवाड़ा जिले में एक नवाचारी पंजीकरण पद्धति अपनाई गई है, जिसमें ग्राम पंचायत स्तर पर विशेष शिविर आयोजित किए जाते हैं। इन शिविरों में किसानों के पंजीकरण के साथ-साथ भूमि रिकॉर्ड का अद्यतनीकरण भी किया जाता है, जिससे पात्रता सत्यापन प्रक्रिया में तेजी आती है। इससे छिंदवाड़ा जिले में लाभार्थियों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
ग्वालियर-चंबल संभाग में जागरूकता अभियान की सफलता भी उल्लेखनीय रही है। स्थानीय प्रशासन ने स्थानीय भाषाओं में सूचना सामग्री तैयार की है और किसान चौपालों, ग्राम सभाओं और स्थानीय मेलों में योजना के बारे में जागरूकता फैलाई है। इससे इस क्षेत्र के किसानों में योजना के प्रति जागरूकता बढ़ी है और पंजीकरण दर में वृद्धि हुई है।
सुधार के लिए सुझाव
- मध्य प्रदेश में PM-KISAN योजना के कार्यान्वयन को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण सुधारों की आवश्यकता है। सबसे पहले, भूमि रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण और अद्यतनीकरण की प्रक्रिया को तेज किया जाना चाहिए। इसके लिए विशेष अभियान चलाकर सभी जिलों में भूमि रिकॉर्ड को डिजिटल और अद्यतन किया जा सकता है। साथ ही, विरासत में मिली भूमि के बंटवारे और संयुक्त खातेदारी के मामलों को त्वरित गति से निपटाने के लिए विशेष अदालतें या लोक अदालतें लगाई जा सकती हैं।
- तकनीकी चुनौतियों से निपटने के लिए एक सरल और उपयोगकर्ता मित्र मोबाइल एप्लिकेशन विकसित किया जा सकता है, जिसमें किसान आसानी से पंजीकरण, स्थिति की जांच, और शिकायत दर्ज करा सकें। इस एप्लिकेशन को स्थानीय भाषाओं में उपलब्ध कराया जाना चाहिए और इसे ऑफलाइन मोड में भी काम करने की क्षमता होनी चाहिए, ताकि इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्या वाले क्षेत्रों में इसके अलावा, पात्रता सत्यापन प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और त्वरित बनाया जाना चाहिए। कई किसान अद्यतन भूमि रिकॉर्ड न होने के कारण योजना से वंचित रह जाते हैं। इसके समाधान के लिए, ऑनलाइन सेल्फ-अटेस्टेड भूमि रिकॉर्ड प्रणाली लागू की जा सकती है, जहाँ किसान अपने भूमि दस्तावेज़ को अपलोड कर प्रारंभिक सत्यापन करवा सकें।
- भुगतान प्रक्रिया में सुधार के लिए, बैंक खातों की आधार सीडिंग और ई-केवाईसी प्रक्रिया को आसान बनाया जाना चाहिए। कई किसानों को समय पर किश्तें नहीं मिल पाती हैं क्योंकि उनके बैंक खाते आधार से लिंक नहीं होते या तकनीकी कारणों से अस्वीकृत हो जाते हैं। इसके समाधान के लिए ग्राम स्तर पर बैंकिंग सहायता केंद्रों की स्थापना की जा सकती है, जहाँ किसानों को सहायता मिल सके।
- योजना की जागरूकता बढ़ाने के लिए विशेष प्रचार अभियान चलाने की जरूरत है। पंचायत स्तर पर कृषि मेलों, रेडियो प्रसारण, और सोशल मीडिया के माध्यम से किसानों को योजना की पूरी जानकारी दी जानी चाहिए। कृषि विस्तार अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए कि वे किसानों को व्यक्तिगत रूप से मार्गदर्शन करें।
- योजना के प्रभावी निगरानी तंत्र के लिए, एक स्वतंत्र मूल्यांकन समिति गठित की जा सकती है, जो ब्लॉक और जिला स्तर पर योजना की समीक्षा करे। इससे यह सुनिश्चित होगा कि योजना का लाभसही किसानों तक पहुँच रहा है और यदि कोई विसंगति हो तो उसे समय रहते दूर किया जा सके।
- इन सुधारों को लागू करने से PM-KISAN योजना का प्रभाव मध्य प्रदेश में अधिक व्यापक और प्रभावी होगा, जिससे किसानों की वित्तीय स्थिरता बढ़ेगी और राज्य की कृषि व्यवस्था मजबूत होगी।
बड़े किसानों की विचार- आर्थिक सहायता से परे उनकी वास्तविक आवश्यकताएँ
भारत की आत्मा कहे जाने वाले किसानों की वर्तमान चुनौतियाँ और आवश्यकताएँ अत्यंत विविध और जटिल हैं। हाल ही में एक व्यापक शोध सर्वेक्षण में बड़े किसानों से उनके विचार जानने का प्रयास किया गया। इस सर्वेक्षण का मुख्य उद्देश्य यह समझना था कि उन्हें प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का लाभ क्यों नहीं मिलता और इस विषय पर उनकी प्रतिक्रिया क्या है। यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में केवल 2 हेक्टेयर तक की भूमि वाले किसान ही पात्र है, जबकि इससे अधिक भूमि वाले किसान अपात्र हैं, जिससे बड़े किसानों के बीच असंतोष बढ़ रहा है।
इस सर्वेक्षण से जो परिणाम सामने आए, वे वाकई चौंकाने वाले थे। अधिकांश बड़े किसानों ने स्पष्ट रूप से कहा, “हमें सीधे राशि की आवश्यकता नहीं है, बल्कि हमें यदि एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और फसलों का उचित दाम मिल जाए, तो वही हमारे लिए सबसे बड़ी सम्मान निधि होगी। यह बयान दर्शाता है कि किसान अल्पकालिक वित्तीय सहायता के बजाय दीर्घकालिक और स्थायी समाधान चाहते हैं, जो उन्हें आत्मनिर्भर बनने में मदद करे।
किसानों की वास्तविक जरूरतें
जमीनी स्तर पर किसानों की वास्तविक आवश्यकताएँ सरकारी धनराशि से कहीं अधिक हैं। उनकी प्राथमिकताएँ स्पष्ट है:
- न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी
- किसानों का मानना है कि यदि उनकी उपज का उचित मूल्य सुनिश्चित किया जाए, तो वे आत्मनिर्भर हो सकते हैं। प्रत्यक्ष धन हस्तांतरण अल्पकालिक राहत प्रदान करता है, जबकि निरंतर और न्यायसंगत मूल्य निर्धारण दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करता है।
- गुणवत्तापूर्ण कृषि इनपुट
- सर्वेक्षण से यह भी पता चला कि किसानों को आपूर्ति किए जाने वाले विभिन्न बीज और उपकरणों की गुणवत्ता अच्छी होनी चाहिए एवं समय में कृषि बीजो की उपलधता । उन्होंने निम्न गुणवत्ता वाले इनपुट की आपूर्ति पर चिंता व्यक्त की, जो उनकी उत्पादकता और आय को प्रभावित करते हैं।
- इसके अतिरिक्त, किसानों ने मंडियों में लगने वाले विभिन्न शुल्कों के बोझ को भी एक गंभीर समस्या के रूप में उजागर किया। उनका स्पष्ट मानना है कि इन शुल्कों में कमी से उनके शुद्ध लाभ में उल्लेखनीय वृद्धि होगी और बाजार तक उनकी पहुंच में सुधार होगा। मंडी शुल्क में कमी न केवल किसानों के लिए अधिक लाभकारी होगी, बल्कि इससे बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और उपभोक्ताओं को भी अपेक्षाकृत कम कीमतों पर गुणवत्तापूर्ण उत्पाद प्राप्त होंगे I
शोधकर्ता के विचार
डॉ. विनोद कुमार साहू, जो भारत सरकार के विज्ञानं प्रद्योगिकी मंत्रालय DST -STI नीति अनुसन्धान कार्यक्रम, अंतर्गत DST सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च ,आईआईटी इंदौर में पोस्ट डॉक्टोरेट शोधार्थी हैं, जो प्रोफ़ेसर मनीष गोयल एवं रूचि शर्मा के मार्गदर्शन में मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के किसानों की आजीविका और विभिन्न सरकारी योजनाओं तथा नवीन कृषि तकनीकों के प्रभाव का अध्ययन कर रहे हैं। उनके शोध के प्रारंभिक चरण में मध्य प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों के किसानों से व्यापक संपर्क किया गया, जिसमें छोटे, मध्यम और बड़े सभी प्रकार के किसानों के विचार जानने का प्रयास किया गया। इस अध्ययन से विभिन्न वर्गों के किसानों के अलग-अलग दृष्टिकोण और चुनौतियां सामने आईं, लेकिन एक बात जिस पर लगभग सभी किसान एकमत थे, वह थी उचित मूल्य की आवश्यकता।
डॉ. साहू अपने निष्कर्षों के आधार पर कहते हैं, “हमें यह गहराई से समझना होगा कि किसानों को अल्पकालिक वित्तीय सहायता नहीं, बल्कि एक दीर्घकालिक स्थिर आजीविका की आवश्यकता ग्रामीण कृषि क्षेत्र में है, जो उन्हें आत्मनिर्भर बना सके। इसके लिए हमें उनके उत्पादों के लिए न केवल उचित बाजार मूल्य सुनिश्चित करना होगा, बल्कि पूरी कृषि मूल्य श्रृंखला में सुधार करना होगा, जिससे बिचौलियों की भूमिका कम हो और किसानों को उनके श्रम का उचित मूल्य मिल सके।”
यह सर्वेक्षण भारतीय कृषि नीति में एक महत्वपूर्ण और गंभीर अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। जबकि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि जैसी प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण योजनाएँ हैं जो सीमांत एवं लघु किसानो को राहत प्रदान करती हैं , लेकिन किसानों की वास्तविक और दीर्घकालिक आवश्यकताएँ और इनपुट के आधार पर योजना को विस्तृत किया जाना चाहिए जिससे योजना के लाभ के उपरांत किसानो के उत्पाद हेतु पारदर्शी बाजार व्यवस्था, फसलों के लिए उचित और निश्चित मूल्य, तथा गुणवत्तापूर्ण कृषि इनपुट की सुगम उपलब्धता का परिपालन हो, तथा किसानो के हित हेतु संस्थागत परिवर्तन और दीर्घकालिक नीतिगत प्रतिबद्धता की आवश्यकता है।
कृषि क्षेत्र के विशेषज्ञों का स्पष्ट मानना है कि भारतीय कृषि में वास्तविक और स्थायी परिवर्तन तभी संभव है जब नीतियाँ किसानों के प्रत्यक्ष अनुभवों और सुझावों पर आधारित हो, उन्होंने कृषि आपूर्ति श्रृंखला में व्यापक संरचनात्मक सुधारों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर जोर दिया है, जिसमें भंडारण सुविधाओं का विकास, परिवहन नेटवर्क में सुधार और किसानों को सीधे उपभोक्ताओं से जोड़ने वाले डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की स्थापना आदि शामिल है।
निष्कर्ष
PMKISAN बहुत ही महत्वपूर्ण योजना है,जो की आर्थिक समृद्धि हेतु किसानो को बल प्रदान कर रही है, लेकिन किसानो के मत एवं सुझावों के अनुसार यह कहा जा सकता है कि किसानों को अस्थायी वित्तीय लाभों के बजाय स्थायी और दीर्घकालिक, लागत के अनुरूप एक ही प्लेटफार्म में किसानो के समाधान हेतु सहायता करने पर जोर देना होगा ताकि किसान को आत्मनिर्भर और समृद्ध बनने में PMKISANयोजना मानक सिद्ध हो I
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