राज्य कृषि समाचार (State News)

किसानों को बेहतर चना फसल के लिये कीट प्रबंधन की सलाह

27 जनवरी 2023, देवास: किसानों को बेहतर चना फसल के लिये कीट प्रबंधन की सलाह – किसानों को सलाह है कि वर्तमान में चने की फसल फूल एवं फली अवस्था में है और इसी अवस्था में चने की फसल में सबसे ज्यादा कीट एवं रोग का आक्रमण होता है, अतः चने में कीट एवं रोग प्रबंधन अवश्य करें ।

उप संचालक कृषि श्री आर.पी. कनेरिया ने बताया कि देवास जिले में रबी मौसम में चने की फसल लगभग 74 हजार 200 हेक्टेयर में बोई गई है। उन्होंने जिले के किसानों को सलाह दी है, कि वर्तमान में चने की फसल फूल एवं फली अवस्था में और इसी अवस्था में चने की फसल में सबसे ज्यादा कीट एवं रोग का आक्रमण होता है, अतः चने में कीट एवं रोग प्रबंधन अवश्य करें । चना फसल का मुख्‍य कीट चने की इल्ली (हेलिकोवर्पा आर्मीजेरा) है, जो 15-20 प्रतिशत हानि पहुंचाता है। यह कीट कोमल पत्तियों , फूल तथा फलियों में छेद कर दाने खाता है। इस कीट के प्रकोप को एकीकृत कीट प्रबंधन से रोका जा सकता है। नियंत्रण के लिए किसान खेत में प्रकाश प्रपंच एवं फेरोमेन प्रपंच लगावें। खेत में पक्षियों के बैठने के लिए अंग्रेजी अक्षर का टी-आकार की 50 खूटियां प्रति हेक्टर के हिसाब से समान अंतर पर लगाएं। नीम बीज सत 5 प्रतिशत का उपयोग करें। परजीवी रोगाणु ट्राइकोग्रामा आदि का उपयोग भी किया जा सकता है।

बताया गया कि श्यामा तुलसी व गेंदा के पौधे बीच में लगाने से इल्ली नहीं लगती। अन्तरवर्तीय फसलें लगाने से कीटों से नुकसान कम होता है। खेत के खरपतवार नष्ट करें तथा गर्मी में गहरी जुताई करे। चना में उकटा रोग का प्रकोप मुख्य रूप से होता है, इस रोग से पौधे मुरझा कर सूख जाते है, चना के अन्य रोग जैसे पद गलन या पद विगलन रोग जड सडन अल्टरनेरिया झुलसा रोग है। रोग नियंत्रण इस प्रकार करें। रोगी पौधे को निकाल कर जला दें । इस रोग से ग्रसित बीजों को काम में न लें। चने के साथ गेहूं, सरसों या अन्तरवर्तीय फसलों को बोयें। फसल को अधिक बढवार से बचायें। रोग का प्रकोप होने पर डायथेन एम. 45 का 40 ग्राम प्रति टंकी (15 लीटर) की दर से घोल तैयार कर छिडकाव करें।

महत्वपूर्ण खबर: कपास मंडी रेट (25 जनवरी 2023 के अनुसार)

(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़,  टेलीग्राम )

Advertisements