गेंदे की खेती से सीजनल आमदनी बढ़ाने का परिमल का फॉर्मूला
13 जनवरी 2025, रायपुर: गेंदे की खेती से सीजनल आमदनी बढ़ाने का परिमल का फॉर्मूला – छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के अंबिकापुर के चठिरमा गांव के किसान परिमल ने पारंपरिक खेती से हटकर गेंदे के फूलों की खेती में अपनी किस्मत आजमाई। इस फैसले ने न केवल उनकी आय में वृद्धि की बल्कि उन्हें इलाके में एक प्रगतिशील किसान के रूप में पहचान भी दिलाई।
तीन साल में सीखा फूलों की खेती का सही तरीका
श्री परिमल ने बताया कि पिछले तीन वर्षों से वे गेंदे के फूलों की खेती कर रहे हैं। शुरुआती दो साल जानकारी के अभाव में उनकी आय कम थी, लेकिन राष्ट्रीय बागवानी मिशन और उद्यानिकी विभाग की सहायता से उन्होंने खेती के उन्नत तरीकों को अपनाया। उन्हें विभाग से 1280 पौधों के साथ 6400 रुपये की अनुदान सहायता राशि मिली। इसके अलावा, समय-समय पर दवाओं के छिड़काव और नई तकनीकों की जानकारी दी गई।
परिमल ने ड्रिप सिंचाई पद्धति का उपयोग करते हुए अपने खेतों में बंपर उत्पादन हासिल किया। उनका कहना है कि आधुनिक तकनीकों ने न केवल उनकी लागत कम की बल्कि पैदावार भी दोगुनी कर दी।
गेंदे की खेती से बढ़ी आमदनी
परिमल के अनुसार, गेंदे की खेती का सबसे बड़ा लाभ यह है कि महज तीन महीने में फसल तैयार हो जाती है और इससे जल्दी आमदनी शुरू हो जाती है। उन्होंने अपने 0.400 एकड़ के खेत में गेंदे के फूल लगाए हैं। पहले प्रति सीजन उन्हें 15,000 से 20,000 रुपये तक की आय होती थी, लेकिन अब यह बढ़कर 45,000 से 50,000 रुपये तक पहुँच गई है।
परिमल बताते हैं कि त्योहारों और विशेष अवसरों पर गेंदे के फूलों की मांग बढ़ने से उनकी आमदनी में और वृद्धि होती है।
गेंदे की खेती परिमल जैसे किसानों के लिए एक नया रास्ता खोल रही है। कम समय में अधिक मुनाफा होने के कारण अब कई किसान पारंपरिक फसलों के बजाय बागवानी की ओर रुख कर रहे हैं। उद्यानिकी विभाग द्वारा समय-समय पर दी जाने वाली सहायता और तकनीकी जानकारी ने किसानों को इस ओर प्रेरित किया है।
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