पारिजात: सुगंध, औषधि और आस्था का अद्भुत संगम
01 अक्टूबर 2025, भोपाल: पारिजात : सुगंध, औषधि और आस्था का अद्भुत संगम – खंडवा कृषि महाविद्यालय परिसर का ‘पारिजात’ वृक्ष सिर्फ एक पौधा नहीं, बल्कि सुगंध, औषधि और संस्कृति का अनोखा उपहार है।
इस वृक्ष के सफेद फूलों की नारंगी झलक जब रात में खिलकर सुबह ज़मीन पर बिछ जाती है, तो पूरा वातावरण सौंदर्य और सुगंध से भर जाता है। यही कारण है कि इसे लोग न केवल प्रकृति का चमत्कार मानते हैं, बल्कि पूजा और श्रद्धा से भी जोड़ते हैं।
औषधीय और कृषि महत्व
पारिजात की पत्तियाँ और फूल कई रोगों की औषधि हैं। आयुर्वेद में इसका उपयोग बुखार, जोड़ों के दर्द, मलेरिया और त्वचा रोगों के उपचार में किया जाता है। इसके फूलों से प्राकृतिक रंग भी बनाया जाता है, जो कपड़ों और खाद्य उत्पादों में काम आता है।
सिर्फ औषधि ही नहीं, यह वृक्ष किसानों और पर्यावरण के लिए भी वरदान है। इसकी खुशबू और फूल मधुमक्खियों व तितलियों को आकर्षित करते हैं, जिससे आसपास की फसलों में परागण बढ़ता है और जैव विविधता भी सुरक्षित रहती है।
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
शास्त्रों में पारिजात का विशेष उल्लेख है। कहा जाता है कि यह वृक्ष समुद्र मंथन से उत्पन्न हुआ और भगवान कृष्ण ने इसे द्वारका में लगाया था। आज भी इसके फूल विष्णु, शिव और दुर्गा की पूजा में चढ़ाए जाते हैं। खासकर नवरात्र और शरद पूर्णिमा पर इसकी मांग बहुत रहती है।
रात को ही क्यों खिलते हैं फूल?
पारिजात के फूलों का रहस्य भी कम रोचक नहीं है। ये फूल रात को खिलते हैं क्योंकि इनके मुख्य परागणकर्ता रात में सक्रिय कीट-पतंगे होते हैं। ठंडी और नमी वाली रात में इसकी सुगंध दूर तक फैलती है। सुबह होते ही फूल ज़मीन पर गिर जाते हैं, ताकि पौधा अपनी ऊर्जा और नमी बचा सके। यही झरे हुए फूल लोगों की पूजा और रंग बनाने में काम आते हैं।
जैव विविधता और प्रेरणा
खंडवा कृषि महाविद्यालय का यह पारिजात वृक्ष न सिर्फ छात्रों के लिए अध्ययन और शोध का विषय है, बल्कि यह उन्हें प्रकृति से जुड़ाव और संरक्षण की प्रेरणा भी देता है। इसकी छाँव में बैठने वाला हर व्यक्ति एक अद्भुत शांति और ताजगी का अनुभव करता है।
सचमुच, पारिजात सिर्फ एक वृक्ष नहीं, बल्कि प्रकृति, आस्था और विज्ञान का सुंदर संगम है।
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