राज्य कृषि समाचार (State News)

गर्मी में ताप एवं लू से बचाये ‘पना’

10 अप्रैल 2025, भोपाल: गर्मी में ताप एवं लू से बचाये ‘पना’ – ग्रीष्म ऋतु में आयुर्वेदानुसार मनुष्य का स्वाभाविक बल क्षीण होता है एवं इसका अनुभव प्रत्यक्ष रूप से महसूस भी करते हैं। ग्रीष्म ऋतु में अत्यधिक ऊष्णता एवं शरीर से अत्यधिक पसीना निकलने से शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी होती है। शरीर में लू (सनस्ट्रोक) लगने का भय बना रहता है।

आयुर्वेदानुसार गर्मियों में मधुर, स्निग्ध, शीतल पचने में हल्के तथा द्रव (लिक्विड) पदार्थों का सेवन करना चाहिए। दूध, मिश्री, सत्तू, शीतल जल एवं पानक (पना) पीना लाभप्रद होता है। ग्रीष्म ऋतु में ऐसे व्यक्ति जो प्रतिदिन मद्यपान करते हैं वे व्यक्ति अल्पमात्रा में मद्यपान करें या अल्पमद्य में अधिक मात्रा जल मिलाकर लें, अधिक लाभप्रद यह है कि मद्यपान बिल्कुल न करें। ग्रीष्म ऋतु में आयुर्वेदानुसार मनुष्य का स्वाभाविक बल क्षीण होता है एवं इसका अनुभव प्रत्यक्ष रूप से महसूस भी करते हैं। ग्रीष्म ऋतु में अत्यधिक ऊष्णता एवं शरीर से अत्यधिक पसीना निकलने से शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी होती है।

आयुर्वेद में इस तरह के पानक (पना) के निर्माण की विधियाँ दी गई हैं, जो औषध गुणों के साथ-साथ गर्मियों में होने वाली जलन, ताप एवं लू, भूख की कमी आदि को दूर करते हैं एवं शरीर की थकावट को दूर करते हैं।

आम का पना – कच्चे आम को पानी में उबालकर, समलकर गुठली निकाल लें। उसमें दुगनी शक्कर, शीतल जल तथा अल्पमात्रा में कालीमिर्च एवं जीरा मिलाकर पीने से यह तत्काल बल एवं भोजन में रुचि बढ़ाता है। इसमें आवश्यकतानुसार सेंधा नमक मिलाया जा सकता है।

नींबू का पना – नींबू का रस 1 भाग, शक्कर 4-6 भाग लेकर दोनों को पकाकर चाशनी बनने पर आवश्यकता अनुसार अल्प मात्रा में लौंग एवं कालीमिर्च का चूर्ण डालें, आवश्यकतानुसार पानी मिलाकर पीने से यह ग्रीष्म ऋतु में भोजन के प्रति रुचि उत्पन्न करता है, भोजन को पचाता है एवं गर्मी में वात बढऩे से वात को नष्ट करता है।

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