पांढुर्ना के सहकारी समिति कर्मचारी कलमबंद हड़ताल पर
09 सितम्बर 2025, (उमेश खोड़े, पांढुर्ना): पांढुर्ना के सहकारी समिति कर्मचारी कलमबंद हड़ताल पर – मध्यप्रदेश सहकारिता कर्मचारी महासंघ, भोपाल के आह्वान पर मप्र के साथ ही पांढुर्ना जिले के सहकारी समिति ( पैक्स ) कर्मचारी भी अपनी तीन सूत्रीय मांगों को लेकर कलमबंद हड़ताल पर चले गए हैं । फिलहाल यह आंदोलन 8 से 24 सितंबर तक चलेगा। इस दौरान विभिन्न जिलों में कलेक्टर कार्यालय , उपायुक्त सहकारिता तथा जिला सहकारी बैंकों के समक्ष विरोध प्रदर्शन कर ज्ञापन दिया जाएगा। इसी कड़ी में पांढुर्ना जिले की 48 सहकारी समितियों के 280 कर्मचारी भी इस आंदोलन में शामिल हो गए और अपनी मांगों का ज्ञापन पांढुर्ना एसडीएम श्रीमती अलका एक्का को सौंपा।
उल्लेखनीय है कि सहकारी समिति ( पैक्स ) कर्मचारियों ने अपनी तीन सूत्रीय मांगों 60 % कर्मचारियों का जिला बैंकों में चयन ,अक्टूबर 2023 से 34 जिलों के प्रति विक्रेता को 18 माह का 54 हज़ार का तत्काल भुगतान करने तथा बढ़ा हुआ वेतन जिन जिलों के कर्मचारियों को नहीं मिल रहा है, उन्हें शासन के आदेश अनुसार प्रति माह तुरंत भुगतान करने को लेकर यह आंदोलन किया जा रहा है। सहकारी समिति कर्मचारियों का आक्रोश इस बात को लेकर है कि उक्त मांगों के आदेश प्रदेश स्तर से जारी हो चुके हैं , लेकिन जिला प्रशासन द्वारा उक्त आदेशों की अवहेलना की जा रही है। इसीलिए राज्य के सभी कर्मचारी आंदोलन के प्रथम चरण में 8 से 24 सितंबर तक सहकारी संस्थाओं एवं शासकीय उचित मूल्य की दुकानें बंद कर कलमबंद आंदोलन और धरना प्रदर्शन करेंगे। बता दें कि सहकारी समिति ( पैक्स ) कर्मचारियों की इस हड़ताल से जिले की राशन दुकानों पर राशन नहीं बंट पाएगा , वहीं किसानों को सहकारी समितियों से उर्वरक का वितरण भी नहीं हो पाएगा , जबकि इन दिनों किसानों को उर्वरक की बहुत ज़रूरत है। इससे किसानों की परेशानियां और बढ़ जाएंगी।
सहकारिता कर्मचारी संघ पांढुर्ना के अध्यक्ष श्री अशफाक कुरैशी ने कृषक जगत को बताया कि सहकारी समितियों के कर्मचारियों के हित में मप्र शासन द्वारा पहले ही आदेश जारी हो चुके हैं , लेकिन उनका जिला स्तर पर परिपालन नहीं हो रहा है। बार -बार ज्ञापन देने के बाद भी मांगें पूरी नहीं होने से राज्य के कर्मचारियों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है। प्रथम चरण में 8 से 24 सितंबर तक यह कलमबंद हड़ताल रहेगी। मांगें पूरी नहीं होने पर आगे की रणनीति राज्य संगठन के निर्देश अनुसार तय की जाएगी।
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