राज्य कृषि समाचार (State News)

पैडी ट्रांसप्लांटर

लेखक- दीपक चौहान (वैज्ञानिक-कृषि अभियांत्रिकी), डॉ. मृगेन्द्र सिंह द्य डॉ. अल्पना शर्मा, डॉ. बृजकिशोर प्रजापति द्य भागवत प्रसाद पंद्रे, कृषि विज्ञान केन्द्र, शहडोल

08 जुलाई 2024, भोपाल: पैडी ट्रांसप्लांटर –

धान रोपाई यंत्र:- हमारे देश में धान रोपाई मुख्यत: हाथ से की जाती है। हाथ से धान रोपाई करने में श्रम की अधिक आवश्यकता होती है जिससे मजदूरी भी तुलनात्मक रूप से अधिक हो जाती है। श्रमिक मुख्यत: महिलाएं कीचड़ वाले खेतों में धूप में एवं वर्षा में झुककर रोपाई का कार्य करती हंै साथ ही श्रमिकों की अनुपलब्धता तथा प्रतिकूल मौसम के दौरान इनकी कार्य दक्षता में कमी आ जाती है जिसे देखते हुए कम लागत पर बेहतर और तेजी से कार्य करने के लिये पेडी ट्रांसप्लांटर (धान रोपण यंत्र) से रोपाई अधिक उपयुक्त है।
स्वचालित सवार होकर चलाए जाने वाले रोपाई यंत्र में इंजन लगाया जाता है और यह 4 से 8 कतारों में धान की रोपाई करता है। इसमें कतार से कतार के बीज की दूरी 238 मि. मी. होती है तथा पौध से पौध की दूरी 100 से 120 मि. मी. के बीच होती है। इसके द्वारा एक दिन में एक हेक्टेयर खेत की रोपाई की जा सकती है। इसको चलाने के लिए एक प्रचालक एवं दो श्रमिकों की आवश्यकता होती है। पौध का उपयुक्त घनत्व प्राप्त करने के लिए पैडी ट्रांसप्लांटर रोपाई हेतु मशीन उपयोगी सिद्ध हुई है। इस मशीन का उपयोग करने से प्रति हेक्टेयर कार्य घंटे में 75 से 80 प्रतिशत श्रम की बचत होती है तथा हाथ से रोपाई की तुलना में 50 प्रतिशत लागत की कमी होती है। यांत्रिक धान रोपाई से पौध एक निश्चित स्थान पर लगते है जिससे पौध की बढ़वार अच्छी होती है तथा उपज भी उचित मात्रा में प्राप्त होती है।

पैडी ट्रांसप्लांटर से धान की रोपाई से लाभ:- जहाँ पैडी ट्रांसप्लांटर से धान रोपाई बहुत ही आसान है वहीं मशीन द्वारा 1 एकड़ की धान की रोपाई मात्र 2 से 3 घंटे में पूरा होता है एवं अपेक्षाकृत लागत भी कम आती है। पैडी ट्रांसप्लांटर मशीन से मैट टाइप नर्सरी तैयार करने से उत्पादन में भी 10 से 12 प्रतिशत बढ़ोतरी भी होती है। पैडी ट्रांस्प्लान्टर से रोपाई करने में जहाँ कम श्रमिकों की आवश्यकता पड़ती है वहीं इससे बीज की बचत एवं निंदाई, गुड़ाई एवं कटाई आदि कार्य भी आसानी से किये जा सकते हैं।

पैडी ट्रांसप्लांटर मशीन से रोपाई विधि:– नर्सरी तैयार करने की विधि बहुत ही सरल है सबसे पहले मेट टाईप नर्सरी तैयार करना होता है। पॉलीथिन के ऊपर फ्रेम की सहायता से गीली मिट्टी डालकर बराबर मात्रा में अंकुरित धान को छिड़का जाता है इसके लिए प्रति एकड़ लगभग 7 से 8 किलो ग्राम धान के बीज की आवश्यकता होती है। नर्सरी 15 से 18 दिन में मशीन से रोपाई हेतु तैयार हो जाती है। मशीन रोपाई हेतु खेत की उथली मताई रोपा के 4 से 5 दिन पहले करनी होती है, 1 एकड़ धान की मशीन से रोपाई हेतु मात्र 2 से 3 घंटे का समय लगता है एवं मजदूर मात्र 3 से 4 की आवश्यकता होती है। जबकि परंपरागत विधि से धान रोपाई में 15 से 20 मजदूर लगते हैं एवं लागत भी ज्यादा होती है।

खेत की मचाई (पडलिंग):- मशीन से धान की रोपाई करने के लिए खेत की उथली मचाई करना आवश्यक है। जिससे पौधे की अच्छे से रोपाई हो सके। इस विधि से पौधे की जड़ आसानी से मिट्टी को पकड़ लेती है एवं उनकी वृद्धि भी अच्छी होती है। खेत में मचाई करने के लिए खेत में नमी हो तब खेत की अच्छी तरह से जुताई करें, जुताई करने के बाद खेत को समतल कर खेत के चारो तरफ मेड़ बनायें, उसके बाद खेत में 50 मि. मी. तक पानी भरकर 24 घंटे तक रखें। फिर पडलर की सहायता से एक बार सीधा एवं एक बार आड़ा अच्छी तरह से चलायें जिससे मिट्टी व पानी अच्छी तरह से मिल जाए। यह ध्यान रखें की उथली मचाई के लिए 50-100 मि. मी. से अधिक गहराई तक मचाई न करें।

खेत में मचाई का तरीका:-

  • मिट्टी में हल्की नमी होने पर लगभग 80 – 100 मि. मी. गहराई तक जुताई करें।
  • खेत को समतल करें तथा खेत के चारों तरफ मेड़ बनाएं।
  • खेत में 24 से 36 घंटों तक पानी भरकर रखें जिससे खेत की मिट्टी पूर्ण रूप से गीली हो जाए।
  • खेत में मचाई के दौरान लगभग 100 मि. मी. तक पानी भरा रहे।
  • खेत में मचाई के लिए उन्नत पडलर का प्रयोग करें एवं खेत से खरपतवार बाहर करें।
  • खेत में मचाई के बाद मिट्टी के कणों को स्थिर होने के लिए 24 से 36 घंटों तक या आवश्यकतानुसार छोड़ दें ताकि ऊपर की सतह सख्त हो जाये।
  • मिट्टी की ऊपरी सतह सख्त होने के बाद उर्वरक का प्रयोग करें।
  • धान की रोपाई के समय खेत में 50 मि. मी. यानि 2 इंच तक पानी हो।
  • अच्छी तरह से खेत की मचाई न होने पर रोपाई यंत्र से रोपण करने में निम्न कठिनाइयां होती हैं।
  • मिट्टी रोपण यंत्र की फिंगर में चिपक जाती है।
  • कीचड़ युक्त मिट्टी का बहाव एक तरफ होने से किनारों की तरफ रोपित पौधे मिट्टी में दब जाते हंै।
  • अधिक गहराई तक मचाई करने पर मशीन का पहिया मिट्टी में धंस जाता है जिससे मशीन आगे नहीं बढ़ पाती है।
  • अधिक गहराई तक मचाई करने पर रोपित पौध मिट्टी में कभी-कभी डूब जाते हंै।
  • मशीन की फिंगर में खरपतवार, मिट्टी कंकड़ आदि फंस जाते हंै।
  • मचाई किया गया खेत समतल न होने पर पानी सामान गहराई पर नहीं रहता है जिससे रोपाई करते समय पानी के बहाव से रोपित पौधे उखड़ जाते है।

चटाईनुमा नर्सरी की तैयारी:- धान की यांत्रिक रोपाई के लिये चटाईनुमा नर्सरी की जरुरत होती है। धान रोपाई यंत्र द्वारा अच्छी रोपाई मुख्य रूप से चटाईनुमा पौध पर निर्भर करती है अत: अच्छी चटाईनुमा पौध तैयार करना अति आवश्यक है ताकि आसानी से रोपाई यंत्र की ट्रे में रखी जा सके। इसके लिए जब पौध में 20-22 दिनों में 3-4 पत्तियां आ जाती हैं तब धान रोपाई यंत्र से रोपाई की जाये। धान रोपाई यंत्र से रोपाई के लिये पौध की लम्बाई, तने की मोटाई, पौध की उम्र इत्यादि को ध्यान में रखना आवश्यक होता है।


चटाईनुमा नर्सरी की तैयारी:-

मिट्टी तैयार करना:- चटाईनुमा धान नर्सरी तैयार करने के लिये मिट्टी का मिश्रण बनाना अति आवश्यक है, जिससे पौधे को उचित मात्रा में पोषक तत्व प्राप्त हो सके तथा पौधे की जड़ें एक दूसरे में अच्छे से लिपट जाएं। मिट्टी का मिश्रण बनाने के लिये मिश्रण का अनुपात मृदा के कणों के आकार के कारण बदल भी सकता है। भूमि की ऊपरी सतह की मिट्टी को इकठ्ठा कर उसे सूखा लेना चाहिए फिर उस मिट्टी को भुरभुरा कर 4-6 मि. मी. छिद्र के आकार की छन्नी से छान लेते हैं। एक हेक्टेयर की रोपाई करने के लिए साधारणत: एक टन मृदा के मिश्रण की आवश्यकता पड़ती है।
नर्सरी बैड:- नर्सरी बैड को हमेशा समतल भूमि में बनायें एवं उठी हुई मेड़ एवं नाली बने जिससे सिंचाई आसानी से की जा सकती है। नर्सरी बैड को पूर्ण रूप से समतल व सख्त हो। बेड की चौड़ाई 1- 2 मीटर रख सकते हंै जिसमे दो फ्रेम आसानी से बिछाई जा सके। एक हेक्टेयर में रोपाई करने के लिये नर्सरी बैडका क्षेत्रफल 100 वर्ग मीटर पर्याप्त है। इसमें लगभग 400 चटाईनुमा आयताकार फ्रेम उपयुक्त होता है। फ्रेम उपलब्ध न होने पर समतल भूमि में प्लास्टिक की पन्नी बिछाकर 1 इंच मोटी मिट्टी की परत बिछा कर नर्सरी उगाई जा सकती है। जिसे रोपाई के समय मशीन की ट्रे की आकार में काटा जा सकता है।
बीज की तैयारी:- चटाईनुमा पौधे तैयार करने के लिए 15-20 किलो प्रति हेक्टेयर बीज की आवश्यकता होती है। किसानों को हमेशा उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का चुनाव करना चाहिए। बीज को एक प्रतिशत नमक के घोल में डाल कर रखे जिससे खराब बीज पानी के ऊपर तैरने लगता है ऊपर आने वाले बीज को अलग कर लें। अच्छे बीज को पानी से दो-तीन बार साफ कर लें। एक दिन के लिए बीज को पानी में डुबोकर रखेें उसके बाद बीज को जुट के बोर में ढक कर रखें ऐसा करने पर बीज जल्दी अंकुरित हो जाता है।
बीज की बुवाई:- लगभग 200 गेज मोटाई की पॉलीथिन शीट में 5-6 जगह छेद कर उसे बेड के ऊपर बिछा देते है। पॉलीथिन बिछाने के बाद 15 मि. मी. मृदा के मिश्रण बिछाने एवं स्क्रेपर की सहायता से समतल सतह बनाई जाती है। इसके ऊपर अंकुरित बीज 200-250 ग्राम प्रति चटाई की माप से सामान रूप से फैलाएं। बुवाई करने के बाद बोए हुवे बीज को मिट्टी के मिश्रण की लगभग 5 मि. मी. पतली परत से ढक दें। इसके बाद जुट की बोरी से ढंक दें।
रोपनी से चटाईनुमा पौध तो उठाना:- लगभग 20 से 22 दिन में चटाईनुमा पौध रोपाई के लिए तैयार हो जाता है इस समय पौध में 3-4 पत्तियां आ जाती है तथा ऊंचाई लगभग 15 सेमी. हो जाती है। फ्रेम में पौध तैयार करने पर चटाईनुमा पौध को आवश्यक साईज में दोनों हाथों उठाकर धान रोपण यंत्र के प्लेट में सीधे रख दे या यदि बिना फ्रेम के पौध तैयार की गई हो तो प्लेट के चौड़ाई के अनुसार चटाईनुमा नर्सरी को काट कर रख लें।
चटाईनुमा पौध को प्लेट में रखने की विधि:-

  • पौध को प्लेट में रखने के पूर्व पौध दबाने की रोड को हटा लिया जाता है और पौध रखने के बाद रोड को पुन: वही लगा दिया जाता है।
  • पौध प्लेट में पौध जब आधी रह जाये तो प्लेट पुन: भर दिया जाये जिससे पौध से पौध की दूरी एक सामान बानी रहे।
  • चटाईनुमा पौध को ठीक से उठायें ताकि इसे मशीन की प्लेट में ठीक से बिना टूटे रखा जा सके।
    द्य चटाईनुमा पौध को प्लेट आसानी से सरकते हुए प्रवेश करें।
  • यदि पौध प्लेट में अधिक समय तक रखी हो तो उसे प्लेट से निकाल लें और प्लेट में चिपकी मिट्टी को साफ कर दें ताकि पौध को पुन: प्लेट में आसानी से रखा जा सके।

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