कृषि शिक्षा को गैर कृषि महाविद्यालय से संचालित करने के आदेश का विरोध
इंदौर में कृषि छात्रों ने पैदल मार्च निकालकर ज्ञापन सौंपा
03 जुलाई 2024, इंदौर: कृषि शिक्षा को गैर कृषि महाविद्यालय से संचालित करने के आदेश का विरोध – कृषि स्नातक पाठ्यक्रम को गैर कृषि महाविद्यालय अर्थात परंपरागत विश्वविद्यालय में संचालित करने का आदेश देने के विरोध में कृषि छात्र कृषि महाविद्यालय से पैदल मार्च करते हुए इंदौर कलेक्टर कार्यालय पहुंचे। कृषि शिक्षा बचाओ की तख्तियां अपने हाथ में लिए छात्रों ने नारेबाजी प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री व केंद्रीय कृषि मंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा । कृषि छात्रों का आरोप है कि मध्यप्रदेश सरकार कृषि अनुसंधान, कृषि विश्वविद्यालय को समाप्त कर कृषि महाविद्यालय की जमीन छीनना चाहती है। मध्य प्रदेश में अभी तक कृषि स्नातक पाठ्यक्रम को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद जो कि दिल्ली में स्थित है, के द्वारा संचालित कराया जाता है। यही स्थिति पूरे देश में है, किंतु मध्य प्रदेश सरकार ने इसे परंपरागत विश्वविद्यालय में संचालित करने का आदेश दिया है। जिसका विरोध छात्र कर रहे हैं ।
एग्री अंकुरण वेलफेयर एसोसिएशन के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री रंजीत किसानवंशी ने बताया कि सरकार कृषि शिक्षा के अस्तित्व को समाप्त करना चाहती है ऐसा लगता है सरकार की रुचि कृषि अनुसंधान में न होकर कृषि की डिग्रियां बांटने में है। सरकार से मांग तो यह हो रही थी कि नए कृषि महाविद्यालय अलग-अलग जिलों में स्थापित किए जाएं जहां पर कृषि अनुसंधान हो और उस अनुसंधान को देखकर सीख कर कृषि स्नातक तैयार हो, किंतु सरकार की इस नई नीति से कृषि अनुसंधान समाप्त होगा साथ ही कृषि विश्वविद्यालय भी अप्रासंगिक होकर समाप्त हो जाएंगे सरकार भी ऐसा ही चाहती है जब कृषि महाविद्यालय अप्रासंगिक हो जाएंगे तब सरकार इनकी जमीन को छीन लेगी । वहीं दूसरी ओर परंपरागत विश्वविद्यालय से कौशल विहीन कृषि स्नातक तैयार होंगे जो आगे चलकर किसानों का नुकसान कराएंगे ।
सरकार से गंभीर सवाल – श्री किसानवंशी ने सरकार से कुछ गंभीर सवाल किए हैं, जैसे कृषि स्नातक पाठ्यक्रम का संचालन मध्य प्रदेश का उच्च शिक्षा विभाग कराएगा तब अलग से भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की स्थापना क्यों की गई ?अलग से कृषि विश्वविद्यालय व कृषि महाविद्यालय की स्थापना क्यों की गई ? कृषि विश्वविद्यालय व महाविद्यालय के लिए आईसीएआर एक्रीडिटेशन अनिवार्य क्यों किया गया, यदि उच्च शिक्षा विभाग को यह अधिकार है तो ?क्या चिकित्सा शिक्षा ( एमबीबीएस ) को यूजीसी से मान्यता प्राप्त मध्यप्रदेश के सभी शासकीय महाविद्यालय में संचालित किया जा सकता है । यदि नहीं तो फिर कृषि शिक्षा को क्यों ? सरकार के इस फैसले से आने वाले समय में एक कुशल कृषि विशेषज्ञों के अधूरे ज्ञान से संपूर्ण मानव समाज अशुद्ध कृषि उत्पादों के खान-पान से गंभीर बीमारियों की चपेट की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है। सरकार का यह आदेश पूर्णतः अनुचित है, क्योंकि कृषि स्नातक पाठ्यक्रम एक तकनीकी शिक्षा है, जिसका संचालन व नियंत्रण भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद दिल्ली द्वारा किया जाता है। इससे यह स्पष्ट होता है यह आदेश देने का अधिकार उच्च शिक्षा विभाग को नहीं है । कृषि कॉलेज में कृषि स्नातक पाठ्यक्रम को संचालित करने हेतु नियमावली बनाई हुई है, जिसकी अनदेखी करके उच्च शिक्षा विभाग द्वारा यह आदेश देना पूर्णतः अनुचित है।राष्ट्रीय स्तर पर मेडिकल की काउंसिल स्थापित है, उसी के समतुल्य कृषि शिक्षा के लिए भी काउंसिल स्थापित है। ऐसे में उच्च शिक्षा विभाग कल को परंपरागत विश्वविद्यालय में भी मेडिकल की शिक्षा प्रारंभ करने का आदेश दे देगा। वस्तुतः यह आदेश राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में ही नहीं आता है। अतः इस पर रोक लगाना आवश्यक है , अन्यथा कई नुकसान मध्य प्रदेश में होंगे। जिनमें कृषि अनुसंधान को नुकसान,मध्य प्रदेश के किसानों व खेती को नुकसान,कृषि विश्वविद्यालय को नुकसान,कृषि शिक्षा व कृषि छात्रों को नुकसान पर विस्तार से प्रकाश डाला और मुख्यमंत्री से कृषि शिक्षा को गैर कृषि महाविद्यालय में संचालित करने के आदेश को रद्द करने की मांग की गई है।
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