कभी बोते थे धान, अब गुलाब की खेती से कमाते हैं ₹10 लाख सालाना! जानें छत्तीसगढ़ के किसान की कहानी
23 जुलाई 2025, भोपाल: कभी बोते थे धान, अब गुलाब की खेती से कमाते हैं ₹10 लाख सालाना! जानें छत्तीसगढ़ के किसान की कहानी – कभी परंपरागत तरीके से धान की खेती करने वाले सरगुजा जिले के किसान दिनेश कुमार सिंह ने जब गुलाब की खेती शुरू की, तो उन्हें खुद भी अंदाजा नहीं था कि यह फैसला उनकी ज़िंदगी बदल देगा। आज दिनेश दो एकड़ जमीन में पॉली हाउस की मदद से डच गुलाब की उन्नत किस्में उगा रहे हैं। हर दिन वे 5,000 से ज्यादा गुलाब के फूल तैयार कर लाखों रुपये की कमाई कर रहे हैं। उनकी इस सफलता ने आसपास के किसानों को भी प्रेरित किया है कि कैसे परंपरागत खेती से आगे बढ़कर नवाचार और आधुनिक तकनीक से खेती को एक नया आयाम दिया जा सकता है।
धान की खेती से नहीं मिल रहा था फायदा
पहले दिनेश कुमार सिंह भी अन्य किसानों की तरह धान की खेती करते थे। इसमें मेहनत और लागत तो बहुत थी, लेकिन आमदनी काफी कम थी। हर साल मौसम पर निर्भर यह खेती नुकसान की आशंका भी साथ लाती थी। इसी दौरान उन्हें उद्यानिकी विभाग से गुलाब की खेती की जानकारी मिली और उन्होंने पॉली हाउस बनाकर फूलों की खेती करने का निश्चय किया।
पॉली हाउस से खेती, मिला नाबार्ड और विभाग का सहयोग
दिनेश ने नाबार्ड से ₹63 लाख की आर्थिक सहायता और उद्यानिकी विभाग से तकनीकी मार्गदर्शन प्राप्त किया। कुल लगभग ₹1.30 करोड़ की लागत से पॉली हाउस बनाया गया, जिसमें से ₹93 लाख का लोन बैंक से लिया गया। इस पॉली हाउस में उन्होंने डच रोज़, जुमेलिया और टॉप सीक्रेट प्रजातियों के गुलाब लगाए।
आधुनिक तकनीक से बेहतर उत्पादन
पॉली हाउस में साल भर गुलाब की खेती की जा सकती है। सिंचाई के लिए ड्रिप सिस्टम, तापमान नियंत्रित करने के लिए फोगर सिस्टम और पौधों की देखभाल के लिए प्रशिक्षित माली द्वारा ‘वाइंडिंग’ की प्रक्रिया अपनाई जाती है। कमजोर कलियों को काटकर दो नई कलियां विकसित की जाती हैं, जिससे फूलों की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों बढ़ते हैं।
गुलाब की बढ़ती मांग और मुनाफा
दिनेश बताते हैं कि गुलाब की मांग पूरे साल बनी रहती है। सामान्य दिनों में एक गुलाब की कीमत ₹4 से ₹5 होती है, जबकि शादी और त्योहारों के मौसम में यही कीमत ₹15 से ₹20 तक पहुंच जाती है। उनके गुलाब की मांग सिर्फ छत्तीसगढ़ में ही नहीं, बल्कि ओडिशा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों से भी लगातार ऑर्डर मिलते हैं।
शासन की योजनाओं से मिली मदद
राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत दिनेश को पॉली हाउस, ड्रिप सिस्टम और अन्य ज़रूरी उपकरणों के लिए शासन की ओर से सहायता मिली। उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों ने उन्हें उन्नत तकनीक और खेती की पूरी जानकारी दी, जिससे उनकी खेती एक व्यवस्थित व्यवसाय बन सकी।
गुलाब से आत्मनिर्भरता और संतोष
दिनेश कहते हैं कि गुलाब की खेती सिर्फ आर्थिक रूप से ही नहीं, मानसिक रूप से भी सुकून देने वाली है। जहां परंपरागत खेती में मौसम और बाजार की अनिश्चितता रहती थी, वहीं गुलाब की खेती में कम समय, कम पानी और सीमित संसाधनों में बेहतर आमदनी मिल रही है। सिर्फ एक साल में उन्होंने लगभग ₹10 लाख का शुद्ध मुनाफा कमाया है।
दूसरे किसानों के लिए प्रेरणा बने दिनेश
आज दिनेश सिंह की यह सफलता पूरे सरगुजा जिले के किसानों के लिए एक मिसाल बन चुकी है। उन्होंने साबित किया है कि अगर तकनीक और योजना का सही उपयोग किया जाए, तो किसान भी लाखों की कमाई कर सकते हैं और अपने जीवन को नई दिशा दे सकते हैं।
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