एआई से बदल रही खेती: भोपाल में तीन दिन के प्रशिक्षण ने खोले नए रास्ते
10 अप्रैल 2025, भोपाल: एआई से बदल रही खेती: भोपाल में तीन दिन के प्रशिक्षण ने खोले नए रास्ते – क्या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग (AI/ML) खेती का भविष्य बदल सकते हैं? इसी सवाल पर मंथन के लिए मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, भोपाल में तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में देश के विभिन्न राज्यों से आए वैज्ञानिकों, कृषि विभागों, रिमोट सेंसिंग विशेषज्ञों और बीमा कंपनियों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
प्रशिक्षण का फोकस एआई/एमएल तकनीकों की मदद से कृषि उपज का मॉडलिंग और अनुमान लगाने पर था। इस दौरान विशेषज्ञों ने इन तकनीकों की व्यवहारिक उपयोगिता, चुनौतियाँ और संभावनाओं पर विस्तृत जानकारी साझा की।
पहले दिन की खास बातें
पहले दिन डॉ. सुनील दुबे (उप निदेशक, एमएनसीएफसी, भारत सरकार) ने ‘यस-टेक’ परियोजना के कार्यान्वयन, प्रगति और राज्यों में सामने आ रही चुनौतियों पर बात की। उन्होंने बताया कि किस तरह यह परियोजना कृषि में तकनीकी हस्तक्षेप के जरिए उपज अनुमान को और सटीक बनाने की कोशिश कर रही है।
वहीं, एआई/एमएल विशेषज्ञ ऋषभ सक्सेना ने फसल उपज अनुमान मॉडल में न्यूरल नेटवर्क और रैंडम फॉरेस्ट जैसी तकनीकों के इस्तेमाल की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि किस तरह क्रॉस वैलिडेशन जैसी विधियाँ त्रुटियों की पहचान में मदद करती हैं।
डॉ. नीतू (वैज्ञानिक, आरआरएससी, नई दिल्ली) ने उपग्रह डेटा से फसल मानचित्रण की आधुनिक तकनीकों को साझा किया, जबकि डॉ. करुण कुमार चौधरी (एनआरएससी) ने बताया कि बीमा इकाइयों के साथ मिलकर कैसे रिमोट सेंसिंग और एआई/एमएल का उपयोग फसल आंकलन में किया जा रहा है।
ध्यान देने वाली बात यह रही कि व्यावहारिक प्रशिक्षण भी दिया गया, जिसमें डेटा डाउनलोडिंग और प्रोसेसिंग जैसे ज़मीनी कार्य शामिल रहे। यह सत्र ASD टीम और मनोज पटीदार द्वारा संचालित किया गया।
दूसरे दिन राज्यों ने बांटे अपने अनुभव
दूसरे दिन राज्यों ने अपने अनुभव साझा किए। राजस्थान में सोयाबीन की उपज पर एआई/एमएल मॉडलिंग पर डॉ. जी.डी. बैरागी ने प्रेजेंटेशन दिया।
ओडिशा ने “क्रॉप हेल्थ फैक्टर” आधारित मॉड्यूल पर काम की जानकारी दी, उत्तर प्रदेश ने एग्री-बाजार प्लेटफॉर्म के ज़रिए परियोजना लागू करने के अनुभव साझा किए, जबकि कर्नाटक और हरियाणा ने क्रमशः सिमुलेशन मॉडल और मोबाइल एप आधारित फसल आंकलन तकनीकों को प्रस्तुत किया।
समापन सत्र में क्या रहा अहम?
समापन सत्र में ISRO/NRSC के महानिदेशक डॉ. प्रकाश चौहान, MPCST के डॉ. अनिल कोठारी और क्रॉप इंश्योरेंस निदेशक श्री चंद्रजीत चटर्जी ने अपनी बातें रखीं। उन्होंने कहा कि एआई/एमएल जैसी तकनीकों को खेती के क्षेत्र में अपनाना अब आवश्यकता बनता जा रहा है।
प्रतिनिधियों ने अपने राज्यों में इन तकनीकों के लागू किए जाने की इच्छा जताई, साथ ही साझा किया कि किस तरह ये मॉडलिंग भविष्य में किसानों के लिए निर्णय लेने की प्रक्रिया को सशक्त बना सकते हैं।
यह प्रशिक्षण कार्यक्रम तकनीकी ज्ञान और अनुभव के आदान-प्रदान का एक मंच बना, जहाँ खेती के भविष्य को वैज्ञानिक सोच और तकनीक के साथ जोड़ने की कोशिश की गई। हालांकि इन तकनीकों की ज़मीनी उपयोगिता, किसानों तक पहुंच और डेटा की विश्वसनीयता जैसे सवाल अभी भी विचारणीय हैं।
फिलहाल ये साफ है कि कृषि और एआई/एमएल का मेल नीति निर्माताओं, वैज्ञानिकों और तकनीकी विशेषज्ञों के लिए एक बड़ी प्राथमिकता बन चुका है।
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