राज्य कृषि समाचार (State News)संपादकीय (Editorial)

बीजों की नई किस्म और टेक्नालॉजी कंपनियों को मुफ्त नहीं मिलेगी

  • शशिकांत त्रिवेदी, वरिष्ठ पत्रकार,
    मो. : 9893355391

29 दिसम्बर 2022, भोपाल । बीजों की नई किस्म और टेक्नालॉजी कंपनियों को मुफ्त नहीं मिलेगी – किसानों के लिए अच्छी खबर है। अब निजी कम्पनियाँ या सार्वजनिक एजेंसियाँ भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) या कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा विकसित नए बीज या कोई भी खेती से सम्बंधित प्रौद्योगिकी निवेश किए बिना व्यावसायिक लाभ के लिए उन्हें बढ़ाने और बिक्री करना आसान नहीं होगा। इसे अब आईसीएआर द्वारा एक नई बौद्धिक संपदा प्रबंधन व्यवस्था विकसित करके सुगम बनाने की मांग की गई है जो लाभ साझा करने के प्रावधानों के साथ अपनी प्रौद्योगिकी के सुचारू रूप से हस्तांतरण और व्यावसायीकरण की अनुमति देगा।

हालांकि, खेती से सम्बंधित किसी भी प्रौद्योगिकी का अंतिम उपयोगकर्ता ज्यादातर किसान ही होता है इसलिए शोध करने वाले संस्थानों को सार्वजनिक या निजी एजेंसियों की भागीदारी आवश्यक होती है इसलिए इस उद्देश्य के लिए गठित समिति ने प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण और व्यावसायीकरण के अलावा बौद्धिक संपदा प्रबंधन के लिए विस्तृत दिशा-निर्देशों वाला मसौदा जारी किया है।

यह मसौदा निजी, सार्वजनिक और अन्य एजेंसियों को आईसीएआर द्वारा विकसित पौधों की किस्मों के बीजों को अपने स्वयं के व्यापार चिह्न या व्यापार नाम के तहत कुछ शर्तों के साथ बढ़ाने और बेचने की अनुमति देने के बारे में है। हाल ही में बीजों से सम्बंधित पारित एक कानून पौधा किस्म संरक्षण और किसान अधिकार अधिनियम, 2001  (Plant Varieties Protection and Farmers Rights Act, 2001) के लिए सभी नई किस्मों के पंजीकरण अब अनिवार्य है। इसके बिना बीजों की बिक्री करना संभव नहीं होगा। इसके लिए निजी कंपनियों आदि को नई किस्म, जिनमे संकर किस्म के बीज भी शामिल होंगे, घरेलू बाजार या विदेश में व्यावसायीकरण के लिए लाइसेंस जारी किए जाएंगे।

हालांकि, लाइसेंस धारकों को बीज के सभी पैकेटों पर पंजीकृत मूल्यवर्ग के उपयोग के साथ-साथ अपने स्वयं के व्यापार चिह्न, आईसीएआर के सामूहिक चिह्न या संस्थान के व्यापार चिह्न का उपयोग करना होगा। बीज व्यवसाय में विदेशी ग्राहक, जो अन्य देशों में आईसीएआर बीजों के व्यावसायीकरण में रुचि रखते हैं, उन्हें अपने-अपने देशों में आईसीएआर की किस्मों का संरक्षण सुरक्षित करना होगा।

बीते 1990 के दशक के अंत तक, देश में कृषि प्रौद्योगिकी से संबंधित कोई विशिष्ट बौद्धिक संपदा नीति नहीं थी, हालांकि कुछ सामान्य कानूनी उपाय जैसे पेटेंट अधिनियम, 1970, व्यापार चिह्न अधिनियम, 1999, और कुछ अन्य कृषि क्षेत्र पर भी शिथिल रूप से लागू होते थे। अभी तक भारत में कृषि अनुसंधान में संबंध में मुख्य रूप से प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण पर जोर दिया गया था न कि प्रौद्योगिकी के व्यावसायीकरण पर। और इस प्रक्रिया में बौद्धिक संपदा के संरक्षण की आवश्यकता महसूस नहीं की गई।

लेकिन निजी क्षेत्र पिछले कुछ बर्षों में खेती से सम्बंधित शोध में अच्छा निवेश कर रहा है और अपने उत्पादों और प्रौद्योगिकी को बौद्धिक संपदा अधिकारों से संरक्षित और सुरक्षित कर रहा है। वहीं भारत ने कई नए वैश्विक समझौतों और सम्मेलनों पर हस्ताक्षर किये हैं। इसलिए यह जरूरी हो गया था कि आईसीएआर अपनी तकनीक को भी इन्ही बौद्धिक सम्पदा कानूनों के अंतर्गत सुरक्षित करे। हालांकि, यह बड़े पैमाने पर आपसी समझौतों के अलावा दिशा-निर्देशों, आदेशों या निर्देशों के माध्यम से करने की मांग की गई थी। लेकिन उस तरह के दृष्टिकोण ने अनुसंधान संस्थानों के लिए उनके द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों के माध्यम से राजस्व उत्पन्न करने के लिए बहुत अधिक गुंजाइश नहीं छोड़ी। इस तरह का राजस्व न केवल प्रौद्योगिकी उत्पादन की लागत को आंशिक रूप से कवर करने के लिए उपयोगी है बल्कि वैज्ञानिकों को और अधिक नवाचारों के साथ आने के लिए प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए भी उपयोगी है।

इसलिए, आईसीएआर और उसके संस्थान आनुवांशिक सामग्री का उपयोग करके किसी अन्य एजेंसी, कंपनी या ब्रीडर द्वारा विकसित संरक्षित किस्म की बीज बिक्री पर भी रॉयल्टी लेंगे। पीवीपी और एफआर अधिनियम के तहत ऐसी रॉयल्टी की अनुमति है। आईसीएआर के बीजों या प्रौद्योगिकी के व्यावसायीकरण से होने वाली शुद्ध कुल आय को आईसीएआर मुख्यालय, विकासकर्ता संस्थान और नवप्रवर्तक वैज्ञानिकों द्वारा साझा किया जाएगा। इसका एक हिस्सा अनुसंधान सुविधाओं को मजबूत करने और आईसीएआर कर्मचारियों के कल्याण के लिए उपयोग किया जाएगा। बेशक, अनुसंधान उद्देश्यों के लिए अन्य द्वारा आईसीएआर की सभी पंजीकृत किस्मों और आनुवांशिक स्टॉक के उपयोग के लिए रॉयल्टी से छूट होगी।

प्रस्तावित नीति का एक अन्य महत्वपूर्ण प्रावधान कृषि अनुसंधान के उद्देश्य के लिए निजी क्षेत्र के साथ आईसीएआर और उसके संस्थानों के बीच साझेदारी से संबंधित है। इसके लिए उद्योग को आईसीएआर के बुनियादी ढांचे का उपयोग करने के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अनुबंध अनुसंधान, अनुबंध सेवाओं के माध्यम से और आईसीएआर संस्थानों में मुख्य साझा सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए उपयोग करने की अनुमति दी जाएगी। इससे किसानों को मिलने वाले बीज के बारे में पूरी-पूरी जानकारी होगी।

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