पौध किस्म संरक्षण एवं कृषक अधिकार पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित
11 जनवरी 2025, इंदौर: पौध किस्म संरक्षण एवं कृषक अधिकार पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित – आईसीएआर-राष्ट्रीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान (पूर्व में भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान) इंदौर की प्रौद्योगिकी प्रबंधन इकाई (आईटीएमयू) द्वारा कृषि विज्ञान केंद्र, कस्तूरबा ग्राम, इंदौर के सहयोग से गत दिनों हाइब्रिड मोड में ‘पौध किस्म संरक्षण में कृषक समुदाय के लिए कृषक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 2001 की भूमिका ‘ पर एक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। संगोष्ठी के मुख्य वक्ता भारत सरकार के कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के पीपीवीएंड एफआर के रजिस्ट्रार जनरल डॉ दिनेश कुमार अग्रवाल थे। सत्र की अध्यक्षता सोयाबीन संस्थान इंदौर के निदेशक डॉ केएच सिंह ने की। आईटीएमयू, एनएसआरआई के नोडल अधिकारी डॉ एमपी शर्मा संयोजक और केवीके, कस्तूरबाग्राम,इंदौर के डॉ आरएस टेलर सह-संयोजक के रूप में मौजूद थे। इस कार्यक्रम में लगभग 200 प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें इंदौर और उज्जैन जिलों के किसान, अधिकारी, वैज्ञानिक और पूरे भारत के शोधकर्ता शामिल भी हुए जो व्यक्तिगत रूप से फेसबुक और यूट्यूब प्लेटफॉर्म के माध्यम से ऑनलाइन जुड़े।
डॉ. अग्रवाल ने प्रतिभागियों को प्रासंगिक संधियों पर मार्गदर्शन दिया और पौधों की किस्मों की सुरक्षा में अधिनियम के महत्व के बारे में उन्हें जागरूक किया। उन्होंने अधिनियम के तहत लगभग 8300 पौधों की किस्मों के विश्व रिकॉर्ड संरक्षण पर प्रकाश डाला और इसके कार्यान्वयन को बढ़ाने के लिए चल रही पहलों पर चर्चा कर भारत सरकार के ‘पौधा किस्म संरक्षण एवं कृषक अधिकार अधिनियम ‘ से उच्च उपज देने वाली किस्मों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करने वाली पौधों की देशी किस्मों को किसानों के लिए संरक्षण अधिकार देने को स्पष्ट किया ।प्रश्नोत्तर संवाद सत्र में डॉ. अग्रवाल ने बताया कि एक सामान्य किसान अपने खेत से चयनित पौधों के बीज को निश्चित प्रक्रिया (भिन्नता, एकरूपता एवं स्थिरता का परीक्षण ) किस्म को संरक्षित किया जा सकता है, लेकिन उसका यह प्रस्ताव अपने नजदीकी कृषि अनुसंधान केन्द्र पौध किस्म संरक्षण एवं कृषक अधिकार पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित के प्रमुख द्वारा अपनी टिप्पणी सहित अग्रेषित कर आवेदन को PPV&FRA में प्रस्तुत किया जा सकेगा। डॉ अग्रवाल ने उपस्थितों के प्रश्नों का उत्तर देकर शंकाओं का निराकरण कर उनको पूर्णतः सहयोग करने की बात कही। निदेशक डॉ. के.एच. सिंह ने कहा कि साझा की गई जानकारी निश्चित रूप से किसानों और पौध प्रजनकों को उनके अधिकारों की रक्षा करने और विविधता संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित करेगी। डॉ. सिंह ने किसानों को उनकी स्थानीय किस्मों की सुरक्षा में निरंतर समर्थन देने का आश्वासन दिया।
प्रारंभ में संस्थान द्वारा क्रियान्वित डीयूएस परियोजना के वरिष्ठ वैज्ञानिक और प्रभारी डॉ. मृणाल कुचलन और भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के क्षेत्रीय गेहूं अनुसंधान केंद्र, इंदौर के डॉ. राहुल गजघाटे द्वारा सोयाबीन और गेहूं का डीयूएस परीक्षण की सम्पूर्ण प्रक्रिया पर संक्षिप्त प्रस्तुति दी।पौधों की किस्मों की सुरक्षा में पीपीवी और एफआर की भूमिका पर 15 मिनट की टेलीफिल्म दिखाई गई जिसको सबने खूब सराहा। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. गिरिराज कुमावत, वरिष्ठ वैज्ञानिक, एनएसआरआई, इंदौर द्वारा दिया गया।
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