राष्ट्रीय आम महोत्सव 2025: छत्तीसगढ़ में आम उत्पादन को नई दिशा
11 जून 2025, रायपुर: राष्ट्रीय आम महोत्सव 2025: छत्तीसगढ़ में आम उत्पादन को नई दिशा – छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के परिसर में आयोजित चार दिवसीय राष्ट्रीय आम महोत्सव का समापन 9 जून को हुआ। इस आयोजन में देश भर की 427 से अधिक आम की किस्मों के 1200 से ज्यादा नमूने प्रदर्शित किए गए, साथ ही आम से बने 56 प्रकार के व्यंजनों ने भी आगंतुकों का ध्यान खींचा।
महोत्सव का उद्घाटन इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, छत्तीसगढ़ शासन के उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी संचालनालय और प्रकृति की ओर सोसायटी के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। समापन समारोह में कृषि विकास एवं किसान कल्याण मंत्री राम विचार नेताम मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। उनके साथ वन एवं पर्यावरण मंत्री केदार कश्यप, स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल, राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा, महिला बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े, और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
10 हजार से अधिक लोगों ने लिया हिस्सा
कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने बताया कि इस महोत्सव में 10 हजार से अधिक लोग शामिल हुए, जिन्होंने आम की प्रदर्शनी और मेले का अवलोकन किया। इस दौरान करीब 50 हजार आम के पौधों और विभिन्न किस्मों के फलों की बिक्री हुई। खास बात यह रही कि बस्तर संभाग के विभिन्न जिलों से 120 स्थानीय आम प्रजातियां भी प्रदर्शित की गईं, जो छत्तीसगढ़ की समृद्ध जैव-विविधता को दर्शाती हैं।
किसानों को मिला प्रोत्साहन
समापन समारोह में आम उत्पादन में उत्कृष्ट योगदान देने वाले किसानों को सम्मानित किया गया। इनमें सुरेश गुप्ता (अम्बिकापुर), तोरन लाल ध्रुव (गरियाबंद), और सुरेश ठाकुर (रायपुर) शामिल रहे। इसके अलावा, प्रदर्शनी में शामिल विभिन्न आम प्रजातियों के लिए पुरस्कार भी प्रदान किए गए।
कृषि मंत्री राम विचार नेताम ने कहा, “इस महोत्सव में 1600 से अधिक आमों को देखने का अवसर मिला। यह छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए नई और उन्नत किस्मों को अपनाने की प्रेरणा देगा।” उन्होंने सुझाव दिया कि बस्तर और सरगुजा जैसे आदिवासी क्षेत्रों में भी ऐसे आयोजन होने चाहिए, ताकि वहां के किसानों को लाभ मिल सके।
आम उत्पादन को बढ़ावा देने पर जोर
महोत्सव का उद्देश्य न केवल आम की विविधता को प्रदर्शित करना था, बल्कि किसानों को नई तकनीकों और उन्नत प्रजातियों से अवगत कराना भी था। कुलपति डॉ. चंदेल ने बताया कि यह आयोजन दूसरी बार विश्वविद्यालय परिसर में हुआ और इसे व्यापक सफलता मिली। उन्होंने कहा कि यह मंच किसानों और वैज्ञानिकों के बीच ज्ञान और अनुभव साझा करने का एक प्रभावी माध्यम साबित हुआ।
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