राज्य कृषि समाचार (State News)

रिसन तालाब के बहुउद्देशीय आयाम

लेखक: डॉ दीपक हरि रानडे, डॉ मनोज कुरिल और तुषार दाहरे राजमाता, विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, कृषि महाविद्यालय, परिसर, खंडवा (म.प्र.) ४५०००१ dean.khandwa@rvskvv.net, dharanade1961@gmail.com., 9826605965

01 अक्टूबर 2024, भोपाल: रिसन तालाब के बहुउद्देशीय आयाम – जिस प्रकार कहा जाता है कि उर्जा का संरक्षण ही उर्जा का उत्पादन है, पैसा बचाना ही पैसा कमाना है. वैसे ही जल का संग्रहण व संरक्षण ही जल की उपलब्धता बढाना है. ऐसा अनुभव किया गया है कि निमाड़ क्षेत्र में ऐसी परिस्थितियां मौजूद है कि अनेक स्थानों पर है. उथली काली मिट्टी वाले खेत की निचली सतह मुरमयुक्त होने से उसमें तालाब निर्माण कर वर्षा जल अपवाह व भवर्ती की छतों से निकलने वाले जल को मात्र कुछ दिनों के लिए ही संग्रहित किया जा सकता है। हालाँकि इन चट्टान युक्त क्षेत्रों में तालाब बनाना इतना आसान नहीं होता हैता, परंतु तालाब बनाने पर इस मुरमयुक्त भूमि की रिसाव दर अधिक होने के कारण संग्रहित जल भूमि के नीचे तेजी से रिस जाता है। अतः अतिरिक्त जल का संग्रहण उपयोग इन रिसन तालाबों में किया जाकर इसका रिसाव बढ़ाकर भुसतह जाला भूजल के रूप में संग्रहित किया जा सकता है. हालाँकि सतह पर संग्रहित जल सिंचाई का एक उत्तम स्त्रोत महसूस होता है। परंतु यह भी एक तथ्य है कि रिसन तालाब का निर्माण होने से भूजल भरण की संभावना अत्याधिक बढ़ जाती है जो नलकूपों और कुओं से सिंचाई या पेयजल हेतु भरपूर मात्रा में जल उपलब्ध करा सकता है।

ऐसा ही एक सफल और सकारात्मक अनुभव खंडवा शहर के भगवंतराव मंडलोई कृषि महावि‌द्यालय में पाया गया है. सन् 2024 वर्षा के मौसम से पहले वि‌द्यार्थियों, एनसीसी, एनएसएस के छात्रों, प्रा‌द्यापको व अन्य सदस्यों द्वारा जल संरक्षण के लिए बहुत ही प्रशंसात्मक कार्य किया गया। महावि‌द्यालय परिसर में महावि‌द्यालय, बालक छात्रावास व खेल प्रशाल के पास छोटे तालाबों का पुनरोध्वार व कुओं की गाद निकालकर उनकी सफाई की गई. महाविद्यालय व बालक छात्रावास के पास इनकी छतों से बहने वाले वएर्श जल को इन तालाबों में संग्रहित किये जाने का प्रबंध किया गया, परिसर के खेल प्रशाल के पास मौजूद रिसन तालाब में उसकी वर्षा पूर्व JCB के माध्यम से गाद निकालकर उसकी जल संग्रहण क्षमता को बढ़ाया गया. जिससे इसमें पास के खेत से व खेल प्रशाल छतों से व खेतों से बहकर निकलने वाले मुल्यवान जल को इनमें संग्रहित व संरक्षित कर इसका उचित उपयोग किया जा सके। चूंकि महावि‌द्यालय परिसर में मिट्टी कम गहरी और मुरुम युक्त है. इन तालाबों में संग्रहित जल रिसकर पास के कुओं, नलकूपों का पुनर्भरण करने में सक्षम होते है. इस पहल के अत्यंत ही सकारात्मक परिणाम देखे गये हैं. इस वर्ष अच्छी बारिश और उसकी तीव्रता के चलते ये तालाब कई बार भरकर लगातार कुओं, नलकूपों का पुनर्भरण कर उनके जलस्तर में वृ‌द्धि करने में सक्षम पाये गये है।

सन् 2024 की बारिश के दौरान बालक छात्रावास के पास स्थित तालाब युक्त हिस्सा कई बार जल अपवाह से परिपूर्ण हुआ। चूँकि इस हिस्से में मुरम की अत्याधिक मात्रा भी पूरा का पूरा संग्रहित जल जमीन के अंदर कुछ ही दिनों में रिस गया। इसका परिणाम इसके समीप के कुंए में परिलक्षित हुआ, ये कुँआ भूजल से लबालब हो गया। महावि‌द्यालय के समीप बनाये तालाब में छत का पानी एकत्रित किया जा रहा है. चूँकि प्रक्षेत्र की मिट्टी मुरमयुक्त है. इस कारण इस रिसन तालाब में संग्रहित होने वाला जल लगातार जमीन में रिसता रहता है और पास ही स्थित नलकूप के भूजल भरण की संभावना को बढ़ा देता है। इसी प्रकार, खेल प्रशाल के निकट स्थित रिसन तलाब में पास के खेतों का जल अपवाह एवम् प्रशाल की छत का जल एकत्रित होता है. यह संग्रहित जल रिसकर पास के नलकूप में जल की उपलब्धता बढ़ाकर रबी फसलो की संभावना को बढ़ाने का कार्य कर रहे है. साथ ही इसी रिसन तालाब से इसकी सतहों से रिसने वाला जल, निचले खेतों में लगाई गई फसलो को लगातार जल उपलब्ध कराकर उन्हे अनेक मायनों में मदद कर रहे हैं. इस खेत की अरहर की फसल और अन्य खेतों की अरहर की फसल मे तुलना करने पर रिसने वाले जल से होने वाले प्रभाव को स्पष्ट देखा जा सकता है.

इन अनुभवों रिसन तालाब की उपयोगिता अपने आप सिद्ध होती है और शनैः शनैः यह अन्य प्रगतिशील किसानों को रिसन तालाब बनाने हेतु प्रेरित कर सकती है। इस प्रकार हम देखते हैं कि निमाड़ क्षेत्र में ऐसी भौगोलिक स्थितियां पाई जाती है कि इन क्षेत्रों में उचित स्थान पर रिसन तालाबों का निर्माण भी किया जाना चाहिए जो इन क्षेत्रों से होने वाले जल अपवाह को सुरक्षित तरीके से क्षेत्र में ही रोककर, सतही और अधोसतही जल की मात्रा को बढ़ा सकता है। इस प्रकार रिसन तालाब भी जल संग्रहण तालाबों के समकक्ष माने जा सकते है और उनका योगदान सिंचाई जल को बढ़ाने में अत्यंत ही कारगर माना जा सकता है। आजकल ग्लोबल वॉर्मिंग एवं अन्य कई पर्यावरणीय संकटों के बीच ऐसे उपायों पर अमल का एक जीवंत उदाहरण इस परिसर में देखा जा सकता है. महावि‌द्यालय के विद्यार्थियों ने भी इस वर्षा जल के संरक्षण व संग्रहण के इस महत्वपूर्ण तंत्र के बारे में अपनों व अपने आस-पास के लोगों को जागरुक करने व इसे प्रयोग में लाने के लिए प्रेरित करने की बात कही I

(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़,  टेलीग्रामव्हाट्सएप्प)

(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)

कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.krishakjagat.org/kj_epaper/

कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.en.krishakjagat.org

Advertisements