राज्य कृषि समाचार (State News)

खरगोन में कृषि से जुड़े विभागीय अधिकारियों की बैठक संपन्न

05 जुलाई 2024, (दिलीप दसौंधी, मंडलेश्वर): खरगोन में कृषि से जुड़े विभागीय अधिकारियों की बैठक संपन्न – खरगोन कलेक्टर श्री कर्मवीर शर्मा ने  बुधवार  को कृषि एवं उससे जुड़े  विभागों  उद्यान, मत्स्योद्योग, पशुपालन के अधिकारियों की बैठक ली, जिसमें कृषि पर आधारित लघु उद्योग स्थापना के संबंध में विस्तार से चर्चा कर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। इस बैठक में जिला पंचायत सीईओ श्री आकाश सिंह, उपसंचालक कृषि श्री प्रकाश ठाकुर, उप संचालक उद्यान श्री केके गिरवाल, मत्स्य अधिकारी श्री रमेश मौर्य एवं जिले में कार्यरत एफपीओ के पदाधिकारी भी मौजूद थे।

उल्लेखनीय है कि एक जिला एक उत्पाद के अंतर्गत खरगोन जिले में मिर्च की फसल एवं उसके उत्पादों को शामिल किया गया है। कलेक्टर श्री शर्मा ने उद्यान विभाग के अधिकारी को निर्देशित किया कि मिर्च उत्पाद पर आधारित प्रधानमंत्री सूक्ष्म एवं मध्यम उद्योग स्थापना ( पीएमएफएमई )  के प्रकरण अधिक से अधिक संख्या में तैयार किये जाएं , ताकि  जिले में मिर्च उत्पादन को प्रोत्साहन मिल सके और उस पर आधारित प्रसंस्करण उद्योगों से जिले के लोगों को रोजगार मिल सके। ऐसे उत्पाद खरगोन जिले को एक नई पहचान देंगे।

बैठक में  बताया गया कि प्रधानमंत्री  सूक्ष्म  एवं मध्यम खाद्य प्रसंस्करण योजना के अंतर्गत गत वर्ष 109 प्रकरण तैयार   किए गए थे। इन प्रकरणों में बैंक से ऋण मंजूर किया जा चुका है। इस वित्तीय वर्ष में इस योजना में 200 प्रकरण तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है। इस  मौके पर एफपीओ द्वारा जिले में उत्पादित खाद्य सामग्री पर आधारित प्रदर्शनी भी लगाई गई ।  कलेक्टर श्री शर्मा ने खरीफ फसलों की बुआई एवं उनके लिए खाद आदि की उपलब्धता की जानकारी ली। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि जिले में किसानों के लिए खाद की कमी न होने  दें और उन्हें डीएपी के स्थान पर एनपीके के उपयोग की सलाह दी जाए।

बैठक में एफपीओ के पदाधिकारियों ने भी अपनी बात रखी। टेरा ग्लेब फार्मर्स प्रोड्यूसर कम्पनी लि खरगोन के संचालक श्री  बालकृष्ण पाटीदार ने कृषक जगत को  बताया कि अभी उत्पादों के नमूनों  को जाँच के लिए बाहर भेजना पड़ता है, जिसमें 15- 20 हज़ार के खर्च के अलावा 8 -10  दिन का समय लग जाता है।  इस पर कलेक्टर श्री शर्मा ने कहा कि स्थानीय स्तर पर प्रयोगशाला की स्थापना के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके बाद लागत और समय दोनों में कमी आएगी। क्षेत्र में कपास का रकबा कम होने पर भी चर्चा हुई। बताया गया कि कपास में कचरा अधिक आता है। इस विषय पर  अगली बैठक में संबंधितों से चर्चा की जाएगी। एफपीओ के कार्यक्षेत्र को विस्तारित करने पर भी चर्चा हुई। बड़ी प्रोसेसिंग यूनिट डालेगी तो कार्य भी बढ़ेगा। स्थानीय के अलावा माल बाहर भी भेजा जा सकेगा। फूड पार्क की तर्ज़ पर प्रस्ताव बुलाएं । इच्छुक एफपीओ तैयारी करें। सुझाव दिया गया कि एफपीओ में कस्टमर हायरिंग की जाए। अभी कृषि के सभी विभाग अलग-अलग हैं , उन्हें एफपीओ में मर्ज  किया जाए। उद्यानिकी की कुछ फसलों को  जोड़ दिया  जाए। गौशाला को भी एफपीओ से जोड़ा जाए।  इससे दोनों पक्षों को लाभ होगा।  

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