महाराष्ट्र: गन्ना पेराई सत्र की 1 नवंबर से होगी शुरुआत, चीनी मिलों से वसूला जाएगा टैक्स; किसानों को मिलेगा राहत पैकेज
01 अक्टूबर 2025, भोपाल: महाराष्ट्र: गन्ना पेराई सत्र की 1 नवंबर से होगी शुरुआत, चीनी मिलों से वसूला जाएगा टैक्स; किसानों को मिलेगा राहत पैकेज – महाराष्ट्र सरकार ने इस बार गन्ना पेराई सत्र 2025-26 की शुरुआत 1 नवंबर से करने का फैसला लिया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट कमेटी की बैठक में यह निर्णय किसानों की सुरक्षा और राहत को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। राज्य के विभिन्न हिस्सों में हाल ही में हुई भारी बारिश और बाढ़ के कारण किसानों को हुए नुकसान को देखते हुए सरकार ने चीनी मिलों से प्रति टन गन्ने पर विशेष उपकर वसूलने का भी ऐलान किया है। इस उपकर के तहत मिलों से प्रति टन गन्ने पर 10 रुपये मुख्यमंत्री राहत कोष के लिए और 5 रुपये बाढ़ प्रभावित किसानों की सहायता के लिए वसूले जाएंगे।
एफआरपी और भुगतान की स्थिति
इस वर्ष गन्ने का फिक्स्ड रेट प्राइस (एफआरपी) 3550 रुपये प्रति मीट्रिक टन रखा गया है, जिसकी आधार वसूली दर 10.25 प्रतिशत तय की गई है। पिछले पेराई सत्र 2024-25 में महाराष्ट्र की कुल 200 चीनी मिलों ने गन्ने की पेराई की थी, जिनमें 99 सहकारी और 101 निजी मिलें शामिल थीं। इन मिलों ने किसानों को कुल 31,301 करोड़ रुपये का भुगतान किया था, जिसमें से 99.06 प्रतिशत राशि किसानों को जारी कर दी गई है। 148 मिलों ने पूरा एफआरपी भुगतान कर दिया है। सरकार ने कहा है कि इस बार समय पर भुगतान और गन्ना कटाई में मशीनीकरण को बढ़ावा देना प्राथमिकता होगी, जिससे किसानों को और मिलों को दोनों को फायदा होगा।
बाढ़ प्रभावित किसानों को मिलेगा त्वरित आर्थिक सहयोग
सरकार ने यह भी घोषणा की है कि पिछले सप्ताह आई भारी बारिश और बाढ़ से प्रभावित किसानों और आम जनता को वित्तीय सहायता के रूप में चार दिन के भीतर बैंक खातों में राशि ट्रांसफर कर दी जाएगी। राज्य में लगभग 60 लाख हेक्टेयर फसलें बारिश और बाढ़ से खराब हुई हैं, जिनमें मराठवाड़ा के आठ जिले और पश्चिमी महाराष्ट्र के सोलापुर, सतारा और सांगली जैसे क्षेत्र शामिल हैं। मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि चीनी उद्योग से उपकर वसूली किसानों को राहत पहुंचाने का एक महत्वपूर्ण कदम होगा। साथ ही, सरकार गन्ना उत्पादन में आधुनिक तकनीकों के उपयोग को भी बढ़ावा दे रही है ताकि कृषि क्षेत्र और किसानों की समृद्धि सुनिश्चित की जा सके।
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