राज्य कृषि समाचार (State News)

सहकारिता में नवाचार से नित नए आयाम गढ़ता मध्यप्रदेश

लेखक: दुर्गेश रायकवार, उप संचालक, जनसंपर्क

06 मई 2025, भोपाल: सहकारिता में नवाचार से नित नए आयाम गढ़ता मध्यप्रदेश – संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा वर्ष 2025 को अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। इस वर्ष की थीम है ‘सहकारिता एक बेहतर दुनिया का निर्माण करती है’। सबके सुख और मंगल की कामना सहकारिता का मूल भाव है। प्रतिस्पर्धा से ज्यादा परस्पर सहयोग को महत्व देते हैं और यही सहकारिता है।

सहकारी समितियों को पुनर्जीवित करने की दृढ़ प्रतिबद्धता के साथ केन्द्रीय सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने इस क्षेत्र को मजबूत और आधुनिक बनाने के उद्देश्य से एक व्यापक नीतिगत ढांचा, कानूनी सुधार और रणनीतिक पहल शुरू की। सरकार ने सहकारी समितियों के लिए ‘व्यापार करने में आसानीÓ, डिजिटलीकरण के माध्यम से पारदर्शिता सुनिश्चित करने और वंचित ग्रामीण समुदायों के लिए समावेशिता को बढ़ावा देने की अपनी पहल पर काफी जोर दिया है। केन्द्रीय मंत्री श्री अमित शाह के नेतृत्व में भारत का सहकारिता आंदोलन एक क्रांतिकारी परिवर्तन लाया है। अपनी दूरदर्शी सोच को आधार बनाकर उन्होंने सहकारिता के लिए नई विचारधारा को जन्म दिया है। उनके नेतृत्व में सहकारिता मंत्रालय ने भारतीय सहकारी आंदोलन में उल्लेखनीय परिवर्तन किए हैं। प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) का विस्तार, पैक्स के लिए बेहतर प्रशासन और व्यापक समावेशिता, पैक्स को कम्प्यूटरीकृत करने एवं पैक्स को नाबार्ड से जोडऩे का काम किया है ।

नई श्वेत क्रांति की ओर अग्रसर मध्यप्रदेश

प्रदेश में सहकार से समृद्धि की पहल के तहत राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड और स्टेट डेयरी को-ऑपरेटिव फेडरेशन तथा फेडरेशन से संबद्ध दुग्ध संघों के बीच कोलेबोरेशन एग्रीमेंट हुआ। इस कोलेबोरेशन के माध्यम से सहकारी डेयरी नेटवर्क को सशक्त बनाने का लक्ष्य है, जिससे दुग्ध उत्पादकों की आय में वृद्धि हो सके और सांची ब्रांड का उत्थान और विस्तार किया जा सके। यह नई श्वेत क्रांति की ओर प्रदेश का महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। इसका लाभ दुग्ध उत्पादकों और दुग्ध उपभोक्ताओं दोनों को मिलेगा। दुग्ध उत्पादक राज्यों में मध्यप्रदेश टॉप-थ्री में है, हमारे यहां देश का करीब 9 प्रतिशत दुग्ध-उत्पादन होता है। प्रदेश में रोजाना करीब 551 लाख किलोग्राम दूध का उत्पादन होता है, जिसमें से मध्यप्रदेश स्टेट को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन और इससे जुड़े संघ करीब 10 लाख किलोग्राम दूध जमा करते हैं।
डेयरी क्षेत्र में अपार संभावनाओं वाला प्रदेश है मध्यप्रदेश

मध्यप्रदेश देश का फ़ूड बास्केट तो है ही, हममें डेयरी कैपिटल बनने की क्षमता भी है। देश का डेयरी कैपिटल बनने के लिए हमारे पास पर्याप्त संसाधन हैं। प्रदेश में सहकारी डेयरी नेटवर्क को हाइटेक बनाने के लिए एक डेयरी डेवलपमेंट प्लान तैयार करने की योजना है, जिसमें लगभग 1450 करोड़ रुपए का निवेश होगा। प्रदेश में औसत दुग्ध संकलन को दोगुना किया जाएगा, दुग्ध संकलन को 10 लाख किलो से बढ़ाकर 20 लाख किलो प्रतिदिन करने का प्रयास शुरू कर दिया गया है। प्रदेश में दुग्ध सहकारी समितियों की संख्या 6 हजार से बढ़ाकर 9 हजार की जाएगी। प्रदेश भर के 18 हजार गांवों के दुग्ध-उत्पादन से जुड़े किसान भाइयों को सहकारी डेयरी नेटवर्क से जोड़ेंगे। ग्राम स्तर पर दुग्ध शीतलीकरण की क्षमता विकसित करेंगे, औसत पैकेट दुग्ध विक्रय 7 लाख लीटर प्रतिदिन से बढ़ाकर 15 लाख लीटर प्रतिदिन करेंगे।

मिल्क प्रोसेसिंग क्षमता बढ़ाने के लिए नए हाइटेक संयंत्र स्थापित किए जाएंगे, जिससे दुग्ध संकलन और दुग्ध विक्रय में वृद्धि हो सके। सभी दुग्ध संघों का व्यवसाय 1944 करोड़ से बढ़ाकर 3500 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष किया जाएगा।

जीआईएस से शुरू हुआ मध्यप्रदेश में सहकारिता का नया अध्याय

सहकार को बढ़ावा देने के लिए इस वर्ष हुई ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में पहली बार सहकारिता क्षेत्र को जोड़ा गया है। समिट में सहकारिता क्षेत्र में 2305 करोड़ से अधिक के 19 एमओयू साइन हुए हैं। को-ऑपरेटिव पब्लिक प्राइवेट-पार्टनरशिप (सीपीपीपी) मॉडल पर भी काम किया गया। सीपीपीपी मॉडल देश की सहकारिता को बदलने का काम करेगा। सहकारिता विभाग में निवेश विंग की स्थापना करने का निर्णय लिया है। निवेश विंग डे-टू-डे काम करेगी।

सहकार से मिल रही विकास को रफ़्तार

सरकार द्वारा प्राथमिक कृषि साख समितियों (पैक्स) के कंप्यूटरीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जिससे पारदर्शिता और दक्षता में वृद्धि हो रही है। पैक्स के डिजिटलीकरण से किसानों को त्वरित ऋण सुविधा, ऑनलाइन लेन-देन और रिकॉर्ड प्रबंधन में मदद मिल रही है। ‘सहकारिता में सहयोगÓ यानी ‘को-ऑपरेशन एमॉन्ग को-ऑपरेटिवस्Ó को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे छोटे और बड़े सहकारी संस्थान एक-दूसरे की मदद कर सकें। सहकारी समितियाँ अब केवल कृषि तक सीमित नहीं हैं, बल्कि डेयरी, क्रेडिट, विपणन, बीज वितरण, जैविक खेती को बढ़ावा देना, महिला स्व-सहायता समूहों को समर्थन और उपभोक्ता सेवाओं तक अपना दायरा बढ़ा रही हैं।

डिजिटलीकरण के साथ-साथ सहकारिता के क्षेत्र में नवाचार और प्रशिक्षण पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इन प्रयासों से मध्यप्रदेश की सहकारी समितियाँ किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ बन चुकी हैं। ग्रामीण समुदायों को सशक्त बनाकर, डिजिटल एकीकरण और सहकारी उद्यमिता को बढ़ावा देकर सरकार सहकारी नेतृत्व पर आधारित आर्थिक विकास के लिए एक मजबूत और टिकाऊ मॉडल तैयार कर रही है।

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