मध्य प्रदेश विधानसभा: 2021 के बाद पहली बार पूरा चला सत्र, 8 सत्रों से था रुकावटों का दौर
22 दिसंबर 2024, भोपाल: मध्य प्रदेश विधानसभा: 2021 के बाद पहली बार पूरा चला सत्र, 8 सत्रों से था रुकावटों का दौर – मध्य प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र इस बार ऐतिहासिक रहा। 16 से 20 दिसंबर तक चला यह सत्र अपनी पूरी अवधि तक संचालित हुआ। खास बात यह है कि 2021 के बाद यह पहला मौका है, जब विधानसभा सत्र पूरे पांच दिनों तक चला हो। इससे पहले 8 सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिए गए थे।
दिसंबर 2021 में आखिरी बार विधानसभा का सत्र पूरी अवधि तक चला था। इसके बाद के सत्र हंगामों की भेंट चढ़ते रहे। चाहे वह विपक्ष का आक्रामक रुख हो या सत्ता पक्ष की जवाबी रणनीति, इन कारणों से सत्र समय से पहले स्थगित कर दिए जाते थे। लेकिन इस बार, सत्र का संचालन न केवल सफलतापूर्वक हुआ, बल्कि कई अहम मुद्दों पर चर्चा और प्रस्ताव भी पास किए गए।
शीतकालीन सत्र: 16 से 20 दिसंबर तक चला, हुआ अहम कामकाज
इस बार शीतकालीन सत्र 16 से 20 दिसंबर तक आयोजित किया गया। पांच दिनों तक चले इस सत्र में अनुपूरक बजट पास हुआ और कई महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर चर्चा हुई। सत्र के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहसें और आरोप-प्रत्यारोप भी हुए, लेकिन यह सब कार्यवाही को बाधित करने में नाकाम रहा।
विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के कार्यकाल का यह अंतिम सत्र था। उन्होंने सत्र के सुचारू संचालन के लिए दोनों पक्षों का धन्यवाद किया। यह विधानसभा के इतिहास में एक सकारात्मक पहल मानी जा रही है, जहां नियत कार्यक्रम के अनुसार कार्यवाही पूरी हुई।
सत्ता पक्ष और विपक्ष ने किया अध्यक्ष का धन्यवाद
सत्र के सफलतापूर्वक संचालन पर सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ने विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर की सराहना की। नेताओं ने कहा कि अध्यक्ष ने निष्पक्षता और धैर्य के साथ कार्यवाही को संचालित किया। इस दौरान कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई, जिसमें किसानों की समस्याएं, महंगाई और राज्य की विकास योजनाएं प्रमुख रहीं।
2023 में नई सरकार के गठन के बाद यह पहला सत्र है, जो अपनी पूरी अवधि तक चला। इससे पहले नई सरकार के गठन के तुरंत बाद आयोजित पहला सत्र चार दिनों तक चला था, जिसमें नवनिर्वाचित विधायकों ने शपथ ली और विधानसभा अध्यक्ष का निर्विरोध चयन हुआ। लेकिन इसके बाद जितने भी सत्र हुए, वे हंगामों के चलते अधूरे रह गए।
दिसंबर 2021 में भी पांच दिनों का सत्र आयोजित किया गया था, जिसमें पांच बैठकें हुई थीं। यह सत्र भी अपनी अवधि तक चला था। 2023 के शीतकालीन सत्र ने इस परंपरा को दोहराया और विधानसभा में बेहतर कार्य संस्कृति की शुरुआत का संकेत दिया।
क्या बदलेगी विधानसभा की कार्यसंस्कृति?
इस बार का सत्र न केवल अपनी अवधि तक चला, बल्कि यह उम्मीद भी जगाता है कि भविष्य में विधानसभा की कार्यवाही सुचारू और व्यवस्थित तरीके से चल सकेगी। यह सत्र मध्य प्रदेश की राजनीति में एक सकारात्मक संकेत के रूप में देखा जा रहा है। मध्य प्रदेश विधानसभा का यह सत्र अपने आप में ऐतिहासिक है। 2021 के बाद पहली बार ऐसा हुआ है जब सत्र ने नियत अवधि तक काम किया हो। अब देखना होगा कि यह सकारात्मक रुख आगे भी जारी रहता है या नहीं।
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