कृषि सखियों को प्राकृतिक खेती की उन्नत तकनीक अपनाने की सलाह दी
27 अगस्त 2025, शाजापुर: कृषि सखियों को प्राकृतिक खेती की उन्नत तकनीक अपनाने की सलाह दी – राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन अंतर्गत कृषि विज्ञान केन्द्र, शाजापुर में 50 कृषि सखियों के आयोजित हुए पांच दिवसीय प्रशिक्षण के समापन समारोह के मुख्य अतिथि क्षेत्रीय विधायक श्री अरुण भीमावद थे। इस दौरान कृषि सखियों को प्रमाण पत्रों का वितरण किया गया। इस अवसर पर कृषि विज्ञान केन्द्र प्रमुख डॉ. जी. आर. अम्बावतिया अनुविभागीय अधिकारी शाजापुर सुश्री मनीषा वास्कले, उपसंचालक कृषि श्री आर. एल. जामरे, शाजापुर परियोजना संचालक आत्मा श्रीमती स्मृति व्यास, वैज्ञानिक डॉ एसएस धाकड़, डॉ. गायत्री वर्मा, प्राकृतिक खेती के प्रभारी डॉ. डी के तिवारी, निकिता नंद एवं गंगाराम राठौड, प्रगतिशील कृषक श्री नरेन्द्र पाटीदार, श्री राहुल व्यास एवं श्री सोनू जाट उपस्थित थे।
विधायक श्री भीमावद ने जिले के किसानों को गौ आधारित प्राकृतिक खेती की उन्नत तकनीक अपनाने की सलाह दी, जिससे खेती की लागत कम होगी एवं गुणवत्ता युक्त जैविक फसलों का उत्पादन प्राप्त होगा। उन्होंने सभी किसानों के लिए उन्नत कृषि तकनीक की जानकारी उपलब्ध कराने के लिए कृषि विज्ञान केन्द्र के सभी वैज्ञानिकों को बधाई दी।उन्होने प्रशिक्षणार्थियो को सलाह दी गई की वे कृषि विज्ञान केन्द्र के समस्त वैज्ञानिकों के निरंतर संपर्क में रहकर उन्नत प्राकृतिक खेती की तकनीकी जानकारी किसान भाइयों तक पहुंचाते रहें। जिससे हम 2047 तक कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सकें।
परियोजना संचालक आत्मा डॉ. श्रीमती व्यास ने द्वारा जानकारी दी कि जिले मे राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन अंतर्गत 25 क्लस्टर के अंतर्गत 1250 हेक्टेयर में 3125 किसानों को चयनित किया गया है। साथ ही तकनीकी जानकारी प्रदान करने के लिए 50 कृषि सखी का भी चयन म.प्र डे राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा किया गया है। इस कार्यक्रम में एसडीएम शाजापुर सुश्री मनीषा वास्कले एवं उपसंचालक कृषि श्री आर.एल.जामरे शाजापुर द्वारा प्राकृतिक खेती की उन्नत तकनीक अपनाने की सलाह दी जिससे खेती की लागत कम हो ।
कार्यक्रम के प्रारंभ में केन्द्र प्रमुख डॉ जी. आर अम्बावतिया ने सभी अतिथियों का स्वागत किया एवं प्रेजेंटेशन के माध्यम से आए हुए सभी प्रशिक्षणार्थियों को प्राकृतिक खेती के विभिन्न घटकों की विस्तारपूर्वक जानकारी देते हुए बताया कि प्रशिक्षण के दौरान जीवामृत, बीजामृत, आच्छादन मल्चिंग, नीमास्त्र, अग्निस्त्र एवं अन्य प्राकृतिक कीटनाशक की विस्तार से प्रायोगिक रूप से जानकारी दी गई। प्रशिक्षण के दौरान केन्द्र के वैज्ञानिकों द्वारा बताया गया कि प्राकृतिक खेती कृषि की प्राचीन पद्धति है। यह भूमि के प्राकृतिक स्वरूप को बनाए रखती है। प्राकृतिक खेती में रासायनिक कीटनाशक का उपयोग नहीं किया जाता है। इस प्रकार की खेती में जो तत्व प्रकृति में पाए जाते है, उन्हीं को खेती में कीटनाशक के रूप में काम में लिया जाता है। प्राकृतिक खेती के लिए गाय से प्राप्त गोबर और गोमूत्र, गुड़, बेसन, पीपल या बरगद के पेड़ के नीचे की मिट्टी से जीवामृत तैयार करने की विधि बताई गई। इसी तरह बीजोपचार के लिए बीजामृत, अच्छादन मल्चिंग, नीमास्त्र, अग्निस्त्र एवं अन्य प्राकृतिक कीटनाशको की विस्तार से जानकारी दी। केन्द्र की डेमो यूनिट का अतिथियों एवं कृषको को भ्रमण कराया साथ ही किसानों की समस्याओं का मौके पर समाधान किया गया।
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