मध्यप्रदेश में पहली बार होगा कोदो-कुटकी का उपार्जन
15 अक्टूबर 2025, इंदौर: मध्यप्रदेश में पहली बार होगा कोदो-कुटकी का उपार्जन – मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में मंत्रि-परिषद की बैठक मंगलवार को मंत्रालय में सम्पन्न हुई। मंत्रि-परिषद द्वारा प्रमुख कोदो-कुटकी उत्पादक जिलों के कृषकों से पहली बार कोदो-कुटकी उपार्जन का किये जाने का निर्णय लिया, जिससे अधिक से अधिक जनजातीय कृषकों को फायदा होगा। इस के लिए रानी दुर्गावती श्रीअन्न प्रोत्साहन योजना अंतर्गत प्रमुख कोदो-कुटकी उत्पादक जिलों जबलपुर, कटनी, मंडला, डिंडोरी, छिंदवाड़ा, शहडोल, अनुपपुर, उमरिया, रीवा, सीधी एवं सिंगरौली के कृषकों से कोदो-कुटकी का उपार्जन किया जायेगा। साथ ही अन्य जिलों से मांग आने पर उन जिले के कृषकों से भी उपार्जन किये जाने पर विचार किया जायेगा।
श्रीअन्न उत्पादक जिलों के कृषकों से श्रीअन्न कंसोर्टियम ऑफ फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड (श्रीअन्न फेडरेशन) द्वारा कोदो-कुटकी का उपार्जन किया जायेगा। खरीफ 2025 में उत्पादित श्रीअन्न कुटकी 3500 रूपये प्रति क्विंटल एवं कोदो 2500 रुपये प्रति क्विंटल के मान से लगभग 30 हजार मेट्रिक टन का उपार्जन किया जाएगा । इसके लिए श्रीअन्न फेडरेशन को 80 करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त ऋण शासन के मूल्य स्थिरीकरण कोष से प्रदान किया जायेगा। इसके अतिरिक्त कृषकों को प्रोत्साहन राशि के रूप में 1000 रुपये प्रति क्विंटल के मान से संबंधित कृषकों के खातों में डीबीटी के माध्यम से प्रदान किए जाएंगे ।
सोयाबीन किसानों के लिए भावांतर योजना की स्वीकृति – मंत्रि-परिषद द्वारा खरीफ वर्ष 2025 में प्रदेश के सोयाबीन के किसानों को लाभान्वित किये जाने के लिए भारत सरकार की प्राईज डिफिसिट पेमेंट स्कीम लागू की गयी है, जो प्रदेश में भावांतर योजना कहलायेगी। प्रदेश में सोयाबीन भावांतर योजना अंतर्गत 24 अक्टूबर, 2025 से 15 जनवरी, 2026 तक सोयाबीन का विक्रय, राज्य की अधिसूचित मंडियों में किया जायेगा। प्रदेश की मंडियों में 14 दिवस के सोयाबीन के विक्रय मूल्य के Weighted औसत के आधार पर सोयाबीन के मॉडल रेट की गणना की जायेगी। न्यूनतम समर्थन मूल्य से विक्रय दर/मॉडल रेट अंतर की राशि पंजीकृत कृषकों के पोर्टल पर दर्ज बैंक खाते में डी.बी.टी. के माध्यम से अंतरित की जायेगी। एम.एस.पी 5238 रुपये है।
रेशम समृद्धि योजना ‘ के क्रियान्वयन की सैद्धांतिक स्वीकृति – मंत्रि-परिषद द्वारा भारत सरकार की सिल्क समग्र-2 योजना को 25% राज्यांश के साथ, राज्य में रेशम समृद्धि योजना के रूप में क्रियान्वयन की सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान की गई। योजना अंतर्गत हितग्राहियों को रेशम उत्पादन संबंधी 23 गतिविधियों में सहायता प्राप्त होगी, जिसमें सामान्य वर्ग के हितग्राही को इकाई लागत की 75 प्रतिशत और अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के हितग्राहियों को 90 प्रतिशत आर्थिक सहायता प्रदान की जायेगी। इसमें क्रमशः 25 प्रतिशत एवं 10 प्रतिशत हितग्राही अंश रहेगा। योजना के क्रियान्वयन से मलबरी, वन्या और पोस्ट ककून क्षेत्रों में हितग्राहियों की सतत रोजगार उपलब्ध होने के साथ उनकी आय में वृद्धि होगी।
वर्तमान में कुल लागत इकाई राशि रूपये 3.65 लाख होती थी जिसमें 2.0875 लाख राज्य शासन से राज्य सहायता प्राप्त होती थी। रेशम समृद्धि योजना में इकाई की कुल लागत राशि रुपये 5 लाख होगी। उसमें से सामान्य वर्ग के हितग्राहियों को केन्द्रांश राशि रूपये 2.50 लाख, राज्यांश राशि रूपये 1.25 लाख एवं हितग्राही का अंश राशि रुपये 1.25 लाख तथा अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के हितग्राहियों को केन्द्रांश राशि रूपये 3.25 लाख, राज्यांश राशि रूपये 1.25 लाख एवं हितग्राही का अंश राशि रूपये 0.50 लाख होगा। यह योजना रेशम किसानों के लिए बहुत लाभदायक सिद्ध होगी। मंत्रि-परिषद द्वारा इसके अलावा भी अन्य निर्णय लिए गए।
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