राज्य कृषि समाचार (State News)

झारखंड की बिरसा हरित ग्राम योजना: फलों की मिठास से बदल रही किसानों की जिंदगी

02 जुलाई 2024, रांची: झारखंड की बिरसा हरित ग्राम योजना: फलों की मिठास से बदल रही किसानों की जिंदगी – जब कोविड-19 महामारी ने 2020 में दस्तक दी, तो झारखंड सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी दूसरे राज्यों से लौटे मजदूरों को रोजगार प्रदान करना। इसके लिए मई 2020 में बिरसा हरित ग्राम योजना की शुरुआत की गई। इस योजना के तहत लॉकडाउन के दौरान गांवों में तेजी से फलदार पौधे लगाए गए। मजदूरों को अपने घर में ही रोजगार मिला और किसानों को फलदार बागान।

झारखंड में आम की कई किस्में उगाई जा रही हैं। आम्रपाली, मल्लिका और गुलाब खास जैसी प्रीमियम किस्में अब स्थानीय किसान उगा रहे हैं, जिन्हें पहले यूपी, तमिलनाडु और कर्नाटक से आयात किया जाता था। भागलपुरी लंगड़ा और मालदा लंगड़ा भी काफी लोकप्रिय हैं।

Advertisement
Advertisement

ग्रामीण विकास विभाग के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2020-21 में बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत 25,695 एकड़ में 27,90,319 फलदार पौधे लगाए गए। इसी तरह वर्ष 2021-22 में 20,648 एकड़ में 23,12,556 पौधे, वर्ष 2022-23 में 20,933 एकड़ में 23,44,551 पौधे और वर्ष 2023-24 में 43,388 एकड़ में 44,06,905 पौधे लगाए गए। कुल मिलाकर चार वर्षों में 1,10,664 एकड़ में 1 करोड़ 18 लाख 54 हजार 331 पौधे लगाए गए।

इस योजना का लाभ बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने उठाया। 2020-21 में 30,023, 2021-22 में 23,554, 2022-23 में 23,470 और 2023-24 में 50,113 किसानों ने इस योजना के तहत बागवानी की। अब ये पौधे फल देने लगे हैं, जिससे किसान बेहद उत्साहित हैं।

Advertisement8
Advertisement

हालांकि, इस योजना ने किसानों को एक नई चुनौती का सामना करने पर मजबूर कर दिया है। अच्छे उत्पादन के बावजूद, किसानों को उचित दाम नहीं मिल पा रहा है। वर्तमान में शहरों के रिटेल मार्केट में लंगड़ा और गुलाब खस आम 60 रुपये किलो बिक रहे हैं। ग्रामीण विकास विभाग इस समस्या को हल करने के लिए मार्केट तैयार करने की योजना बना रहा है ताकि किसानों को उचित दाम मिल सके।

Advertisement8
Advertisement

(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)

(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़,  टेलीग्रामव्हाट्सएप्प)

कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.krishakjagat.org/kj_epaper/

कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.en.krishakjagat.org

Advertisements
Advertisement5
Advertisement