राज्य कृषि समाचार (State News)

सीहोर जिले में पराली का होता है पशुओं के चारे के रूप में उपयोग

21 नवंबर 2024, सीहोर: सीहोर जिले में पराली का होता है पशुओं के चारे के रूप में उपयोग – प्रायः किसान धान, गेहूं, मक्का सहित अन्य खाद्य फसलों की कटाई के बाद शेष बचे खेतों में अवशेष के रूप में इस हिस्से में किसान आग लगा देते हैं और इससे इंसानी बस्तियों, परिवेश और वातावरण प्रदूषित होता जाता है। हाल ही में कृषि अभियांत्रिकी विभाग द्वारा नरवाई जलाने की घटनाओं का सैटेलाइट डेटा जारी किया गया है।    

सीहोर  जिले में नरवाई जलाने की घटनाएं सबसे कम मात्रा में हुई हैं। नरवाई (पराली) जलाने के मामले में यहां के किसान बेहद सजग हैं। यहां के किसान धान का उपयोग तो अपने लिए करते ही  हैं  , जबकि धान कटाई के बाद शेष बचे हिस्से (खूंट या खूंटी) को पशुओं के भोजन के रूप में खेतों में ही रहने देते हैं और कुछ हिस्सा काटकर पशुओं के लिए पुंजनी या पुंजना या कहें रोल बनाकर सुरक्षित रख लेते हैं। यहां परम्परागत रूप से खेती-किसानी का प्रबंधन बेहतर स्वरूप से दिखाई देता है। जिले में किसान हार्वेस्टर से कटाई के बावजूद एक फीट तक धान काटता है और रियर से कटाई करने पर भी कुछ हिस्सा शेष रखते है। यहां किसान धान का शेष भाग मुख्य रूप से पशुओं के लिए संरक्षित करते हैं और पूरे साल भर इसे पशुओं के चारे के रूप में उपयोग में लाते हैं।

जिले के किसान नरवाई (पराली) या पैरा का उपयोग सदियों से विभिन्न तरीकों से करते आ रहे है। यहां पराली को पशुओं के चारे के रूप में, खाद बनाने के लिए, ऊर्जा उत्पादन के लिए, कम्पोस्ट खाद बनाने के लिए, मिट्टी की दीवार बनाने में और मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के लिए भी किया जाता है।पराली पशुओं के लिए एक स्वादिष्ट और पोषक चारा है। पशुओं के भोजन का एक बड़ा हिस्सा धान की पराली ही है। यह जब यह ताज़ा-ताज़ा और हरी होती है, तो यह पशुओं को बड़ी पसंद आती है। पशु इसे बड़े चाव से खाते हैं। पराली में उच्च कोटि का फाइब

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