राज्य कृषि समाचार (State News)

प्रथम पूज्य श्री गणेशजी का महत्व

04 सितम्बर 2024, भोपाल: प्रथम पूज्य श्री गणेशजी का महत्व – भारतीय धर्म और संस्कृति में भगवान गणेशजी सर्वप्रथम पूजनीय और प्रार्थनीय हैं। उनकी पूजा के बगैर कोई भी मंगल कार्य शुरू नहीं होता। कोई उनकी पूजा के बगैर कार्य शुरू कर देता है तो किसी न किसी प्रकार के विश्न आते ही है। सभी धर्मों में गणेश की किसी न किसी रूप में पूजा या उनका आह्वान किया ही जाता है।

गणेश देव: वे अग्रपूज्य, गणों के ईश गणपति, स्वास्तिक रूप तथा प्रणव स्वरूप है। उनके स्मरण मात्र से ही संकट दूर होकर शांति और समृद्धि आ जाती है।
माता-पिता: शिव और पार्वती।
भाई-बहन: कार्तिकेय और अशोक सुंदरी।
पत्नी: प्रजापति विश्वकर्मा की पुत्री ऋद्धि और सिद्धि।
पुत्र: सिद्धि से क्षेम और ऋद्धि से लाभ नाम के दो पुत्र हुए। लोक- परपरा में इन्हें ही शुभ-लाभ कहा जाता है। जन्म समय अनुमानतः 9938 विक्रम संवत पूर्व भाद्रपद माह की चतुथीं।
प्राचीन प्रमाण: दुनिया के प्रथम धर्मग्रंथ ऋग्वेद में भी भगवान गणेशजी का जिक्र है। ऋग्वेद में गणपति शब्द आया है। यजुर्वेद में भी ये उलेख है।
गणेश ग्रंथ: गणेश पुराण, गणेश चालीसा, गणेश स्तुति, श्रीगणेश रुहवनामावली, गणेशजी की आरती, संकटनाशन गणेश स्तोत्र।
गणेशजी के 12 नाम: सुमुख, एकदन्त, कपिल, गजकर्णक, लम्बोदर, विकट, विघ्ननाशक, विनायक, धूम्रकेतु गणाध्यक्ष, भालचन्द्र, विघ्नराज, द्वैमातुर, गणाधिप, हेरम्य, गजानन। अन्य नामः अरुणवर्ण, एकदन्त, गजमुख, लम्बोदर, अरण-वस्त्र, त्रिपुण्ड्र-तिलक, मूषकवाहन।
गणेश का स्वरूप: वे एकदन्त और चतुर्बाहु हैं। अपने चारों हाथों में वे क्रमशः पाश, अंकुश, मोदक पत्त्र तथा वरमुद्रा धारण करते हैं। रक्तवर्ण, लम्बोदर, शूर्पकर्ण तथा पीतवस्त्रधारी है। वे रक्त चंदन धारण करते हैं। प्रिय भोग: मोदक, लहू, प्रिय पुष्प लाल रंग के
प्रिय वस्तु: दुर्वा (दूब), शमी पत्र, अधिपति जल तत्व के
प्रमुख अस्व: पाश, अंकुश, वाहन मुधक
गणेशजी का दिन: बुधवार। गणेशजी की तिथि: चतुथीं।
ग्रहाधिपति: केतु और बुध

गणेश पूजा-आरती केसरिया चंदन, अक्षत, दूर्वी अर्पित कर कपूर जलाकर उनकी पूजा और आरती की जाती है। उनको मोदक का लहू अर्पित किया जाता है। उन्हें रक्तवर्ण के पुष्प विशेष प्रिय हैं I

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