मक्का आयात नीति पर तत्काल पुनर्विचार करें- डॉ कृष्ण बीर चौधरी
13 अगस्त 2024, इंदौर: मक्का आयात नीति पर तत्काल पुनर्विचार करें- डॉ कृष्ण बीर चौधरी – भारतीय कृषक समाज से सम्बद्ध एवं भारतीय राज्य फार्म निगम के पूर्व अध्यक्ष डॉ कृष्ण बीर चौधरी ने केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान को हाल ही में एक विस्तृत पत्र लिखकर मक्का आयात नीति पर तत्काल पुनर्विचार करने की मांग की है।
श्री चौधरी ने अपने पत्र में लिखा है कि भारत में मक्का आयात करने के हाल ही में किए गए भारत सरकार के फैसले पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त करने के लिए भारतीय कृषक समाज यह पत्र लिख रहा है। सरकार के द्वारा मक्का का आयात विशेषतः उस समय पर करना जब नई फसल बाजार में आने के लिए तैयार है, किसानों के प्रति संवेदनहीनता ही नहीं बल्कि कुठाराघात है। इस सम्बन्ध में निम्न विषयों को आपके संज्ञान में लाना चाहते हैं।
घरेलू उत्पादन क्षमता : कई भारतीय राज्य मक्का के महत्वपूर्ण उत्पादक हैं, जो घरेलू मांग को पूरा करने में सक्षम हैं। द हिंदू बिजनेस लाइन (दिनांक 4 अगस्त, 2024) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान वर्ष में मक्का की खरीफ बुवाई सामान्य से लगभग 10 प्रतिशत अधिक की गई है। कृषि मंत्रालय के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष मक्के का क्षेत्रफल लगभग 82.25 लाख हेक्टेयर (एलएच) तक पहुंच गया है, जो गत वर्ष में लगभग 74.56 लाख हेक्टेयर था। यह संभावित रूप से प्रचुर घरेलू फसल उत्पादन का एक स्वस्थ संकेत है, जो आयात पर निर्भर हुए बिना मौजूदा घरेलू मांग की आपूर्ति करने में सक्षम है।
किसानों पर आर्थिक प्रभाव: घरेलू बाजार में मक्का के आयात द्वारा कीमतें कम होने पर हमारे किसान भाइयों को भारी आर्थिक हानि होगी और किसान उत्पादन बढ़ाने में हतोत्साहित होंगे। इससे आयात पर दीर्घकालिक निर्भरता पैदा होगी, जो कृषि में आत्मनिर्भरता के हमारे देश के लक्ष्य के बिलकुल विपरीत है। मक्का का वर्तमान बाजार मूल्य, जैसा कि सचिव ए.एच.डी के 22 जुलाई, 2024 के पत्र में उल्लेख किया गया है, पहले से ही एम. एस.पी से ऊपर है। आयात से कीमतों में कमी आएगी जिससे हमारे किसानों पर गंभीर प्रभाव पड़ेंगे। भारतीय किसानों ने वर्तमान बाजार भाव को ध्यान में रखकर ही मक्का की खेती में पर्याप्त प्रयास और संसाधन लगाए हैं। भारत सरकार को इस प्रकार आयात नीति में बदलाव करके किसानों के साथ कुठाराघात नहीं करना चाहिए।
GM फसलों के बारे में चिंताएँ: मक्का के आयात की अनुमति देने वाली अधिसूचना में GM मक्का का कहीं भी उल्लेख नहीं किया गया है। मक्का निर्यातक अधिकांश देश GM मक्का ही उगाते हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका में, मकई उत्पादन का लगभग 92% आनुवंशिक रूप से संशोधित है (यूएसडीए, 2023) | यदि आयात की अनुमति दी जाती है, तो अंततः जीएम मक्का आयात में स्थानांतरित होने का खतरा है। हमारे बाजार में जीएम मक्का की संभावित शुरूआत स्वास्थ्य, पर्यावरणीय स्थिरता और हमारी कृषि प्रथाओं की अखंडता के लिए घातक है एवं जीएम मक्का हमारे खाद्य आपूर्ति में प्रवेश का एक बड़ा खतरा है।
अल्पकालिक समाधान बनाम दीर्घकालिक स्थिरता: कुक्कुट उद्योग में संलग्न आल इंडिया पोल्ट्री ब्रीडर्स एसोसिएशन (ए.आई.बी.ए) और कंपाउंड लाइवस्टॉक फीड मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (सी. एल. एफ. एम.ए) जैसी संस्थाओं के दबाव में आकर सरकार द्वारा आयात की अनुमति देना केवल अल्पकालिक बाजार में भाव के उतार-चढ़ाव पर आधारित है । आयात अस्थायी राहत प्रदान कर सकता है, लेकिन यह कदम दीर्घकालीन कृषि आत्मनिर्भरता को कमजोर करेगा। सरकार को भारतीय किसानों के कल्याण को प्राथमिकता देनी चाहिए। मक्का की खेती को प्रोत्साहित करने से ग्रामीण आर्थिक समृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा। भारत के आत्मनिर्भर दृष्टिकोण के अनुरूप हमें मक्का उत्पादन में आत्मनिर्भरता का लक्ष्य रखना चाहिए एवं उसको प्राप्त करने के लिए किसानों को उत्साहित करना चाहिए। हम मक्का की उपलब्धता के संबंध में ऑल इंडिया पोल्ट्री ब्रीडर्स एसोसिएशन (एआईपीबीए) और कंपाउंड लाइवस्टॉक फीड मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (सीएलएफएमए) द्वारा उठाई गई चिंताओं से अवगत हैं। तथापि, आयात के माध्यम से इन मुद्दों का समाधान करना भारतीय कृषि और किसानों के हित में नहीं है। इन निकायों के दबाव के आगे झुकने के बजाय, हम सरकार से आग्रह करते हैं कि वह संकर गैर- जीएम मक्का के बीजों को बढ़ावा देकर और मक्का उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करके भारतीय किसानों के कल्याण पर ध्यान केंद्रित करे। हम सरकार से घरेलू उत्पादन क्षमताओं को बढ़ाने, भंडारण और वितरण बुनियादी ढांचे में सुधार करने और किसानों के लिए बाजार लिंकेज बढ़ाने का अनुरोध करते हैं ताकि अल्पकालिक आयात समाधानों को चुनने के बजाय बेहतर मूल्य प्राप्ति सुनिश्चित की जा सके।
आपसे अनुरोध है कि मक्का आयात करने के निर्णय पर पुनर्विचार करें और इसके बजाय उन उपायों को लागू करें जो हमारे जैसे किसानों के हित में हैं ताकि स्थायी कृषि विकास, खाद्य सुरक्षा और हमारे कृषक समाज की आर्थिक भलाई सुनिश्चित हो सके। आशा करता हूँ कि आप तत्काल इस विषय में समुचित कार्यवाही करके मुझे अवगत कराने की कृपा करेंगे ।
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