इक्रीसेट रिसर्च – टेक्नोलॉजी ने खेती को आसान और सस्टेनेबल बनाया है
प्रधानमंत्री इक्रीसेट की 50वीं वर्षगांठ समारोह पर
12 फरवरी 2022, हैदराबाद । इक्रीसेट रिसर्च – टेक्नोलॉजी ने खेती को आसान और सस्टेनेबल बनाया है – श्री नरेन्द्र मोदी ने हैदराबाद के पाटनचेरु में इंटरनेशनल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर सेमी-एरिड ट्रॉपिक्स (इक्रीसेट) का दौरा किया और इक्रीसेट की 50वीं वर्षगांठ समारोह की शुरुआत की। प्रधानमंत्री ने पादप संरक्षण पर इक्रीसेट के जलवायु परिवर्तन अनुसंधान केंद्र और इक्रीसेट के रैपिड जनरेशन एडवांसमेंट केंद्र का भी उद्घाटन किया। ये दो सुविधाएं एशिया और उप-सहारा अफ्रीका के छोटे किसानों को समर्पित हैं। प्रधानमंत्री ने इक्रीसेट के विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए लोगो का भी अनावरण किया और इस अवसर पर जारी एक स्मारक डाक टिकट का शुभारंभ किया। इस अवसर पर तेलंगाना की राज्यपाल श्रीमती तमिलिसाई सुंदरराजन, केंद्रीय मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर और श्री जी. किशन रेड्डी भी उपस्थित थे।
प्रधानमंत्री ने भारत सहित दुनिया के बड़े हिस्से में कृषि क्षेत्र की मदद करने में इक्रीसेट के योगदान के लिए सराहना की। श्री मोदी ने कहा, “आपकी रिसर्च, आपकी टेक्नोलॉजी ने मुश्किल परिस्थितियों में खेती को आसान और सस्टेनेबल बनाया है।” प्रधानमंत्री ने लाइफ-लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट; पी3 – प्रो प्लेनेट पीपल मूवमेंट और 2070 तक भारत नेट जीरो टारगेट के बारे में बताया। उन्होंने कहा, “भारत ने क्लाइमेट चैलेंज से निपटने के लिए दुनिया से इस पर विशेष ध्यान देने का आग्रह किया है। प्रो-प्लेनेट पीपल एक ऐसा मूवमेंट है जो क्लाइमेट चैलेंज से निपटने के लिए हर कम्युनिटी को, हर इंडिविजुअल को क्लाइमेट रिस्पांसिबिलिटी से जोड़ता है। ये सिर्फ बातों तक सीमित नहीं है, बल्कि भारत सरकार के एक्शन्स में भी रिफ्लेक्ट होता है।”
प्रधानमंत्री ने देश के 15 कृषि-जलवायु क्षेत्रों और 6 मौसमों की चर्चा करते हुए रेखांकित किया कि भारत का फोकस, अपने किसानों को जलवायु चुनौती से सुरक्षा प्रदान करने के लिए ‘मौलिकता को फिर से अपनाने’ (बैक टू बेसिक) और ‘भविष्य की ओर बढ़ने’ (मार्च टू फ्यूचर) के तालमेल पर है। उन्होंने बदलते भारत के एक और आयाम यानी डिजिटल कृषि का उल्लेख किया, जिसे उन्होंने भारत का भविष्य बताया और इस बात पर जोर दिया कि प्रतिभाशाली भारतीय युवा इस क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान दे सकते हैं। उन्होंने फसल मूल्यांकन, भूमि रिकॉर्ड डिजिटलीकरण, ड्रोन द्वारा कीटनाशकों और पोषक तत्वों का छिड़काव जैसे क्षेत्रों को सूचीबद्ध करते हुए कहा , “डिजिटल प्रौद्योगिकी के माध्यम से किसानों को सशक्त बनाने के लिए भारत के प्रयास लगातार बढ़ रहे हैं।”
प्रधानमंत्री ने जोर देते हुए कहा कि अमृत काल में, भारत उच्च कृषि विकास के साथ-साथ समावेशी विकास पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। कृषि क्षेत्र में महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से सहायता प्रदान की जा रही है। उन्होंने कहा, “कृषि में आबादी के एक बड़े हिस्से को गरीबी से बाहर निकालने और उन्हें बेहतर जीवन-शैली की ओर ले जाने की क्षमता है। यह अमृत काल भौगोलिक दृष्टि से दुर्गम क्षेत्रों के किसानों को भी नए साधन उपलब्ध कराएगा।”
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