State News (राज्य कृषि समाचार)

हरियाणा सरकार का कृषि उद्योग पर जोर

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किसानों को उनकी उपज के बेहतर दाम मिलें

07 सितंबर 2020, चंडीगढ़। हरियाणा सरकार का कृषि उद्योग पर जोर  हरियाणा के उपमुख्यमंत्री श्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि राज्य सरकार कृषि आधारित उद्योग स्थापित करने पर जोर देगी ताकि प्रदेश के किसानों को उनकी उपज के बेहतर दाम मिल सकें। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के तहत कृषि आधारित ऐसी परियोजनाएं स्थापित करने की योजना बना रही है जिनसे कृषि आधारभूत संरचना का और अधिक विकास हो।

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उपमुख्यमंत्री ने बताया कि केंद्र सरकार ने ‘कृषि आधारभूत संरचना कोष के तहत वित्तीय सुविधा’ योजना तैयार की है। इसके अंतर्गत बैंकों और वित्तीय संस्थानों के माध्यम से आधारभूत संरचना और लॉजिस्टिक सुविधाओं के लिए उद्यमियों, स्टार्ट-अप्स, एग्री-टेक प्लेयर्स और किसान समूहों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए एक लाख करोड़ रूपए का आर्थिक पैकेज रखा है।

उन्होंने बताया कि हरियाणा सरकार केंद्र सरकार के इस एक लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज में से 3170 करोड़ रूपए की कृषि आधारभूत संरचना  के विकास और किसानों के कल्याण के लिए कई परियोजनाएं बनाएगी। इसके तहत परियोजनाओं की जांच एवं सिफारिश करने के लिए सहकारिता विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव के नेतृत्व में एक टास्क फोर्स का गठन किया गया है। अब यह टास्क फोर्स हितधारकों से प्रस्ताव आमंत्रित करेगा, प्रस्तावों की व्यवहार्यता की जांच करेगा और सरकार के विचारार्थ या अनुमोदन के लिए परियोजनाओं की सिफारिश करेगा।

 श्री दुष्यंत चौटाला ने बताया कि अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे विशेष तरल ऋण के माध्यम से किसानों को अतिरिक्त कार्यशील पूंजी उपलब्ध करवाने, अल्पावधि अग्रिम और पशु किसान क्रेडिट कार्ड के तहत नामांकन, कृषि आधारभूत संरचना के विकास, दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों के लिए बुनियादी ढ़ांचे तथा दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों, दुग्ध संग्रह केंद्रों और दुग्ध संयंत्रों के डिजिटलीकरण एवं नवीनीकरण आदि से संबंधित परियोजाएं तैयार करें ताकि प्रदेश के किसानों को अधिक से अधिक लाभ हो।

डिप्टी सीएम ने यह भी बताया कि राज्य सरकार ने कृषि-उद्यमिता को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से किसानों को खेत परिसंपत्तियों के पोषण और फसल प्रबंधन बारे शिक्षित करने के लिए संगोष्ठियां आयोजित करने का निर्णय लिया गया है। ये किसानों को उनकी उपज के लिए अधिक मूल्य प्राप्त करने, अपव्यय को कम करने और प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन को बढ़ाने में मदद करेंगी।

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