State News (राज्य कृषि समाचार)Animal Husbandry (पशुपालन)

पशु रोगों की समस्या के लिए ये महत्वपूर्ण नम्बर, संपर्क करें

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26 सितम्बर 2022, ग्वालियर: पशु रोगों की समस्या के लिए ये महत्वपूर्ण नम्बर, संपर्क करें – गाय एवं भैंस वंशी पशुओं में फैल रहे संक्रामक रोगों से संबंधित समस्या के लिए शहर के नागरिक एवं पशु पालक पशु चिकित्सा विभाग के अधिकारियों से संपर्क कर उनसे जानकारी एवं सलाह ले सकते हैं।         

मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले के पशु चिकित्सा विभाग के उप संचालक डॉ. के एस बघेल ने बताया है कि ग्वालियर जिले में पशुओं के उपचार एवं अन्य सहायता के लिए कंट्रोल रूम भी गठित किया गया है। इस कंट्रोल रूम में उप संचालक डॉ. के एस बघेल मोबा. 9009926988, जिला नोडल अधिकारी डॉ. बी  पी शर्मा मोबा. 9826503473 तथा सहायक नोडल अधिकारी डॉ. आर पी शर्मा मोबा. 9009173398 पर कोई भी व्यक्ति सूचना देकर जानकारी प्राप्त कर सकता है। इसके साथ ही विकासखंड मुरार के लिये डॉ. जी एस दुबे मोबा. 8319204003, विकासखंड डबरा के लिये डॉ. एन बी खान मोबा. 8120047600, विकासखंड घाटीगाँव के लिये डॉ. अवनीश शर्मा मोबा. 9926288390 और विकासखंड भितरवार के लिये डॉ. बी एल स्वर्णकार मोबा. 9425063852 पर संपर्क कर बीमार गायों के संबंध में जानकारी एवं सहयोग प्राप्त किया जा सकता है। नगरीय क्षेत्र में आवारा पशुओं, घायल पशुओं और बीमार पशुओं के संबंध में नगर निगम के कंट्रोल रूम 0751-2438358 पर कोई भी नागरिक सूचना देकर सहयोग प्राप्त कर सकता है।

लम्पी रोग के लक्षण एवं सुझाव 

लम्पी रोग से पशुओं को शुरू में बुखार आता है और वे चारा खाना बंद कर देते हैं। इसके बाद चमड़ी पर गाँठें दिखाई देने लगती है, पशु थका हुआ और सुस्त दिखाई देता है, नाक से पानी बहना एवं लंगड़ा कर चलता है। यह लक्षण दिखाई देने पर पशुपालक तुरंत अपने नजदीकी पशु चिकित्सालय या पशु औषधालय से संपर्क कर बीमार पशुओं का उपचार कराएँ। पशु सामान्यत: 10 से 12 दिन में स्वस्थ हो जाता है। 

क्या करें, क्या न करें 

संक्रमित पशु को स्वस्थ पशु से तत्काल अलग करें। पशु चिकित्सक से तत्काल उपचार आरंभ कराएँ। संक्रमित क्षेत्र के बाजार में पशु बिक्री, पशु प्रदर्शनी, पशु संबंधी खेल आदि पूर्णत: प्रतिबंधित करें। संक्रमित पशु प्रक्षेत्र, घर, गौ-शाला आदि जगहों पर साफ-सफाई, जीवाणु एवं विशाणु नाशक रसायनों का प्रयोग करें। पशुओं के शरीर पर होने वाले परजीवी जैसे- किलनी, मक्खी, मच्छर आदि को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करें। स्वस्थ पशुओं का टीकाकरण कराएँ और पशु चिकित्सक को आवश्यक सहयोग भी करें।

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