रबी मौसम में फसलों लिये उपयोगी सलाह अपनाएं – डॉ बड़ोनिया
13 दिसम्बर 2022, मंदसौर: रबी मौसम में फसलों लिये उपयोगी सलाह अपनाएं – डॉ बड़ोनिया – गेंहॅू की बुवाई के 20-21 दिन बाद मुख्य जड़ बनने की अवस्था पर सिंचाई अवश्यक करें। गेंहॅू में यूरिया का उपयोग सिंचाई उपरांत ही करें जिससे नत्रजन का समुचित उपयोग हो सके।
चने की फसल 20-25 सेमी की हो जाये तो खुटाई (निपिंग) अवश्यक करें जिससे पौधों पर अधिक शाखाऐं निकले और उपज में वृद्धि हो सके। चने की खुटाई बुवाई के 30-40 दिनों के भीतर पूर्ण करें तथा 40 दिन बाद नही करनी चाहिए। सिंचित दशा में चने में पहली सिंचाई शाखाऐं बनते समय तथा दूसरी सिंचाई फली बनते समय देना चाहिए। सिंचाई हल्कीं करें, सिंचाई स्प्रिंकलर द्वारा की जा सकती है।यह जानकारी उप संचालक कृषि डॉ ए, के, बड़ोनिया ने रबी सीजन में फसलों के अधिक उत्पादन के लिए दी गई है। डॉ बड़ोनिया ने बताया चने में फूल बनने की सक्रिय अवस्था में सिंचाई नहीं करना चाहिए। चने के खेत में कीट नियंत्रण हेतु ‘टी’ आकार की खूंटियां (35-40/हे.) लगायें। चने की फसल में चने की इल्ली का प्रकोप आर्थिक क्षति स्तर (1-2 लार्वा/मी.पंक्ति) तक पहूंच जाये तो इसके नियंत्रण हेतु क्यूनॉलफॉस या प्रोफेनोफॉस कीटनाशी दवा को 2 मि.ली./ली. पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
सरसों में सिंचाई, जल की उपलब्धता के आधार पर करें। यदि एक सिंचाई उपलब्धे हो तो 50-60 दिनों की अवस्था पर करें। दो सिंचाई उपलब्ध होने की अवस्था में पहली सिंचाई बुवाई के 40-50 दिनों बाद एवं दूसरी 90-100 दिनों के बाद करें। यदि तीन सिंचाई उपलब्ध है तो पहली 30-35 दिन पर व अन्य दो 30-35 दिनों के अंतराल पर करें। बुवाई के लगभग 2 माह बाद जब फलिंयों में दाने भरने लगे उस समय दूसरी सिंचाई करें। दिसम्बर के अंतिम सप्ताह में तापमान में तीव्र गिरावट के कारण पाले की भी आंशका रहती है। इससे फसल बढवार और फली विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इससे बचने के लिए सल्फर युक्त रसायनों का प्रयोग लाभकारी होता है। डाई मिथाईल सल्फोव आक्सासइड का 0.2 प्रतिशत अथवा 01 प्रतिशत थायो यूरिया का छिड़काव लाभप्रद होता है। थायोयूरिया 500 ग्राम 500 लीटर पानी में घोल बनाकर फूल आने के समय एवं दूसरा छिड़काव फलियां बनने के समय प्रयोग करें। इससे फसल का पाले से भी बचाव होता है। जब भी पाला पड़ने की आशंका हो या मौसम विभाग द्वारा पाले की चेतावनी दी गई हो तो फसल में हल्की सिंचाई कर देनी चाहिएं।
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