राज्य कृषि समाचार (State News)

किसानों को मुआवजा देने तंत्र की नीयत में खोट

कृषि मंत्री श्री कमल पटेल के प्रभार वाले जिले में

  • इंदौर (कृषक जगत)  

10 मई 2023,  किसानों को मुआवजा देने तंत्र की नीयत में खोट – लगता है मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले की पांढुर्ना तहसील के नौकरशाहों की नीयत में खोट है। तभी तो विभिन्न विभागों के इन नौकरशाहों को प्रदेश के कृषि मंत्री श्री कमल पटेल के निर्देशों को हवा में उड़ाने से भी कोई गुरेज नहीं है। ये किसानों को गुमराह कर अपनी मनमानी करते हुए आंकड़ों का ऐसा करतब दिखाते हैं, कि उन्हें कोई आर्थिक लाभ नहीं  मिल सके। भले ही सरकार की मंशा किसानों को लाभ पहुंचाने की रही हो। छिंदवाड़ा जिले की पांढुर्ना तहसील एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जिसमें गत मार्च माह में हुई आकस्मिक बारिश और हवा आंधी से संबंधित किसान की फसलों को हुई हानि का न केवल देर से, बल्कि दो बार निरीक्षण किया गया। इसके बावजूद  मुआवजा पाने के लिए पंचनामा जैसे जरूरी दस्तावेज, जो किसान को निरीक्षण दल द्वारा मौके पर ही दिए जाने के निर्देश थे, की भी अवहेलना की गई। यहीं नहीं फसल क्षति का मनमाना आकलन कर किसान को आर्थिक लाभ के दायरे से भी बाहर कर दिया गया, जिसका खुलासा किसान को उसके द्वारा सीएम हेल्प लाइन में की गई शिकायत के जवाब में मिला, जिसमें किसान को आर्थिक सहायता राशि के लिए नीतिगत रूप से अपात्र मानते हुए शिकायत को विलोपित करने की अनुशंसा की गई है। ऐसे में नौकरशाहों की नीयत पर सवाल उठना वाजि़ब है।

इस संबंध में शिकायतकर्ता श्री उमेश खोड़े, ग्राम धावड़ीखापा तहसील पांढुर्ना जिला छिंदवाड़ा ने कृषक जगत को बताया कि उनके माता -पिता श्री मंसाराम और वनमाला खोड़े के नाम पटवारी हल्का नंबर 52 में ज़मीन है। 7 मार्च को हुई आकस्मिक वर्षा और आंधी तूफान से  गेहूं, सरसों और संतरे की फसल को नुकसान पहुंचा तो उसी दिन पांढुर्ना एसडीएम को आवेदन देकर शीघ्र सर्वे कर मुआवजा देने की मांग की गई थी। 9 दिन बाद 16 मार्च को कृषि, उद्यानिकी और राजस्व विभाग के संयुक्त निरीक्षण दल ने हमारे खेत का निरीक्षण कर पंचों की मौजूदगी में पंचनामा बनाया और फसल की 30 प्रतिशत नुकसानी का आकलन किया गया, लेकिन हमें पंचनामे की कॉपी नहीं दी गई, जबकि कृषि मंत्री श्री कमल पटेल ने एसडीएम पांढुर्ना को तुरंत सर्वे कर किसानों को पंचनामे की कॉपी देने और निरीक्षण की वीडियोग्राफी करने के निर्देश फोन पर दिए गए थे। ऐसी ही स्थिति खरीफ फसल की नुकसानी के समय भी देखी गई थी। तब भी फसल क्षति का मनमाना आकलन कर 10-15 प्रतिशत नुकसानी बताई, जबकि बहुत अधिक नुकसान हुआ था। इससे न फसल क्षति की राशि मिली न फसल बीमा मिला। अभी रबी में भी वर्षा से हुई नुकसानी की सूचना फसल बीमा कम्पनी को 72 घंटे के अंदर  दी थी, लेकिन बीमा कम्पनी से अपेक्षित सहयोग नहीं मिला।

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गत मार्च माह में हुई वर्षा से रबी में  गेहूं और संतरा आदि फसलों में हुई नुकसानी के करीब सवा महीने बाद दूसरी बार 18 अप्रैल को संयुक्त निरीक्षण दल हमारे खेत पर आए, तब तक गेहूं की फसल कट चुकी थी और संतरे के फल भी निकल चुके थे। दल ने  पेड़ों की जानकारी ली और पंचनामा बनाते समय कहा कि पहला जाँच दल क्षति का आकलन कर चुका है, इसलिए इस पंचनामे में उसका उल्लेख नहीं कर रहे हैं। कलेक्टर छिंदवाड़ा और एसडीएम पांढुर्ना को भी जन सुनवाई में भी आवेदन दिया, लेकिन कोई जवाब नहीं आया तो सीएम हेल्प लाइन पर की गई शिकायत में 21 अप्रैल को जवाब में कहा गया कि आवेदक के यहां 20 प्रतिशत की आंशिक क्षति हुई है। आरबीसी 6-4 में 25 प्रतिशत से कम फसल क्षति पाए जाने पर सहायता राशि देने का कोई प्रावधान नहीं है, अत: आवेदक नीतिगत रूप से अपात्र हैं। इस पर किसान ने पुन: जवाब दिया कि नुकसान का आकलन फर्जी तरीके से किया गया है, क्योंकि पहली टीम द्वारा 30 प्रतिशत नुकसानी बताई गई थी। यह मामला अब लेवल 3 पर लंबित है। किसान को उम्मीद है कि इंसाफ मिलेगा, क्योंकि कृषि मंत्री ने कहा है कि यदि किसी एक किसान का भी नुकसान हुआ है तो उसे मुआवजा दिया जाएगा। 

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