राज्य कृषि समाचार (State News)

खाद-बीज विक्रेताओं की मनमानी बिना मूल्य सूची के बेची जा रही कृषि सामग्री  

06 जुलाई 2024, इंदौर: खाद-बीज विक्रेताओं की मनमानी बिना मूल्य सूची के बेची जा रही कृषि सामग्री – खरीफ सीजन शुरू हो चुका है। कुछ क्षेत्रों में खरीफ फसलों के लिए बुवाई हो चुकी है, तो कहीं तैयारियां की जा रही है। किसान खाद -बीज खरीदने के लिए कृषि आदान विक्रेताओं के यहाँ पहुँच रहे हैं। किसानों का कहना है कि खाद-बीज की कई दुकानों पर मूल्य सूची नहीं लगी होने से व्यापारियों द्वारा किसानों से मनमाना दाम वसूला जा रहा है। जबकि नियमानुसार हर दुकान पर मूल्य सूची प्रदर्शित करना अनिवार्य है।

मूल्य सूची पर उचित और त्वरित कार्रवाई नहीं – कृषि आदान विक्रेताओं द्वारा बिना मूल्य सूची के खाद-बीज बेचने का यह कोई नया मामला नहीं है। इस बारे में हर साल किसानों की ओर से शिकायत की जाती है, लेकिन त्वरित एवं उचित कार्रवाई नहीं होने से किसानों को हर साल इन्हीं समस्याओं से जूझना पड़ता है। इस मामले में महाकौशल से लेकर मालवा -निमाड़ तक एक जैसे हालात हैं। निमाड़, बैतूल और पांढुर्ना जिले से भी दुकानदारों द्वारा कपास का बीज निर्धारित खुदरा मूल्य से अधिक कीमत पर बेचने की शिकायतें आई थी।आदिवासी बहुल क्षेत्रों में तो खाद को डीएपी के रूप में बेचा जा रहा है। प्रतिष्ठित कंपनियों के प्रोम खाद (मिनरल उर्वरक एवं जैविक खाद का मिश्रण), एमओपी और सुपर फास्फेट को भी डीएपी बताकर बेचा जा रहा है। ताज़ा मामला जबलपुर जिले के सिहोरा और मझौली तहसीलों का सामने आया है, जहाँ भारत कृषक समाज के सदस्यों और किसानों ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि सिहोरा में दो दर्जन से अधिक खाद-बीज की दुकानें हैं, लेकिन कहीं भी मूल्य सूची नहीं लगी है। ग्रामीण क्षेत्र में तो हालत बहुत ज़्यादा खराब है। किराना दुकानों की तरह खुली खाद -बीज की इन दुकानों में कृषि विभाग के किसी भी नियम का पालन नहीं किया जाता है। इस कारण किसान ठगी का शिकार हो जाते हैं।

पांढुर्ना की पीड़ा – पांढुर्ना जिले के ग्राम धावड़ीखापा के किसान श्री मंशाराम झोट्या खोड़े, श्रीमती वनमाला मंशाराम खोड़े ,ग्राम रायबासा के श्री रोशन पांसे,ग्राम अंबाड़ाखुर्द के श्री रोशन कलंबे, ग्राम बोरखेड़ी के श्री राहुल बेलखेड़े और भण्डारगोंदी के श्री नीलेश कलशकर ने कृषक जगत को बताया कि क्षेत्र की खाद -बीज की दुकानों के सूचना पटल पर कृषि सामग्री का तो निर्धारित मूल्य ही दर्शाया जाता है, लेकिन किसानों से खुदरा मूल्य से अधिक कीमत वसूली जाती है। किसानों को पक्का बिल भी नहीं दिया जाता है। खाद -बीज स्टॉक के प्रदर्शन में भी अनियमितता की जाती है। कुछ दुकानों के सूचना पटल पर आज  उर्वरक उपलब्ध नहीं है की सूचना लिखी गई है। क्षेत्र में डीएपी की कमी बताई जा रही है। ऐसे में उर्वरक का यह संकट सामान्य है या कृत्रिम यह नहीं कहा जा सकता है।

क्या है नियम ? – कृषि आदान के थोक एवं फुटकर व्यवसायी को अपने सूचना पटल पर अनुज्ञापन प्रमाण-पत्र, खाद ,बीजों की मूल्य सूची, स्कंध की जानकारी और भण्डारण क्षमता को बोर्ड पर प्रतिदिन अंकित करना अनिवार्य है। यदि कोई विक्रेता ऐसा नहीं करता है और मूल्य सूची से अधिक दाम पर कृषि सामग्री बेचता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई करते हुए अनुज्ञापन प्रमाण-पत्र ( लाइसेंस ) निरस्त करने का प्रावधान है।

नाप तौल विभाग भी शामिल – किसानों के हितों के संरक्षण हेतु सरकार ने इस बार  कृषि विभाग के साथ ही राज्य के नापतौल विभाग को भी जाँच में शामिल किया है। नापतौल विभाग द्वारा भी खाद -बीज एवं कीटनाशक की दुकानों में  विधिक माप विज्ञापन अधिनियम 2009 के अंतर्गत विभिन्न धाराओं में अलग-अलग स्थानों पर कार्यवाही की जा रही है। वहीं कृषि विभाग द्वारा भी बीज, उर्वरक एवं कीटनाशक अधिनियम के तहत विभिन्न धाराओं में  प्रकरण दर्ज़ किए जा रहे हैं ।

इस संबंध में श्री रवि आम्रवंशी, उप संचालक कृषि ,जबलपुर ने कृषक जगत को बताया कि संबंधित सिहोरा और मझौली तहसीलों के कृषि आदान विक्रेताओं के यहाँ मूल्य सूची तो लगी हुई है। हो सकता है उसे अपडेट नहीं किया गया हो। इस मामले की जानकारी लेता हूँ।

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