State News (राज्य कृषि समाचार)

मंडियां बंद होने से भेड़ों को भिंडी चरा दी

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28  मई 2021, इंदौर मंडियां बंद होने से भेड़ों को भिंडी चरा दी लॉक डाउन के कारण मध्य प्रदेश की मंडियां बंद होने से लगातार दूसरे साल सब्जी और फल उत्पादक किसानों की उपज नहीं बिक पाने से उन्हें बहुत नुकसान हो रहा है l हालात यह हो गए हैं कि खेत में खड़ी भिंडी की फसल भेड़ों को खिलाई जा रही है l

इंदौर जिले के ग्राम बोरिया (बेटमा ) के किसान श्री सतीश मकवाना ने कृषक जगत को बताया कि डेढ़ बीघा में भिंडी लगाई थी l बीज और खाद ,दवाई में 35 हजार की लागत आई l लॉक डाउन के कारण इंदौर की मंडियां बंद होने से अपनी फसल नहीं बेच पा रहे हैं l भिंडी को हर एक -दो रोज में तोड़ना पड़ता है,लेकिन तुड़ाई कराकर मंडी  में बेचे कैसे ? तुड़ाई खर्च भी नहीं निकलने से भिंडी भेड़ों को खिलाना पड़ रही है l इस नुकसानी का मुआवजा मिलना चाहिए l

इसी तरह ग्राम चटवाड़ा (देपालपुर ) के किसान श्री गोविन्द तेजकरण चंदेल ने भी 4 बीघा में भिंडी लगाई थी l 3800 रु. किलो का बीज खरीदा l खाद -दवाई में भी हजारों खर्च हो गए l  सिर्फ तीन बार मंडी में फसल बेच पाए l अब मंडियां बंद  होने से फसल नहीं बिक पा रही है l भिंडी तुड़ाई का खर्च भी नहीं निकलने से उन्होंने एक खेत में ट्रैक्टर से हकाई कर दी और दूसरे खेत में दो बीघे की खड़ी भिंडी की फसल को भेड़ों के लिए खाने को छोड़ दिया l

यही हाल तरबूज और धनिया उत्पादक किसानों का भी है l  ग्राम बालोदा टाकून के श्री विनोद पिता कल्याण सिंह ने कृषक जगत को बताया कि 3 बीघा में तरबूज लगाया था l फसल भी अच्छी थी ,लेकिन मंडियां बंद होने से तरबूज नहीं बेच पा रहे हैं , जबकि खाद-बीज आदि में 60 हजार की लागत आ चुकी है l वजनदार  होने से तरबूज की फसल को ठेलों पर भी नहीं बेचा जा सकता है l इसे तो थोक में गाड़ियों में भरकर ही बेचा जा सकता है , जो अभी सम्भव नहीं है l  

वहीं बेगन्दा (देपालपुर ) के किसान श्री विकास पिता सज्जन सिंह ने दो बीघे में धनिया लगाया था , जिसमें करीब दस हजार की लागत आई ,लेकिन मंडी बंद होने से हरा धनिया नहीं बेच पा रहे हैं , जिससे बहुत नुकसान हो रहा है l फसल खेत में ही सूख रही है . यही हाल सभी किसानों का है l किसानों की इस व्यथा पर भारतीय किसान मजदुर सेना के प्रदेशाध्यक्ष श्री बबलू जाधव ने कहा कि बगैर रणनीति के तत्काल मंडियां बंद करने का खामियाजा किसानों को नुकसान के रूप में भुगतना पड़ रहा है , जिसका मुआवजा किसानों को मिलना चाहिए l  

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