MP के किसान अब जैव ईंधन बनाएंगे! सरकार दे रही है सब्सिडी और जमीन
21 फ़रवरी 2025, भोपाल: MP के किसान अब जैव ईंधन बनाएंगे! सरकार दे रही है सब्सिडी और जमीन – मध्यप्रदेश सरकार ने “बॉयो फ्यूल योजना-2025” को मंजूरी दे दी है, जिसका मकसद जैव ईंधन उत्पादन को बढ़ावा देना और किसानों को इससे जोड़कर उनकी आमदनी बढ़ाना है। इस योजना में बॉयो सीएनजी, बॉयो मास ब्रिकेट, पेलेट और बॉयोडीजल जैसे ईंधनों को प्राथमिकता दी गई है। सरकार का दावा है कि इससे किसानों को फसल अवशेषों से कमाई का नया जरिया मिलेगा और प्रदेश में हरित ऊर्जा को बढ़ावा मिलेगा।
क्या होते हैं बॉयो फ्यूल?
बॉयो फ्यूल यानी जैव ईंधन वे ईंधन होते हैं जो पौधों, कृषि अपशिष्ट, जैविक अवशेष और अन्य प्राकृतिक स्रोतों से बनाए जाते हैं। ये परंपरागत जीवाश्म ईंधनों (जैसे पेट्रोल और डीजल) का एक हरित और टिकाऊ विकल्प हैं। बॉयो फ्यूल के कई प्रकार होते हैं, जैसे बॉयो डीजल, बॉयो एथेनॉल, बॉयो सीएनजी, बॉयो मास ब्रिकेट और पेलेट। ये न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद होते हैं बल्कि कृषि क्षेत्र में अतिरिक्त आय का जरिया भी बनते हैं।
किसानों को कैसे होगा फायदा?
इस योजना के तहत किसानों को बॉयो मास उत्पादन और बिक्री की सुविधा मिलेगी। सरकार कृषि उपकरणों पर सब्सिडी, फसल अवशेषों की खरीद और सप्लाई चैन विकसित करने के लिए कदम उठाएगी। इसके अलावा, बॉयो फ्यूल उत्पादन के लिए सरकारी जमीन को कलेक्टर दर के 10% वार्षिक शुल्क पर उपलब्ध कराया जाएगा, जिससे किसानों को अतिरिक्त आमदनी का अवसर मिल सके।
निवेश और उद्योगों को क्या मिलेगा?
बॉयो फ्यूल उत्पादन संयंत्र लगाने के लिए सरकार 200 करोड़ रुपये तक का बुनियादी निवेश प्रोत्साहन (बीआईपीए) देगी। बिजली, पानी, गैस पाइपलाइन और अपशिष्ट प्रबंधन जैसी आधारभूत सुविधाओं के लिए 50% अनुदान (अधिकतम 5 करोड़ रुपये तक) दिया जाएगा।
इसके अलावा, बॉयो फ्यूल यूनिट्स को 10 वर्षों तक विद्युत शुल्क और ऊर्जा विकास उपकर में छूट दी जाएगी। 500 करोड़ रुपये से अधिक निवेश करने वाले उद्योगों के लिए विशेष अनुकूलित पैकेज की भी घोषणा की गई है।
सरकार की योजना है कि इस योजना के जरिए निवेशकों को आकर्षित किया जाए। इसी कड़ी में भोपाल में 24-25 फरवरी 2025 को होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में बॉयो फ्यूल सेक्टर को प्रमुखता से पेश किया जाएगा, जिससे इस क्षेत्र में नए निवेश की संभावनाएं बढ़ेंगी।
सरकार का दावा है कि इस योजना से पर्यावरण के अनुकूल ईंधन का उत्पादन बढ़ेगा और प्रदूषण कम होगा, जिससे प्रदेश हरित ऊर्जा में आत्मनिर्भर बन सकेगा। इसके साथ ही, गांवों में रोजगार के नए अवसर बनेंगे और किसानों को फसल अवशेषों से अतिरिक्त आमदनी का विकल्प मिलेगा।
बॉयो फ्यूल यूनिट्स को आईपीआर (बौद्धिक संपदा अधिकार) और गुणवत्ता नियंत्रण सहायता भी मिलेगी, जिससे इनका संचालन अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हो सके।
सरकार का मानना है कि इससे स्थानीय स्तर पर उद्यमिता को बढ़ावा मिलेगा और औद्योगिक निवेश को भी रफ्तार मिलेगी। “बॉयो फ्यूल योजना-2025” को मध्यप्रदेश मंत्रि-परिषद द्वारा मंजूरी दे दी गई है, जिससे इसे अब आधिकारिक रूप से लागू किया जाएगा।
हालांकि, इस योजना की असली सफलता इस पर निर्भर करेगी कि इसे जमीनी स्तर पर कितनी प्रभावी तरीके से लागू किया जाता है। अगर सरकार इसे सही तरह से लागू करती है, तो यह योजना प्रदेश के कृषि क्षेत्र और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए अहम साबित हो सकती है।
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