छत्तीसगढ़ में दंतेवाड़ा के किसान अपना रहे हैं श्री पद्धति: दोगुना उत्पादन और कम लागत से मिल रहा लाभ
30 जुलाई 2024, रायपुर: छत्तीसगढ़ में दंतेवाड़ा के किसान अपना रहे हैं श्री पद्धति: दोगुना उत्पादन और कम लागत से मिल रहा लाभ – छत्तीसगढ़ के सुदूर दंतेवाड़ा जिले में किसान अब श्री पद्धति को अपना रहे हैं। पारंपरिक धान की बोनी की तुलना में इस पद्धति से दोगुना उत्पादन और कम लागत इसकी खासियत है। इस खरीफ मौसम में जिला प्रशासन और कृषि विभाग के संयुक्त प्रयास से 540 हेक्टेयर में धान की बोनी की गई है। जिले के अन्य किसानों को भी इस पद्धति को अपनाने के लिए जागरूक किया जा रहा है।
कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि ’’श्री पद्धति’’ से बोआई करने पर पानी की कम आवश्यकता होती है और फसल में रोग लगने की संभावना भी कम रहती है। इसके अलावा, इस पद्धति में उर्वरक और रासायनिक दवाओं का प्रयोग नहीं किया जाता है, बल्कि “ग्रीन मन्योर” (हरी खाद) का उपयोग किया जाता है। ’’श्री पद्धति’’ से खेती करने पर लगभग दो से ढाई गुना अधिक उत्पादन होता है, इसलिए किसानों को लगातार इस पद्धति को अपनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इस पद्धति से खेती के लिए जिले के विकासखंड गीदम और दंतेवाड़ा क्षेत्र के किसानों ने अधिक रुचि दिखाई है।
अधिकारियों ने बताया कि ’’श्री पद्धति’’ बोआई के अन्य लाभों में कम बीज से अधिक उत्पादन शामिल है। पारंपरिक खेती में एक हेक्टेयर में जहां 50 से 60 किलो बीज की जरूरत पड़ती है, वहीं ’’श्री पद्धति’’ में महज 5 से 6 किलो बीज की जरूरत होती है। इससे किसानों को कम बीज में अधिक उत्पादन मिलता है। जिला प्रशासन की पहल पर जिले में 600 हेक्टेयर में ’’श्री पद्धति’’ से धान की बोनी का लक्ष्य रखा गया है और 1200 हेक्टेयर रकबे में ग्रीन मैन्योर तैयार कर उत्पादकता बढ़ाने की दिशा में काम किया जा रहा है।
वर्तमान में बारिश की स्थिति जिले में अच्छी होने के चलते किसानों को ’’श्री पद्धति’’ से खेती के लिए अनुकूल अवसर मिला है। कृषि विभाग द्वारा किसानों को खेती की तैयारी से लेकर पौधों की रोपाई की पूरी जानकारी दी जा रही है। साथ ही खरपतवार नियंत्रण के बारे में भी बताया जा रहा है। पिछले वर्ष तक जिले में महज 150 हेक्टेयर में ही ’’श्री पद्धति’’ से किसान धान की खेती करते थे, जबकि इस वर्ष यह रकबा बढ़ाकर 540 हेक्टेयर कर दिया गया है।
(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़, टेलीग्राम, व्हाट्सएप्प)
(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)
कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:
www.krishakjagat.org/kj_epaper/
कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: