मध्य प्रदेश में कपास बीज की किल्लत खरगोन में किसानों ने लगाई लाईन, किया चक्काजाम
20 मई 2024, खरगोन: मध्य प्रदेश में कपास बीज की किल्लत खरगोन में किसानों ने लगाई लाईन, किया चक्काजाम – प्रदेश के कपास बेल्ट निमाड़ में किसानों को कपास बीज के लिए जूझना पड़ रहा है। राज्य में लगभग 6 से 6.30 लाख हेक्टेयर में कपास ली जाती है, जिसमें 95 फीसदी क्षेत्र बी.टी. कॉटन से कवर होता है। इसलिए बीटी की मांग बढ़ जाती है। वर्तमान में खरीफ की बोनी के लिए किसान खाद – बीज की तैयारियों में जुट गए हैं, लेकिन मध्य प्रदेश के प्रमुख कपास उत्पादक खरगोन जिले के किसानों, जिनमें महिलाएं भी शामिल थीं, को विशेष कम्पनी के बीटी कपास बीज के संकट के चलते कड़क धूप में कतार में लगना पड़ रहा है। जिला प्रशासन द्वारा अनाज मंडी में किसानों को टोकन से प्रति पावती दो पैकेट देने की व्यवस्था की गई,जिसे पाने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है। समय पर टोकन नहीं मिलने और अन्य अव्यवस्थाओं के चलते आक्रोशित किसानों ने भुसावल -चित्तौडग़ढ़ राज मार्ग पर चक्काजाम कर दिया।
बीज की कालाबाजारी पर होगी एफआईआर
चक्काजाम के बाद खरगोन कलेक्टर श्री कर्मवीर शर्मा ने कृषि आदान विक्रेता संघ की बैठक ली। बैठक में किसान प्रतिनिधि के अलावा कृषि विभाग के अधिकारी भी शामिल हुए थे। जिसमें बीज की व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए। कृषक जगत जिला प्रतिनिधि श्री दिलीप दसौंधी के अनुसार बाद में कलेक्टर श्री शर्मा ने ऑनलाइन बैठक भी ली जिसमें कपास बीज स्टॉक की मात्रा, उपलब्धता और वितरण पर चर्चा की ।
बैठक में तय किया गया कि कृषि विस्तार अधिकारी और राजस्व विभाग के एक अधिकारी की मौजूदगी में किसानों को प्रति पावती दो पैकेट कपास बीज, कृषि आदान विक्रेताओं की दुकानों से वितरित किया जाएगा। बीज वितरण में अनियमितता या कालाबाज़ारी करने पर संबंधित के खिलाफ तत्काल एफआईआर दजऱ् करते हुए दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
डिमांड- सप्लाई में बड़ा गैप
उल्लेखनीय है कि खरगोन जिले में कपास का सर्वाधिक उत्पादन होता है। इसीलिए इसे सफ़ेद सोने का क्षेत्र कहा जाता है। इस वर्ष खरगोन जिले में 2.25 लाख हेक्टेयर में कपास बुवाई का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिसके लिए करीब 9 लाख कपास पैकेट की आवश्यकता है, कपास बीज की उपलब्धता मात्र 3.50 लाख पैकेट की है। मांग और पूर्ति में बड़ा अंतर होना ही संकट का मुख्य कारण है, जिससे किसान चिंतित हैं।
किसानों का कहना है कि जब दुकानों पर बीज उपलब्ध है तो सीधे दुकानों पर तय दरों से बीज क्यों नहीं बेचा जा रहा, सीधे दुकान पर जाने पर दुकानदार 864 रुपए के बीज के लिए 1100 से 1200 रुपए की मांग करते हैं, बिल भी नहीं दे रहे हैं। व्यवस्था सही तरीके से होना चाहिए।
कपास बीज संकट को देखते हुए उप संचालक कृषि खरगोन श्री एम.एल. चौहान ने बताया कि बीज 4 -5 दिन में उपलब्ध होने की संभावना है ,उपलब्ध होने पर किसानों को पूर्व सूचना दी जाएगी। उन्होंने बताया कि किस्म विशेष के अलावा अन्य कंपनियों की बीटी किस्में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं, जिन्हें पंजीकृत विक्रेताओं से निर्धारित दर पर खरीदा जा सकता है।
कंट्रोल रूम म ें करें शिकायत
जिला स्तर पर कंट्रोल रूम का गठन किया गया है, जिसका फोन नं. 07282-466865 है जिस पर शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।
खरगोन में संकट को देखते हुए बड़वानी, खंडवा आदि जिलों में उपसंचालक बीज उपलब्ध कराने की तैयारी में जुट गए हैं। बड़वानी के उपसंचालक श्री आर.एल. जामरे ने बताया कि जिले में कपास बीज गत वर्ष 2 लाख 40 हजार पैकेट के लगभग वितरण हुआ था । इस वर्ष बीज कंपनियों द्वारा कपास बीज लगभग 3 लाख पैकेट का लक्ष्य रखा गया है ।
वहीं खंडवा के उपसंचालक श्री के.सी. वास्केल ने बताया कि खरीफ 2024 के लिए जिले में कपास, मक्का, सोयाबीन का बीज भण्डारण एवं वितरण का कार्य प्रारम्भ हो चुका है, जिले के अधिकांश कपास उत्पादक किसान प्राय: कपास फसल की बुवाई अक्षय तृतीया से प्रारंभ कर देते हैं, जिससे कपास बीज की मांग अचानक बढ़ जाती है।
कृषि विभाग की सलाह
किसानों को जिले के अधिक तापमान और चल रही गर्म हवाओं को देखते हुए कपास की बुवाई 25 मई के बाद तापमान कम होने पर करने की सलाह दी है, ताकि कपास बीज के अंकुरण और पौधों की वृद्धि पर कोई विपरीत असर न पड़े। यहाँ यह उल्लेख प्रासंगिक है कि निमाड़ में खरीफ में कपास की बोनी प्राय: आखातीज पर की जाती है। इसी कारण इन दिनों कपास बीज की मांग अधिक रहती है।
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