अंतरवर्ती फसल पद्धति से किसानों को दोहरा लाभ, बालाघाट में बढ़ा अरहर-कोदो का चलन
20 अगस्त 2025, भोपाल: अंतरवर्ती फसल पद्धति से किसानों को दोहरा लाभ, बालाघाट में बढ़ा अरहर-कोदो का चलन – मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले में किसानों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने और कृषि भूमि की उत्पादकता बढ़ाने के उद्देश्य से कृषि विभाग लगातार प्रयासरत है। इन्हीं प्रयासों के तहत किसानों को धान फसल के साथ-साथ अंतरवर्ती फसल (Intercropping) लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। यह पद्धति न केवल मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाती है, बल्कि कम लागत में अधिक मुनाफा देने के साथ पर्यावरण संरक्षण में भी सहायक सिद्ध हो रही है।
कृषि विभाग के उपसंचालक फूलसिंह मालवीय ने जानकारी देते हुए बताया कि बालाघाट जिले के लालबर्रा तहसील के ग्राम चिल्लौद में किसान दिनेश पंचेश्वर के खेत में प्रदर्शन के रूप में अरहर और मक्का, अरहर व हल्दी, तथा अरहर, अरबी (घुईयां) व जिमीकंद (सुरन) की अंतरवर्ती फसलें लगाई गई हैं। वहीं, ग्राम चंदपुरी में कृषक जयशंकर उईके ने अरहर और कोदो की अंतरवर्ती खेती को अपनाया है। इसी तरह लांजी विकासखंड के ग्राम बोरीकला में भी एक किसान द्वारा अरहर और कोदो की संयुक्त फसल ली जा रही है।
अंतरवर्ती फसल पद्धति से दोहरा लाभ
अंतरवर्ती फसल पद्धति में एक ही खेत में दो या अधिक फसलें एक साथ उगाई जाती हैं, जिससे भूमि का बेहतर उपयोग होता है और फसल उत्पादन का जोखिम भी कम होता है। इस पद्धति में दलहनी फसल अरहर, जो मिट्टी में नाइट्रोजन स्थिरीकरण करती है, को कम अवधि वाली पोषक फसल कोदो के साथ उगाया जाता है। अरहर जहां मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाती है, वहीं कोदो जैसे मोटे अनाज कम पानी में भी अच्छी पैदावार देते हैं।
कोदो में फाइबर, प्रोटीन और आवश्यक खनिज भरपूर मात्रा में होते हैं, जो मधुमेह जैसी बीमारियों की रोकथाम में सहायक हैं। वहीं, अरहर प्रोटीन का प्रमुख स्रोत है, जिससे पोषण सुरक्षा भी सुनिश्चित होती है। इसके अलावा, इस पद्धति में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग कम होने से पर्यावरण पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
कृषि विभाग का मार्गदर्शन
कृषि विभाग के कृषि विस्तार अधिकारी नियमित रूप से किसानों के संपर्क में हैं और उन्हें समय-समय पर तकनीकी जानकारी और मार्गदर्शन प्रदान कर रहे हैं। इससे किसानों को नई तकनीकों को अपनाने में मदद मिल रही है।
नवाचार की ओर किसान
बालाघाट जिले के किसान अब परंपरागत खेती के साथ-साथ नवाचार की ओर भी कदम बढ़ा रहे हैं। अरहर और कोदो की अंतर्वर्ती खेती ने किसानों के लिए एक लाभकारी और स्थायी कृषि मॉडल प्रस्तुत किया है। इससे न केवल उनकी आय में वृद्धि हो रही है, बल्कि मिट्टी की गुणवत्ता और पारिस्थितिकी तंत्र भी बेहतर हो रहा है।
निष्कर्षतः, कृषि विभाग की यह पहल बालाघाट जिले के लिए कृषि क्षेत्र में एक नई दिशा और संभावनाओं का द्वार खोल रही है। यदि यह मॉडल सफल होता है तो यह न केवल जिले के लिए बल्कि पूरे प्रदेश के किसानों के लिए एक मिसाल बन सकता है।
(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़, टेलीग्राम, व्हाट्सएप्प)
(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)
कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:
www.krishakjagat.org/kj_epaper/
कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:


