एजोला के इस्तेमाल से किसान हुआ मालामाल
30 अगस्त 2024, बालाघाट: एजोला के इस्तेमाल से किसान हुआ मालामाल – कृषक श्री गोपाल नागेश्वर ग्राम-नयाटोला, ग्राम पंचायत-बड़गांव विकासखंड-लालबर्रा, जिला-बालाघाट (म.प्र.) को कृषि विभाग से क्षेत्र में कार्यरत कृषि विस्तार अधिकारी श्री संजय कुमार मड़के द्वारा कृषक को एजोला के फायदे के बारे में जानकारी दी गई। जिसमें एजोला मुख्यरूप से पशुपालन, धान की खेती में, मुर्गीपालन, मछलीपालन इत्यादि उपयोगिता बताकर एक प्राइवेट संस्था से एजोला बेड क्रय कराया। सर्वप्रथम किसान ने एजोला बेड में आधा किलो एजोला तथा मिट्टी 10 किलो तथा गोबर 5 किलोग्राम जो 5-7 दिन पुराना हो लगभग 7 दिन बाद एजोला बेड से 10 किलो एजोला प्राप्त हुआ उसके बाद किसान ने प्रेक्टिकल के तौर पर 200-200 फीट के ग्राम पंचायत द्वारा बनाये गये मिनाक्षी तालाब में 1 किलो एजोला उस तालाब में डालकर देखा गया लगभग वह पुरा तालाब 7-8 दिन में 6 क्विटंल एजोला की परत में समा गया किसान द्वारा उस तालाब में मछली पालन के रूप में लगभग 12 किलो अलग-अलग किस्मों की मछली का बीज डाला गया जो छोटी-छोटी मछली है उसे अल्प मात्रा में खा रही है, इस तालाब में 1 ट्रेक्टर मुर्गी का खाद डाला गया है और तालाब की गहराई 35 फीट है। आश्चर्य की बात है कि 35 फीट तालाब गहरा होने के बाद भी एजोला अपना पोषण पूर्ण रूप से ले रहा है और किसान प्रतिदिन इसी तालाब से 80 किलो एजोला अपने उपयोग के लिये निकाल रहा है।
किसान के पास अन्य दुसरा तालाब है जिसमें लगभग आधा किलो की मछलियां हैं ,जो 7000 नग है जिन्हें किसान द्वारा उसे खिलाने हेतु प्रतिदिन एजोला 50 किलो दिया जाता है , जिसे मछलियां उसे दिन भर में चट कर देती है और लगातार उनके वजन में बढ़ोतरी हो रही है। इस पाकर पहला प्रयोग – किसान ने मछली को एजोला खिलाने हेतु किया है।
दूसरा प्रयोग-किसान ने खेत में लगी धान की फसल जिसमें लगातार सलाह अनुसार 2 किलो अपने खेत के प्रत्येक बंदी में डाला गया है जिससे धान फसल को नत्रजन की पूर्ति मिलती रहती है इस बार यूरिया खाद इस्तेमाल नहीं किया है एवं खरपतवार एजोला के ऊपरी सतह पर परत बनने से निकल नहीं पा रहे है। स्वाभाविक है कि एजोला में 28 से 30 फीसदी नत्रजन होता है। तीसरा प्रयोग-किसान ने अपनी आय को बढ़ाने में सफलता मिली है वह है पशुओं को खिलाना। तीसरा प्रयोग- किसान के घर 8 नग पशु है एवं 3 किलो प्रति पशु प्रतिदिन के दर से 25 किलो एजोला भैस, बैल, बछिया एवं दुधारू पशुओं को प्रतिदिन खिला रहे है अब तक बाजार से चुन्नी, खली बढे़ हुये दर से लाते थे वह भी अब कम हो गया है, इसकी पूर्ति एजोला ने शत प्रतिशत कर दी है।
किसान ने इसका चौथा प्रयोग- बकरी को खिलाने में किया है जिसे शुरू में 1 पाव से अब 1 किलो तक देकर उसे प्रोटीन की पूर्ति उसके चारे के रूप में की जा रही है जिससे उसके वजन में बढ़ोत्तरी हो रही है। किसान का पांचवा एवं अंतिम प्रयोग- ये रहा कि 5 मुर्गियों को वे प्रतिदिन अन्य सूखे चारे के साथ मिलाकर एजोला दिया जाता है। इससे निश्चित रूप से मुर्गियों के वजन में वृध्दि होती जा रही है। ऐसा प्रतीत हो रहा है एजोला की खेती इस किसान के लिए ग्रीनगोल्ड साबित हो रही है। एजोला और उसका प्रयोग धान की खेती, मछली पालन में पुशपालन में भैस, बैल एवं दुधारू पशु, बकरी पालन एवं मुर्गी पालन में करने के बाद जिस तालाब में एजोला उत्पादन मछली के साथ कर रहे है वर्तमान में 1 किलो एजोला 100 रू. किलो से बिक्री की जा रही है। वर्तमान में इस तालाब में 10 क्वि. लगभग एजोला है जो 1 लाख रू. का एजोला उपलब्ध है, निरंतर कृषि विभाग से अधिकारी- कृषक श्री गोपाल नागेश्वर को बाजार में तथा अन्य किसानों को विक्रय करने में मदद कर रहे है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि किसान का नया साथी ‘ग्रीनगोल्ड एजोला’ है।
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