राज्य कृषि समाचार (State News)

किसान भाई खेतों की नियमित निगरानी करे कीट व्याधि से बचाव के उपायों का पालन करें

06 सितम्बर 2022, भोपाल: किसान भाई खेतों की नियमित निगरानी करे कीट व्याधि से बचाव के उपायों का पालन करें – कृषि विभाग ने किसान बंधुओं से अपील की है कि जिले में हुई अतिवर्षा और जलभराव के कारण खेती पर प्रतिकूल असर ना पड़े इसके हेतु खेतों का नियमित निगरानी करें साथ ही खेत में जल निकासी के बेहतर प्रबंध हो और यदि कहीं कीट व्याधि फसल में पर लिखित होती है तो बताए गए उपायों का पालन करें। जिले में अत्यधिक वर्षा के कारण खरीफ की खड़ी फसलों में जल भराव की स्थिति बन गई है। ऐसे समय कृषि विभाग द्वारा कृषकों को सलाह दी जा रही है कि वह अपने खेतो से पानी निकासी की उचित व्यवस्था करें।

अपने खेत की नियमित निगरानी कर 3-4 जगह के पौधों को हिलाकर सुनिश्चित करें कि क्या आपके खेत में किसी इल्ली/कीट का प्रकोप तो नहीं हुआ। यदि हुआ है तो कीड़ो की अवस्था क्या है।

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नियंत्रण के उपाय-

कृषि विभाग द्वारा सोयाबीन की फसल में पक्षियों के बैठने हेतु की आकार की खूंटी (बर्ड पैचेस) लगाये। इससे कीट-भक्षी पक्षियों द्वारा भी इल्लियों की संख्या कम करने में सहायता मिलती है। यह भी सलाह है कि सफेद मक्खी के नियंत्रण हेतु कृषकगण अपने खेत में विभिन्न स्थानों पर पीला स्टिकी ट्रैप लगाएं।

पीला मोजेक रोग के नियंत्रण हेतु सलाह दी गई है कि तत्काल रोगग्रस्त पौधों को खेत से उखाड़कर निष्कासित करें तथा इन रोगों को फैलाने वाले वाहक जैसे सफेद मक्खी एवं एफिड की रोकथाम हेतु पूर्वमिश्रित कीटनाशक थायमिथोक्सम, लैम्बडा सायहेलोथिन 125 मिली मीटर प्रत्येक हेक्टेयर में या बीटासायफ्लुथिन इमिडाक्लोप्रिड 350 मिली मीटर प्रत्येक हेक्टेयर में छिड़काव करें। इनके छिड़काव से तना मक्खी पर भी नियंत्रण किया जा सकता है।

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जहां पर केवल चक्र भृंग का प्रकोप हो, इसके नियंत्रण हेतु प्रारम्भिक अवस्था में ही टेट्रानिलिप्रोल 18-18 एससी 250 से 300 मिली मीटर प्रत्येक हेक्टेयर में या थायक्लोप्रिड 21.7 एस.सी. 750 मिली मीटर प्रत्येक हेक्टेयर में या प्रोफेनोफॉस 50 ईसी एक लीटर प्रत्येक हेक्टेयर में या इमामेक्टीन बेन्जोएट 425 मिली/हे) का छिड़काव करें।

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तना मक्खी, चक्र भृंग तथा पत्ती खाने वाली इल्लियों के एक साथ नियंत्रण हेतु पूर्वनिश्रित कीटनाशक क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 09.30 प्रतिशत ़ लैम्बडा सायहेलोथिन 04.60प्रतिशत जेड सी दो सौ मिली मीटर प्रत्येक हेक्टेयर में या बीटासायफ्लुनि इमिडाक्लोप्रिड तीन सौ पचास मिली मीटर प्रत्येक हेक्टेयर में या पूर्वमिश्रित थायमिथोक्सन लैम्बडा सायहेलोथ्रिन 125 मिली मीटर प्रत्येक हेक्टेयर में छिड़काव करें।

 धान की फसल में ब्लास्ट नामक बीमारी का प्रकोप बढ़ रहा है इसकी रोकथाम हेतु कार्वन्डेजिन 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिडकाव करें। धान की फसल में कहीं-कहीं पर जीवाणु झुलसा रोग का प्रकोप भी बढ़ रहा है। इसके प्रबंधन हेतु कापर आक्सी क्लोराईड की 2.5 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिडकाव करें।

यदि सोयाबीन की फसल पर एन्थेक्नोज नामक फफूंद जनित रोग या रायजोक्टोनिया एरिअल ब्लाइट के प्रारम्भिक लक्षण देखे जाते हैं तो इसके नियंत्रण हेतु टेबुकोनाजोल 26.9 प्रतिशत ईसी (625 मिली/हे) या टेबुकोनाजोल, सल्फर (1.25 किग्रा/हे) या पायरोक्लोस्ट्रोबीन 20 डब्लूजी (500 ग्रा/हे) का छिड़काव करें। कीटनाशक या खरपतवारनाशक के छिड़काव के लिये पानी की अनुशंसित मात्रा का उपयोग करें (नेप्सेक स्प्रेयर से 450 ली/हे या पॉवर स्प्रेयर से 120 ली/हे न्यूनतम)

किसी भी प्रकार का कृषि आदान क्रय करते समय दुकानदार से हमेशा पक्का बिल लें जिस पर बैच नंबर एवं एक्सपायरी दिनांक स्पष्ट लिखा हो।

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