जल-संरक्षण के लिए सभी के प्रयास की आवश्यकता : श्री मोदी
प्रदेश में जन-भागीदारी से जल प्रबंधन : मुख्यमंत्री
- (विशेष प्रतिनिधि)
9 जनवरी 2023, नई दिल्ली/भोपाल । जल-संरक्षण के लिए सभी के प्रयास की आवश्यकता : श्री मोदी – देश में पहली बार जल-संरक्षण पर राज्यों के मंत्रियों का प्रथम अखिल भारतीय वार्षिक सम्मेलन भोपाल में हुआ। प्रधानमंत्री श्री मोदी के वर्चुअली दिए गए वीडियो संदेश से कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान और केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने अपने विचार रखे। केन्द्रीय जलशक्ति और खाद्य प्र-संस्करण उद्योग राज्य मंत्री श्री प्रहलाद सिंह पटेल उपस्थित थे। वाटर विजन@2047 में सभी राज्य एवं केन्द्र शासित प्रदेशों के जल संसाधन, लोक स्वास्थ्य अभियांत्रिकी और सिंचाई मंत्री तथा संबंधित विभागों के अधिकारी सम्मिलित हुए। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अपने वीडियो संदेश में कहा कि हमारी संवैधानिक व्यवस्था में पानी का विषय राज्यों के नियंत्रण में आता है। जल-संरक्षण के लिए देश को समन्वित प्रयास की आवश्यकता है। जल को सहयोग और समन्वय का विषय बनाना प्रत्येक राज्य की जिम्मेदारी है। जल प्रबंधन में सरकार के प्रयासों के साथ जन-भागीदारी बढ़ाने के लिए सार्वजनिक पहल और सामाजिक संगठनों को जोडऩा आवश्यक है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश हर जिले में 75 अमृत सरोवर बना रहा है, जिसमें अब तक 25 हजार अमृत सरोवर बन चुके हैं। उन्होंने कहा कि फसल विविधीकरण और प्राकृतिक खेती, जल-संरक्षण पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। देश में ड्रॉप-मोर क्रॉप अभियान को प्रोत्साहित करना आवश्यक है। उन्होंने अटल भू-जल संरक्षण योजना में भू-जल पुर्नभरण के लिए माइक्रो स्तर पर गतिविधियाँ संचालित करने की आवश्यकता भी बतायी।
श्री मोदी ने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारी कोई भी नदी या जल संरचना बाहरी कारकों से प्रदूषित न हो। इसके लिए वाटर मैनेजमेंट तथा सीवेज ट्रीटमेंट के क्षेत्र में संवेदनशीलता और सक्रियता से काम करने की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने वाटर विजन@2047 जैसे महत्वपूर्ण विषय पर विचार-विमर्श के लिए भोपाल का चयन करने पर केंद्र शासन का आभार मानते हुए कहा कि भोपाल, जल-प्रबंधन का ऐतिहासिक रूप से अनूठा उदाहरण रहा है। राजा भोज द्वारा 10वीं शताब्दी में बनाई गई बड़ी झील आज भी भोपाल की एक तिहाई जनता को पेयजल की आपूर्ति कर रही है। प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में 2 हजार जल संरचनाएं विद्यमान हैं।
श्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश में जल-संरक्षण और उसके उपयोग के लिए गतिविधियाँ संचालित की जा रही हैं। प्रदेश में वर्ष 2003-04 तक सिंचाई क्षमता 7 लाख 50 हजार हेक्टेयर थी, जो अब बढ़ कर 43 लाख हेक्टेयर हो गई है। हमारा लक्ष्य 65 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई क्षमता का है। जल के मितव्ययी उपयोग के लिए पाइप लाइन और स्प्रिंकलर सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। प्रदेश में जल-जीवन मिशन में 50 हजार करोड़ रूपए के कार्य चल रहे हैं, इससे 46 प्रतिशत घरों को नल से जल उपलब्ध कराना संभव होगा।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि बलराम ताल योजना में खेत में तालाब बनाने को प्रोत्साहित किया गया। साथ ही स्टॉप डैम निर्माण से प्रदेश के कई क्षेत्रों में कुओं को रिचार्ज करने में मदद मिली है। प्रदेश में कम पानी में होने वाली फसलें लेने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
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