मध्यप्रदेश में उद्यानिकी और खाद्य प्रसंस्करण पर जोर: जिला स्तर पर मेले और वर्कशॉप का ऐलान
04 अप्रैल 2025, भोपाल: मध्यप्रदेश में उद्यानिकी और खाद्य प्रसंस्करण पर जोर: जिला स्तर पर मेले और वर्कशॉप का ऐलान – मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने गुरुवार को उद्यानिकी और खाद्य प्रसंस्करण विभाग की समीक्षा बैठक में कई बड़े निर्देश दिए। भोपाल के समत्व भवन में हुई इस बैठक में उन्होंने कहा कि प्रदेश में उद्यानिकी फसलों की जिलेवार मैपिंग की जानी चाहिए। साथ ही, विश्वविद्यालयों और सरकारी विभागों की खाली पड़ी जमीनों पर उद्यान विकसित करने की योजना पर काम शुरू करने को कहा।
मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिया कि सभी जिलों में उद्यानिकी और खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ावा देने के लिए वर्कशॉप और मेले आयोजित किए जाएं। इन आयोजनों का मकसद किसानों और उद्यमियों को दूसरे जिलों की बेहतर तकनीकों से जोड़ना है। इसके अलावा, कृषि और उद्यानिकी में नए प्रयोग करने वाले किसानों को सम्मानित करने की बात भी कही गई। बैठक में मौजूद उद्यानिकी मंत्री नारायण सिंह कुशवाह, मुख्य सचिव अनुराग जैन और अन्य अधिकारियों ने इन प्रस्तावों पर चर्चा की।
पीपीपी मॉडल और रोजगार पर फोकस
डॉ. यादव ने सुझाव दिया कि पीपीपी (पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉडल के जरिए नर्सरी विकसित की जाएं। उनका कहना था, “प्रदेश में सिंचाई और बिजली की अच्छी सुविधा है, इसे उद्यानिकी के लिए इस्तेमाल कर राष्ट्रीय औसत से आगे बढ़ना चाहिए।” इसके साथ ही खाद्य प्रसंस्करण के जरिए रोजगार बढ़ाने के लिए विभागों के बीच तालमेल और एक खास सेल बनाने की बात भी सामने आई।
उन्होंने यह भी कहा कि चंबल, मालवा और महाकौशल जैसे क्षेत्रों की जरूरतों के हिसाब से अलग-अलग योजनाएं बनाई जाएं। किसानों को उनकी उपज का सही दाम मिले, इसके लिए स्टोरेज की व्यवस्था और मंडियों की जानकारी देने का सिस्टम तैयार करने पर जोर दिया गया।
मुख्यमंत्री ने बागवानी को जन आंदोलन बनाने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि विधायक और पंचायत प्रतिनिधि अपने इलाकों में नर्सरी या आदर्श बागवानी शुरू करें और किसानों को प्रेरित करें। बेहतर काम करने वाले किसानों को पुरस्कार देने की व्यवस्था का भी जिक्र हुआ। साथ ही, दीनदयाल शोध संस्थान जैसे संगठनों से किसानों को जोड़ने की बात कही गई।
उद्यानिकी में मध्यप्रदेश का प्रदर्शन
बैठक में बताया गया कि प्रदेश में अभी 22.72 लाख हेक्टेयर में उद्यानिकी फसलें हो रही हैं, जिसे अगले पांच साल में 33.91 लाख हेक्टेयर तक ले जाने का लक्ष्य है। मसालों के उत्पादन में मध्यप्रदेश देश में पहले नंबर पर है, जबकि उद्यानिकी में दूसरा, सब्जी-पुष्प में तीसरा और फल उत्पादन में चौथा स्थान रखता है। रीवा का सुंदरजा आम और रतलाम का रियावन लहसुन पहले ही जीआई टैग हासिल कर चुके हैं। खरगोन की लाल मिर्च, जबलपुर के मटर, बुरहानपुर के केले, सिवनी के सीताफल, बरमान नरसिंहपुर के बैंगन, बैतूल के गजरिया आम, इंदौर के मालवी आलू, रतलाम की बालम ककड़ी, जबलपुर के सिंघाड़ा, धार की खुरासानी इमली और इंदौर के मालवी गराडू जैसे कई उत्पादों के लिए भी जीआई टैग की प्रक्रिया चल रही है।
अगले महीने नीमच और मंदसौर में औषधीय खेती पर उद्योग कॉन्क्लेव होने की जानकारी दी गई। इसके अलावा, एक इन्वेस्टर्स समिट की तरह उद्यानिकी और खाद्य प्रसंस्करण पर भी समिट आयोजित करने का प्रस्ताव है। बैठक में केंद्रीय और राज्य की योजनाओं की प्रगति पर भी चर्चा हुई।
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