राज्य कृषि समाचार (State News)

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का कुशल नेतृत्व

कृषि में मध्य प्रदेश अग्रसर, खेती-किसानी पर दिखने लगा योजनाओं का असर

30 अक्टूबर 2024, भोपाल: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का कुशल नेतृत्व – मध्य प्रदेश की सरकार ने अपने 300 दिन पूरे कर लिए है। इस दौरान राज्य सरकार ने कई बड़ी उपलकियाँ किल की है, जिनसे पूरे देश में प्रदेश का नाम गूंग गूंग रहा है। खानकि, इस यदि में नई सरकार के सामने कई कुलियों भी आई। लोकसभा कुरा के। कारण मुख्यमंत्री पथ की शपथ लेने के बाद डॉ. मोहन या को सिर्फ 3 दिन ही काम करने वर अवसर मिला। 16 मार्च 20024 को आधार संहिता लागू होने के बाद 6 जून की उसे हटा दिया गया और उसके बाद सरकार के कार्यों में तेजी आई। अब नई सरकार को लगभग 10 महीने हो चुके हैं मुख्यमंत्री मोहन दाद में कई ऐसे कार्य किए हैं जो चर्चाविषय बने। सासकर मंत्री में यह साबित करने की कोशिश की है कि यह सरकार आम जनता के लिए के लिए है। अधिकारियों द्वारा दुर्गाच्हखर की घटनाओं घर जवरित कार्रवाई की गई। निवेश के मामले में भी जर ने ब याधि हासिल की है।

किसान हित में महत्वपूर्ण फैसले

मुख्यमंत्री डॉ. यादव की सरकार ने किसानों के लिए अनेक बड़े फैसले लिए हैं, जिनका सीधा असर अब किसानों पर दिखने लगा है। साथ ही, कृषि सुधार की दिशा में निरंतर नए नवाचार किए जा रहे हैं. जिससे किसानों की आय बढ़ाने और खेती को लाभकारी बयवसाय बनाने के प्रयास जारी हैं मुख्यमंत्री डॉ. यादव के नेतृत्व में मध्य प्रदेश अब तेजी से कृषि के क्षेत्र में अग्रसर होता दिखाई दे रहा है। इसी क्रम में सरकार ने कक्षा 10वीं और 12वीं के छात्रों के लिए कृषि, हार्टिकल्चर, डेयरी और पशुपालन से संबंधित विषयों की पढ़ाई शुरू करने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री का मानना है कि
प्रदेशभर के अधिकतर छात्र खेती-बाड़ी से जुड़े परिवारों से आते हैं. ऐसे में इन विषयों के अध्ययन से छात्री का स्कूलों और शिक्षा से जुड़ाव बढ़ेगा, और पढ़ाई परिवार के लिए भी अधिक उपयोगी बन सकेगी।

सोयाबीन किसानों के लिए राहत

हाल ही में प्रदेश में सोयाबीन किसानों द्वारा एम्एसपी बढ़ाने की मांग की गई थी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने तुरंत कैबिनेट बैठक कर सोयाबीन के एमएसपी पर केंद्र को प्रस्ताव भेज मंजूरी दिलवाई. जिससे सोयाबीन किसानों को बड़ा लाभ मिला। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने उर्वरक की कालाबाजारी, मिलावट और नकली उर्वरक बेचने वालों पर सखल कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। एक जिले से दूसरे जिले में उर्वरक के अवैध परिवहन पर भी कड़ी निगरानी रखने के निर्देश दिए गए हैं।

कृषक कल्याण के अन्य महत्वपूर्ण कदम

अपने कार्यकाल के दौरान मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कृषि क्षेत्र में प्रदेश को आगे बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। विपणन वर्ष 2024-25 में गेहूं के समर्थन मूल्य पर 125 रुपए प्रति किटल का चौनस दिया गया। किसान सम्मान निधि योजना के तहत 80 लाख से अधिक किसानों को 1816 करोड़ रुपये की सहायता दी गई। खरीफ फसल बीमा योजना (2023) में 25 लाख से अधिक किसानों को 755 करोड़ रुपये के दावों का भुगतान किया गया। किसानों को ० प्रतिशत ब्याज दर पर फसल ऋण की सुविधा भी निरंतर जारी रखी गई। श्रीअत्र उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए ‘रानी दुर्गावती श्रीअन्न प्रोत्साहन योजना’ के तहत किसानों को 3900 रुपये प्रति हेक्टेयर अतिरिक्त सहायता का भी ऐलान किया गया। प्रदेश में नई मिट्टी परीक्षण प्रयोगशालाएँ भी विकसित की गई है, जिन्हें युवा उद्यमियों को सौपा गया है। प्रधानमंत्री सोलर पंप योजना का नाम बदलकर ‘प्रधानमंत्री कृषक मित्र सूर्य योजना’ के रूप में लागू किया गया है।

साइबर तहसील का विस्तार

डॉ. यादव ने अपनी पहली बैठक में ही प्रदेशभर में साइबर तहसील लागू करने की व्यवस्था शुरू की। इसके तहत संपत्ति की रजिस्ट्री होते ही स्वचालित रूप से नामांतरण की सुविधा शुरू की गई है, जो सुशासन की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। इन 10 महीनों के दौरान उज्जैन, इंदौर, सागर, ग्वालियर, जबलपुर और रीवा में रीजनल कॉन्क्लेव आयोजित किए गए, जिससे करोड़ों रुपये के निवेश से प्रदेश को आर्थिक प्रगति का नया मार्ग मिला है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के अथक प्रयासों से कृषि क्षेत्र और किसानों की उम्मीदों को नई उड़ान मिली है।

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