ऑर्गेनिक कॉटन उत्पादकों के फर्जी समूह पर दिग्विजय सिंह ने उठाए सवाल
25 दिसंबर 2024, इंदौर: ऑर्गेनिक कॉटन उत्पादकों के फर्जी समूह पर दिग्विजय सिंह ने उठाए सवाल – मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राज्य सभा सांसद श्री दिग्विजय सिंह ने मध्यप्रदेश के निमाड़ अंचल में ऑर्गेनिक कॉटन उत्पादकों के फर्जी समूह बनाकर कंट्रोल यूनियन नाम की प्रमाणीकरण संस्था द्वारा बगैर भौतिक सत्यापन के ऑर्गेनिक कॉटन उत्पादन के फजी प्रमाण पत्र जारी कर विदेशों में कॉटन निर्यात करने का आरोप लगाया है, जिसमें करोड़ों की जीएमटी चोरी की बात भी सामने आई है। श्री टिग्खिजय सिंह ने कुल अर्मे पूर्व प्रधानमंत्री को लिखे इस पत्र पत्र में ऑर्गेनिक कॉटन उत्पादकों के फर्जीवाड़े पर विस्तार से जानकारी दी है।
वर्ष 2022-23 तक 1854.01 करोड़ की राशि जारी- श्री सिंह ने अपने शिकायती पत्र में लिखा है कि सरकारी वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री कृषि विकास पोन (पीकेजीमा) के तहत सरकार द्वारा आर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किसान को प्रति हेक्टेयर तीन वर्षों के लिए 50 हजार रु को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। 16 नवंबर 2022 को पीकेवीचाय के तहत २०.१84 क्लस्टर्स कुल 6.4 लाख हेक्टेयर क्षेत्र और 16.1 लाख किसानों को शामिल किया गया। वर्ष 2022-23 तक योजना के तहत 1854.01 करोड़ की राशि जारी की गई है।
किसानों के नाम फर्जी तरीके में शामिल- मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में लिखा है कि निमाड़ अंचल में ऑर्गनिक कॉटन उत्पादों के फर्जी समूह बनाए गए हैं और इन समूहों में ऐसे गांवों के किसानों के नाम फर्जी तरीके से शामिल किए गए हैं, जो न तो अऑर्गनिक कॉटन और ना ही साधारण बीटी कॉटन का उत्पादन करते हैं। मिसाल के तौर पर उन्होंने धार जिले के भीलकुंडा और 354પમાં છે વિશ્વાની ક્રિયા ।। 5 चर्गिनिक कॉटन उत्पादक बताकर उनसे कॉटन क्रय करना दर्शाया है। कंट्रोल यूनियन नाम की सर्टिफिकेशन मांडी द्वारा बगैर भौतिक सत्यापन के यापारियों एवं अन्य की मिलीभगत से ऑर्गेनिक कॉटन उत्पादन के फर्जी प्रमाण पत्र जारी कर उस कॉटन का विदेश में निर्यात किया जा रहा है। जिसका खुलासा एक व्हिसल ब्लोअर द्वारा जायुक्त वाणिन्य कर, इंदीर को की गई शिकायत से होता है, जिसमें करोड़ों की नीएसडी की पोरी की बात सामने आई है। हालाकि मामला उजागर होने के बाद कंट्रोल यूनियन नाम को संटिफिकेशन बांडों को यूरोपियन यूनियन द्वारा द्वारा प्रतिबंधित किया जा चुका है। श्री सिंह ने सवाल किया कि पीकेवीजाय के तहत जैविक उत्पादन पर मिलने वाली सहायता कौन से रही है? और यह कितना बड़ा भ्रष्टाचार है? मप्र में उजागर हुए इस घोटाले की जड़ें पूरे देश में फैली हुई है। श्री सिंह ने केंद्रीय कृषि मंत्री की शिवराज सिंह चौहान में इस मामले को निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है।
मप्र में कंट्रोल यूनियन नाम की संस्था अधिकृत- रेखनीय है कि भारत जैविक कपास (आर्गेनिक कॉटन) का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक देश है, जिसमें विश्व के जैविक कपास उत्पादन में भारत की भागीदारी 66% है। किसानों द्वारा उत्पादित ऑर्गेनिक कॉटन का प्रमाणीकरण વરી પોંચી પપિક ના ગપિકૃત માટેવિોશન बाँडी द्वारा किया जाता है। देश में ऐसी कई सर्टिफिकेशन बॉडी है। मप्र में कंट्रोल यूनियन नाम को एक सर्टिफिकेशन बॉडी को एपीडा द्वारा अधिकृत किया गया है।
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