डिजिटल मृदा विज्ञान से सटीक जानकारी मिलेगी : डॉ. पात्रा
30 वर्षों से भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान में कार्यरत
- (प्रकाश दुबे)
20 जुलाई 2022, भोपाल । डिजिटल मृदा विज्ञान से सटीक जानकारी मिलेगी : डॉ. पात्रा – मध्यप्रदेश के लिए गौरव की बात है कि देश की मिट्टी से जुड़े विभिन्न तत्वों को समझने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली की एक शाखा भोपाल में भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान के रूप में पिछले 30 वर्षों से कार्य कर रही है। केंद्र के निदेशक डॉ. अशोक पात्रा ने कृषक जगत से हुई मुलाकात में संस्थान की विभिन्न गतिविधियों पर जानकारी दी। आपने कहा कृषि उत्पादन में मिट्टी की मुख्य भूमिका रहती है भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान द्वारा विकसित उन्नत तकनीकों जैसे कार्बनिक अवशिष्ट पदार्थों की कंपोस्टिंग तकनीक द्वारा केंचुआ खाद फास्फो कम्पोस्ट ,फास्फो- सल्फो-नाइट्रो कंपोस्ट बनाई जाती है। जैविक खेती, संतुलित एवं समन्वित पौध पोषण तत्वों का पौधों पर प्रभाव एवं कृषि में शहरी, औद्योगिक अपशिष्ट पदार्थों का सुरक्षित प्रयोग की जानकारी भी किसानों को दी जाती है। इसके अतिरिक्त उन्नत कृषि औजारों का प्रयोग आदि का प्रशिक्षण संस्थान के वैज्ञानिकों एवं अतिथि विद्वानों द्वारा विभिन्न जिलों के किसानों को दिया जाता है।
भारत में कृषि के लिए पोषक तत्व और पानी की कमी प्रमुख जोखिम है यह फसल उत्पादन प्रभावित करते हैं। डिजिटल मृदा विज्ञान से तुरंत एवं सटीक मात्रात्मक जानकारी मिलेगी। डिजिटल मृदा मानचित्रण (डीएसएम) एक ऐसा नवाचार है जो आधुनिक तकनीक से मिट्टी की खोज करता है। यह पूरे देश में प्रचलन में आ गया है। भारत में गंभीर भूमि क्षरण की चुनौतियां हैं। ऐसी स्थिति में डिजिटल मृदा परीक्षण से प्राप्त जानकारी योजनाकारों, वैज्ञानिकों एवं हितधारकों को अपनी कार्ययोजना बनाने में हितकर रहेगी। इस दिशा में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने राज्यों के विश्वविद्यालयों, कृषि विज्ञान केंद्रों में 100 से अधिक मोबाइल ऐप डाउनलोड किए हैं। डॉ. पात्रा ने कहा कि रोबोटिक्स ड्रोन से खेतों की स्कैनिंग में मदद कर सकते हैं, ड्रोन तकनीक से मिट्टी और क्षेत्र विश्लेषण, बीज रोपाई, सिंचाई एवं नाइट्रोजन के स्तर प्रबंधन में डेटा एकत्र करने में मदद मिलेगी। डिजिटल प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने 713 कृषि विज्ञान केंद्रों एवं 684 कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसियों की स्थापना की है। भारत में कृषि प्रणालियों की सतत गहनता सुनिश्चित करने के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकी अपनाने की आवश्यकता है।
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