राज्य कृषि समाचार (State News)

धुर्वे बंधु मछली पालन और उन्नत खेती से बने संपन्न किसान

03 अक्टूबर 2024, मंडला: धुर्वे बंधु मछली पालन और उन्नत खेती से बने संपन्न किसान – आदिवासी बाहुल्य जिला मंडला के किसान अब कृषि की उन्नत तकनीक से न सिर्फ परिचित हो रहे हैं बल्कि उसे अपनाकर समृद्ध हो रहे हैं। कलेक्टर एवं मिशन लीडर श्री सोमेश मिश्रा और मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत श्री श्रेयांस कुमट के मार्गदर्शन में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना परियोजना क्रमांक 3 जनपद पंचायत घुघरी में कृषकों को उन्नत कृषि से जोड़ने के प्रयास किये जा रहे हैं।

ग्राम पंचायत कचनारी के पोषक ग्राम उरवाही में श्री डुमारी लाल धुर्वे और श्री मुकेश धुर्वे के खेतों में खेत तालाबों का निर्माण कार्य कराया गया था। इन तालाबों में उपलब्ध जल परियोजना द्वारा प्रदान किए गए स्प्रिंकलर व ड्रिप की मदद से धान की फसलों की सिंचाई की जा रही है। साथ ही इन्हीं खेत तालाबों में किसानों के द्वारा मत्स्य पालन भी किया जा रहा है।प्रधानमंत्री की मंशा अनुरूप किसान की आय दुगुनी किए जाने की दृष्टि से एकीकृत कृषि प्रणाली को बढ़ावा दिया जा रहा है। ग्राम उरवाही के कृषकों के खेतों में खेत तालाब का निर्माण ड्रिप एवं स्प्रिंकलर वितरण कर सिंचाई सुविधा में विस्तार किया जा रहा है। मत्स्य पालन हॉर्टिकल्चर और फ्लोरीकल्चर जैसे नवीन एकीकृत कृषि प्रणाली के उपयोग से आदिवासी अंचल में आधुनिक और तकनीकी कृषि को बढ़ावा मिल रहा है।

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत ग्राम उरवाही तीन ओर से चिलचिला और कुकरा नदी से घिरा हुआ है। योजना प्रारंभ होने से पूर्व कृषकों द्वारा वर्षा पर आश्रित होते हुए भूमि से खरीफ कि एक फसल लेने के पश्चात् रबी हेतु भूमि को खाली छोड़ दिया जाता था। जीवनयापन हेतु ग्राम के प्रत्येक परिवार से औसतन एक सदस्य केरल या महाराष्ट्र के कारखानों में मजदूरी करने जाते थे। हितग्राही डुमारी दादू लाल के खेत में प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन मद से खेत तालाब संरचना का निर्माण हेतु 3 लाख 99 हजार रूपए स्वीकृत की गई और माह जून 2022 में निर्माण कार्य प्रारंभ किया गया जिसका माप 55मी 35मी 3मी है।  पूर्व में कृषक के द्वारा खेत में धान की फसल ली जाती थी एवं खेत रबी के मौसम में खाली रहता था लेकिन खेत तालाब निर्माण के पश्चात वर्षा ऋतु में मत्स्य पालन विभाग से अभिसरण कर कृषक को लगभग 2500 मछली बीज भी उपलब्ध कराये गये थे जो की जनवरी 2023 तक 500-600 ग्राम/मछली के हो गये जिसे बेचकर किसान ने अतिरिक्त 20-25 हजार की अतिरिक्त आय प्राप्त की और साथ में रबी में चना एवं मटर का भी उत्पादन किया।

जून 2023 में कृषक द्वारा स्वयं के व्यय से पेंगसियस (लगभग 8000 नग), रोहू (लगभग 1200 नग), कतला (लगभग 1500 नग), कामनकार (लगभग 500 नग) प्रजाति की मछली के बीज डाले गए हितग्राही को मत्स्य विभाग एवं निजी मत्स्य उत्पादन संस्थान द्वारा प्रशिक्षण दिलाया गया है। वर्तमान में मछली का औसत वजन 400 से 500 ग्राम हो चुका है किसान के द्वारा मछलियों को फेक्टरी में तैयार भोजन खिलाया जा रहा है जिससे इनके वजन में तेजी से वृद्धि हो रही है एवं मार्च 2024 तक तालाब में डाली गई कुल 12000 मछलियों का कुल वजन 3-4 टन हो जाएगा जिसे थोक बाजार भाव 160/किग्रा से बेचने पर किसान को कुल 5-6 लाख की आय होगी जिसमें से मछलियों के भोजन, देखरेख, तालाब की सफाई एवं अन्य सभी खर्चों के बाद किसान को 1.50 लाख रुपये की शुद्ध आय एक वर्ष मे प्राप्त होगी। इस वर्ष में ड्रिप इरीगेशन के माध्यम से कृषक द्वारा सिंचाई की जा रही है। खेतों में मिर्ची की फसल ली गई है। परियोजना अंतर्गत रिज टू वैली के सिद्धांत के आधार पर कंटूर ट्रेंच, गेवियन संरचना निर्माण, हितग्राहियों के खेतों में तालाब, सार्वजनिक अमृत सरोवर जैसी संरचनाओं का निर्माण भी कराया गया है। जिसके माध्यम से विगत कुछ वर्षों में परियोजना क्षेत्र अंतर्गत गांव में जलस्तर में सुधार कार्य देखने को मिला है। एक विशेष समय में सूख जाने वाले नाले आज सतत रूप से बह रहे हैं।

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना वाटरशेड विकास परियोजना अंतर्गत ग्राम भैंसवाही में कोयतुर जलग्रहण स्व सहायता समूह द्वारा कम्प्यूटर स्किल सेंटर, ग्राम चौबा में मां नर्मदा जलग्रहण स्व सहायता समूह द्वारा सेंटरिंग कार्य एवं ग्राम सुरेहली में कोई दीप स्व सहायता समूह द्वारा कोदो-कुटकी प्रोसेसिंग यूनिट जैसी आजीविका गतिविधियों का क्रियान्वयन भी किया जा रहा है। परियोजना अंतर्गत माइक्रो वाटरशेड भैंसवाही में कस्टम हायरिंग सेंटर एवं मियांवाकी वृक्षारोपण जैसी गतिविधियों को लिया गया है। सीएचसी सेन्टर के माध्यम से कृषक संगोष्ठियां एवं बैठकों का आयोजन सतत रूप से किया जा रहा है।

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