राज्य कृषि समाचार (State News)

भिंड जिले में सुपर सीडर से गेहूं की बोनी का प्रदर्शन किया

27 नवंबर 2024, भिंड: भिंड जिले में सुपर सीडर से गेहूं की बोनी का प्रदर्शन किया – किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग एवं कृषि अभियांत्रिकी द्वारा जिले के गोहद विकास खण्ड के ग्राम टुडीला में कृषक श्री लाखन सिंह गुर्जर तथा ग्राम रायतपुरा कृषक श्री बलजीत सिंह के खेत में सुपर सीडर से गेहूं की  बोनी  का प्रदर्शन किया गया तथा  कृषकों को नरवाई न जलाने हेतु जागरूक किया गया। उक्त प्रदर्शन में उप संचालक कृषि श्री रामसुजान शर्मा, सहायक कृषि यंत्री भिण्ड श्री बृजेश सिंह जादौन, उपयंत्री श्री शांतनु पांडेय, बी. टी. एम.  श्रीमती  मोनिका भास्कर सहित अन्य अधिकारी कर्मचारी उपस्थित थे। सहायक कृषि यंत्र जिला भिण्ड ने किसानों से कहा है कि सुपर सीडर यंत्र द्वारा नरवाई को खेत में मिलाकर  गेहूं , चना आदि  फसलों  की सीधी बुवाई की जा सकती है। जिससे पराली को आग लगाने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।

नरवाई को खेत में मिलाने के लाभ–  नरवाई को खेत में मिला देने से खेत की जैव  विविधता बनी रहती है। जमीन में उपस्थित लाभदायक सूक्ष्म जीव एव मित्र कोट शत्रु कीटों को खाकर नष्ट कर देते है। जमीन में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे फसल उत्पादन ज्यादा होता है। दलहनी फसलों के अवशेषों को जमीन में मिलाने से नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे फसल उत्पादन बढ़ता है। किसानों द्वारा नरवाई जलाने के बजाय भूसा बनाकर रखने पर पशुओं के लिए चारा मौजूद होगा, वही किसान भाईयों की अतिरिक्त आमदनी होगी। किसान नरवाई को रोटावेटर/ हैरो/ रिवर्सियल प्लाऊ, हैप्पी सीडर सुपर सीडर से खेत में मिलाकर जैविक लाभ ले सकते हैं।

नरवाई जलाने के नुकसान-  नरवाई को जलाने से जमीन में जैव विविधता खत्म हो जाती है और लाभदायक सूक्ष्म जीव जलकर खत्म हो जाते है। जमीन कठोर हो जाती है जिसके कारण जमीन की जल धारण क्षमता कम हो जाती है। कार्बन नाइट्रोजन व फास्फोरस का अनुपात कम हो जाता है। जीवाश की कमी से जमीन की उर्वरक क्षमता कम हो जाती है। नरवाई जलाने से जनधन की हाँनि होती है। खेत की सीमा पर लगे पेड़-पौधे जलकर खत्म हो जाते है। नरवाई से मृदा तापमान 150-175 सेंटीग्रेड बढ़ जाता है जिससे केंचुऐ तथा मित्र कीट मर जाते है तथा नरवाई जलाने से वातावरण भी प्रदूषित होता है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश के परिपालन में पर्यावरण प्रदूषण एवं नियंत्रण अधिनियम 1951 के तहत मध्यप्रदेश शासन ने फसल कटाई के बाद नरवाई जलाना प्रतिबंधित किया है। इसका उल्लंघन किये जाने पर संबंधित से 2500 से 15000 रूपये तक का जुर्माना लिया जा सकता है।

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