मजदूर – किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन
15 सितंबर 2020, इंदौर। मजदूर – किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन – खेती किसानी को कार्पोरेट जगत को लूटने की छूट देने वाले तीनों अध्यादेशों को रद्द किए जाने एवं अन्य मजदूर किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ किसान सभा आदिवासी एकता महासभा के कार्यकर्ताओं ने 15 सूत्रीय मांगों को लेकर इंदौर संभाग आयुक्त कार्यालय पर प्रदर्शन किया और प्रधानमंत्री के नाम संभाग आयुक्त को ज्ञापन दिया !
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जुलूस प्रदर्शन के पूर्व गांधी हॉल प्रांगण में हुई सभा को किसान सभा के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष, राज्य समिति सदस्य कामरेड श्री अरुण चौहान ने कहा कि वर्तमान मोदी सरकार खेती को लाभ का धंधा बनाने की झूठे सपने दिखा कर सत्ता में आई थी लेकिन आज देश का किसान अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहा है. खेती लाभ के धंधे के बजाय उनके गले पर कसता हुआ फंदा बन गया है. मोदी सरकार की निजीकरण को बढ़ावा देने वाली नीतियों बड़े पूंजीपतियों के लिए ठेका खेती सहित कृषि अध्यादेश ,आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 में संशोधन व कृषक उत्पाद व्यापार व वाणिज्य प्रोत्साहन सुविधा तीनों अध्यादेशों को पारित कर देश की बहुमत आबादी को गुलामी की ओर धकेलने जा रही है . इसे हर हाल में रोकना जरूरी है. सभा को अन्य नेताओं ने भी संबोधित किया !
सभा के पश्चात संभागायुक्त के प्रतिनिधि के रूप में कार्यालय अधीक्षक को 15 सूत्री मांगों का ज्ञापन प्रधानमंत्री और स्थानीय समस्याओं के संबंध में संभागायुक्त के नाम दिया गया .ज्ञापन में तीनों अध्यादेशों के अलावा स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुरूप सभी फसलों के लागत मूल्य के डेढ़ गुना भाव किसानों को देने , लागत कीमत को घटाने ,डीजल -पेट्रोल की बढ़ती कीमतों को तत्काल वापस लेने जैसे कई प्रमुख बिंदु शामिल थे.