राज्य कृषि समाचार (State News)

MP में पराली जलाने पर लगाम! किसानों के लिए बड़ा ऐलान

28 मार्च 2025, भोपाल: MP में पराली जलाने पर लगाम! किसानों के लिए बड़ा ऐलान –  मध्यप्रदेश में पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण को रोकने के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कमर कस ली है। गुरुवार को भोपाल में हुई बोर्ड की 169वीं बैठक में कई बड़े फैसले लिए गए। धान और गेहूं की कटाई के बाद पराली जलाने से उठने वाले धुएं और प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए जागरूकता अभियान से लेकर तकनीकी कदमों तक की योजना बनाई गई। बैठक की अध्यक्षता प्रमुख सचिव डॉ. नवनीत मोहन कोठारी ने की।

बैठक में फैसला हुआ कि किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए बड़े स्तर पर जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। इसके लिए प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया का सहारा लिया जाएगा, खासकर ग्रामीण इलाकों में। इस अभियान पर 8 करोड़ रुपये खर्च करने का प्रस्ताव पास किया गया। डॉ. कोठारी ने कहा, “किसानों को पराली न जलाने के लिए जागरूक करना जरूरी है, इसके लिए व्यापक प्रचार-प्रसार होगा।”

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इसके अलावा, पराली के विकल्प तलाशने पर भी जोर दिया गया। प्रमुख सचिव ने अप्रैल के पहले हफ्ते में ताप विद्युत गृहों के अधिकारियों के साथ बैठक बुलाने के निर्देश दिए, जिसमें बायोमास के इस्तेमाल की कार्ययोजना पर चर्चा होगी। मकसद है कि पराली को जलाने की बजाय उसका सही उपयोग हो सके।

वायु प्रदूषण पर नजर रखने के लिए नई व्यवस्था

बैठक में प्रदूषण की निगरानी के लिए भी कदम उठाए गए। बोर्ड ने 4 मोबाइल मॉनिटरिंग वैन शुरू करने का फैसला किया, जो हवा की गुणवत्ता पर लगातार नजर रखेंगी। साथ ही, जिन शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 100 या उससे ज्यादा पहुंच गया है, वहां 39 नए मापन केंद्र बनाए जाएंगे। इन केंद्रों से हवा और ध्वनि प्रदूषण का डेटा इकट्ठा होगा। इस प्रोजेक्ट के लिए 92 करोड़ रुपये का बजट मंजूर किया गया।

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डॉ. कोठारी ने कहा, “ये कदम वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने और पर्यावरण को बचाने की दिशा में अहम होंगे।” हालांकि, इन योजनाओं का असर कितना होगा, ये आने वाले दिनों में ही पता चलेगा।

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क्या होगा इसका असर?

हर साल फसल कटाई के बाद पराली जलाने से मध्यप्रदेश के कई इलाकों में हवा जहरीली हो जाती है। खासकर शहरी इलाकों में सांस लेना मुश्किल हो जाता है। बोर्ड के इस कदम से उम्मीद है कि प्रदूषण में कुछ कमी आएगी, लेकिन किसानों के लिए पराली के विकल्प कितने कारगर होंगे, ये एक बड़ा सवाल है।

फिलहाल, नजर इस बात पर रहेगी कि जागरूकता अभियान और मॉनिटरिंग सिस्टम जमीन पर कितना असर दिखाते हैं। आने वाले महीनों में इन फैसलों की सच्चाई सामने आएगी।

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