अश्वगंधा की खेती किसानों के लिए वरदान साबित होगी
01 मई 2025, कटनी: अश्वगंधा की खेती किसानों के लिए वरदान साबित होगी – आयुष विभाग जिला कटनी द्वारा देवारण्य योजनान्तर्गत बड़वारा खंड स्तरीय कृषक प्रशिक्षण का आयोजन मानव जीवन विकास समिति बिजौरी में किया गया। एक जिला एक औषधीय पौधा के तहत अश्वगंधा को बढ़ावा देने अश्वगंधा की खेती करने के लिए किसानों व समूह सदस्यों को खेत की तैयारी से लेकर, फसल लगाने, आवश्यक देखरेख और कटाई कर स्टोर करने तक की जानकारी दी गई।
मानव जीवन विकास समिति सचिव श्री निर्भय सिंह द्वारा बताया गया की किसानों को अश्वगंधा की खेती फायदेमंद है। अभी हाल ही में हमने कटनी जिले का ढीमरखेड़ा ब्लॉक में 100 किसानों के साथ अश्वगंधा की खेती कराई है, अच्छा उत्पादन हुआ है। आप चाहें तो वहां जाकर देख सकते है इसकी खेती से किसानों की आमदनी में बढ़ोत्तरी हुई है। डाक्टर प्रशांत दुबे आयुष विभाग द्वारा अश्वगंधा के लाभ – रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाना, शारीरिक ताकत और ऊर्जा में वृद्धि, नींद में सुधार, हृदय स्वास्थ्य, डायबिटीज में सहायक, मस्तिष्क और स्मरण शक्ति का विकास, तनाव और चिंता में राहत के बारे में बताया गया । मास्टर ट्रेनर चंद्रपाल कुशवाहा द्वारा बताया गया कि अश्वगंधा कई प्रकार की होती है, लेकिन असली अश्वगंधा की पहचान करने के लिए इसके पौधों को मसलने पर घोड़े के पेशाब जैसी गंध आती है। अश्वगंधा की ताजी जड़ में यह गंध अधिक तेज होती है। वन में पाए जाने वाले पौधों की तुलना में खेती के माध्यम से उगाए जाने वाले अश्वगंधा की गुणवत्ता अच्छी होती है।
जलवायु और मिट्टी का चयन – अश्वगंधा को शुष्क और गर्म जलवायु पसंद है, रेतीली दोमट (sandy loam) या हल्की लाल मिट्टी जिसमें पानी न ठहरे, सबसे उपयुक्त होती है।
खेत की तैयारी – खेत को अच्छी तरह से जुताई करे (2-3 बार), मिट्टी भुरभुरी होनी चाहिए ।अश्वगंधा की उन्नतशील प्रजातियाँ – पोषिता, जवाहर अश्वगंधा -20, जवाहर अश्वगंधा-134बीज का चयन और बुवाई – अच्छे और स्वास्थ्यपूर्ण बीज चुनें। बीज को सीधे खेत में छिड़क सकते हैं या नर्सरी में रोपाई कर सकते हैं, बीज की बुवाई जून के अंत से जुलाई की शुरुआत में करें, रबी के सीजन में अक्टूबर माह में बुवाई करे।
खेती करते समय जरूरी सावधानियां– जल प्रबंधन, निराई-गुड़ाई, रोग और कीट नियंत्रण, उर्वरक प्रबंधन, अश्वगंधा की कटाई 150-170 दिन बाद जब पौधे पीले होने लगें और फलियां सूखने लगें, तब फसल काटनी चाहिए, जड़ों को सावधानी से खोदें, साथ ही खेत में पहले नमी बना ले ताकि जड़ टूटने न पाएँ, जड़ों को धोकर काटे फिर सुखाएं । प्रशिक्षण कार्यक्रम में डॉ प्रशांत दुबे , शीतल झारिया, सुभद्रा देवी आयुष विभाग कटनी, निर्भय सिंह सचिव मानव जीवन विकास समिति, चंद्रपाल कुशवाहा मास्टर ट्रेनर, एफपीओ सदस्य, स्व सहायता समूह सदस्य, समिति कार्यकर्ता रामकिशोर चौधरी व अन्य प्रतिभागी सहित 60 लोगों की भागीदारी रही।
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